वसीम अकरम और वकार यूनुस की जोड़ी 1990 के दशक में पूरी तरह से राज कर रही थी और बहुत सारे युवा और प्रतिभाशाली गेंदबाजों की प्रतिभा उनके आगे छुप जा रही थी। लेकिन शोएब अख्तर की गति ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में तहलका मचा दिया था और इसी कला ने उन्हें टीम में वसीम और वकार के साथ लाकर खड़ा कर दिया था। शोएब अविश्वसनीय रूप से काफ़ी लंबी दूरी से दौड़ते हुए विकेट पर आते थे और 150 किमी प्रति घंटे से अधिक गति से नियमित तौर पर गेंदबाज़ी करते थे। कई मौकों पर, उन्होंने बेहतरीन बल्लेबाजों को तेज गति से हरा दिया। पुछल्ले बल्लेबाज़ों पर तो शोएब क़हर बनकर टूटते थे। शोएब के साथ कई अनुशासनात्मक मुद्दे थे और उन्हें अक्सर 'पाकिस्तान क्रिकेट का बैड ब्वॉय' कहा जाता था। उनका गेंदबाजी एक्शन भी तीव्र जांच के तहत आया था। लेकिन जब वह फिट हो और अपनी लय में रहते थे वह दुनिया के किसी भी बल्लेबाजी लाइन-अप को तहस नहस कर सकते थे। भले ही वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 'महान' के टैग को प्राप्त करने में पीछे हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने इस टीम में जगह बनाने के लिए पर्याप्त क्षमता है। #11 सकलैन मुश्ताक
जिस तरह से मुरलीधरन ने ‘दूसरा’ को इजाद किया शायद ही कोई इस हथियार को भूल सकता हो। आज के दौर में यह एक्शन हर एक ऑफ स्पिनर की तरकश का मुख्य तीर बन चुका है और अब यह अधिकतर ऑफ स्पिनरों द्वारा प्रयोग किया जाता है। शकलैन मुश्ताक पहले गेंदबाज थे जिन्होंने सबसे पहले इस नवीन डिलीवरी का इस्तेमाल महान प्रभाव से किया था और कई बल्लेबाजों को जोरदार झटका दिया था। अपने उत्थान में वह एक अद्भुत विकेट लेने वाले गेंदबाज थे और अपने पूरे करियर के दौरान 168 मैचों में 288 विकेट उनके एकदिवसीय रिकॉर्ड का सबूत है। उनके नाम पर उनके दो एकदिवसीय हैट्रिक भी हैं, उनके अलावा वसीम अकरम और चामिंडा वास ही ऐसा कारनाम कर सके हैं। यह अविश्वसनीय है कि 2003 में 27 वर्ष की आयु में इस बेहतरीन गेंदबाज ने अपना अंतिम एकदिवसीय मैच खेला था। हमारी टीम में सकलैन फ्रंटलाइन स्पिनर होंगे। लेखक- प्रवीन एनवीएस अनुवादक- सौम्या तिवारी