जिस जंक्शन को पार कर के जाती थी खेलने बाद में उसका नाम.....टीम इंडिया की खिलाड़ी ने साझा की अपनी प्रेरणादायक कहानी

मेरा भारत डेब्यू निश्चित रूप से केरल में कई लड़कियों को प्रेरित करेगा: मिन्नू मणि (Pic Credit: Delhi Capitals
मेरा भारत डेब्यू निश्चित रूप से केरल में कई लड़कियों को प्रेरित करेगा: मिन्नू मणि (Pic Credit: Delhi Capitals

शाहरुख खान की एक फिल्म का डायलॉग है, अगर किसी चीज को दिल से चाहों तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है, कुछ ऐसी ही कहानी है टीम इंडिया (Indian Women Cricket Team) और दिल्ली कैपिटल्स (DC) की खिलाड़ी मिन्नू मणि (Minnu Mani) की जिन्होंने कई बाधाओं को पार कर अपनी मंजिल को पा लिया और अपने टीम इंडिया में खेलने के सपने को पूरा कर लिया।

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अपनी इसी कहानी को दिल्ली कैपिटल्स के एक ऑफ सीजन कैम्प के बीच मिन्नू ने साझा किया है और बताया है कि कैसे उन्होंने अपनी मंजिल को पाया।

मुझे टी20 सीरीज में सभी मैच खेलने की उम्मीद नहीं थी- मिन्नू मणि

भारतीय टीम में अपने यात्रा को साझा करते हुए मिन्नू ने बताया कि जुलाई में बांग्लादेश के खिलाफ भारत के लिए डेब्यू करने से पहले उन्हें कैसा महसूस हुआ था। मिन्नू ने कहा,

मुझे टी20 सीरीज में सभी मैच खेलने की उम्मीद नहीं थी। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था जब मुझे सीरीज के पहले मैच के लिए XI में नामित किया गया। मुझे मौका मिलने का बहुत उत्साह था और यह अच्छा था कि मैंने अपनी भारतीय कैप स्मृति मंधाना से प्राप्त की।

एशियन गेम्स में टीम इंडिया में शामिल मिन्नू ने अपनी गेंदबाजी का जिक्र भी किया और कहा,

जब मैंने गेंदबाजी करनी शुरू की, तो मैं थोड़ा घबराई हई थी। मुझे एक छक्का और एक चौका लगा, और फिर हरमनप्रीत ने मेरे साथ कुछ विचार साझा किए। उन दो बड़े शाट्स के बाद मुझे मैदान पर थोड़ी राहत महसूस हुई।

केरल की ओर से भारतीय महिला टीम में खेलने वाली पहली खिलाड़ी होने की बात पर मिन्नू ने कहा,

मेरा भारत डेब्यू निश्चित रूप से केरल में कई लड़कियों को प्रेरित करेगा। मैंने सपना देखा था कि केरल से पहली महिला बनकर भारत का प्रतिनिधित्व करूंगी, और वह सपना पूरा हो गया है।
मैंने 9वीं कक्षा से अपने स्नातक तक की पढ़ाई के दौरान केरल क्रिकेट एसोसिएशन के क्रिकेट एकेडमी में क्रिकेट की प्रैक्टिस की थी। लेकिन, मेरे स्नातक के बाद, मुझे अपने घर से प्रशिक्षण के मैदान तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। मैं दिन में तीन घंटे की यात्रा करती थी, और मेरे परिवार को मेरे यात्रा की आवश्यकताओं की पूरी करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। हालांकि, अब सभी मेहनत का फल मिल गया है।

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Edited by Prashant Kumar
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