भारत की दिग्गज तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी (Jhulan Goswami) इस बात से सहमत नहीं नजर आती हैं कि आक्रामक खेल में आए बदलाव और फिटनेस में आए सुधार ने तेज गेंदबाजों के खतरे को खत्म कर दिया है। हालांकि, उनका यह मानना है कि तेज गेंदबाजों को स्पिनर्स से कहीं अधिक बदलाव करने पड़े हैं। बीते कुछ सालों में टी-20 क्रिकेट अधिक होने के कारण महिला क्रिकेट तेजी से बदल रहा है।
हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान झूलन से तेज गेंदबाजों पर ताबड़तोड़ बल्लेबाजी के असर के बारे में पूछा गया। उन्होंने जवाब दिया,
मैं पूरी तरह इस बात से सहमत नहीं हूं कि ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करके तेज गेंदबाजी के खतरे को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है क्योंकि एक अच्छे तेज या मीडियम पेस गेंदबाज को सफलता अब भी मिल रही है। उदाहरण के तौर मारिजेन काप, शबनिम इस्माइल और कैथरीन ब्रंट अब भी अपनी टीमों के लिए काफी अहम हैं। हर विपक्षी उनके लिए कड़ी तैयारी करता है।
हालांकि, 39 साल की दिग्गज ने इस बात पर सहमति जताई है कि बदलते समय के साथ तेज गेंदबाजों को चतुराई दिखानी पड़ रही है। उन्होंने कहा,
मैं इस बात से सहमत हूं कि महिला क्रिकेट में आक्रामकता आने के बाद तेज गेंदबाजों को चतुराई दिखानी पड़ रही है। विविधता अहम है। ऐसा नहीं है कि स्पिनर्स को मार नहीं पड़ती है, लेकिन मेरे हिसाब से तेज गेंदबाजों को अपने खेल पर अधिक सोचने को मजबूर होना पड़ा है।
धारणा बदलने से स्पिनर्स ने बनाया है अपना दबदबा- झूलन गोस्वामी
बीते कुछ सालों में महिला क्रिकेट में स्पिनर्स का जलवा देखने को मिला है। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसे देश भी अपने स्पिन गेंदबाजों के दम पर सफलता हासिल कर रहे हैं। गोस्वामी ने इस पर कहा कि टी-20 क्रिकेट के आने और बदलती धारणा के कारण स्पिनर्स को फायदा हुआ है। उन्होंने कहा,
पिछले चार-पांच सालों में स्पिन की भूमिका काफी बढ़ी है। मेरे हिसाब से ऐसा धारणा बदलने और टी-20 क्रिकेट के कारण है। स्पिनर्स किसी आक्रमण में जो गहराई लेकर आते हैं वह शानदार है। पिछले दस सालों में महिला क्रिकेट को आगे बढ़ाने में टी-20 की भूमिका काफी अहम रही है।