चैंपियंस ट्रॉफ़ी शुरू होने से पहले शायद ही किसी ने सोचा भी होगा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश सेमीफ़ाइनल तक का रास्ता तय कर लेंगे। पाकिस्तान ने तो फ़ाइनल में भी जगह बना ली है और चैंपियंस ट्रॉफ़ी जीतने से महज़ एक जीत दूर खड़े हैं। चैंपियंस ट्रॉफ़ी में आईसीसी वनडे रैंकिंग की टॉप-8 टीमों को ही खेलना था, और इस वजह से नंबर-9 पर क़ाबिज़ दो वनडे, दो टी20 और एक बार के चैंपियंस ट्रॉफ़ी विजेता विंडीज़ का पत्ता कट गया। 8वें स्थान के लिए विंडीज़ और पाकिस्तान के बीच कांटे की टक्कर थी, जिसमें 1992 वर्ल्डकप के विजेता पाकिस्तान ने बाज़ी मार ली। हालांकि, उसके बाद भी क्रिकेट पंडित यही मान रहे थे कि चैंपियंस ट्रॉफ़ी के अंत तक भारत, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ़्रीका की ही टीम पहुंच पाएंगी। शुरुआती मुक़ाबलों में भी यही लगा था जब भारत ने आसानी से पाकिस्तान को शिकस्त दे दी और इंग्लैंड ने भी बांग्लादेश को मात देते हुए टूर्नामेंट में जीत के साथ आग़ाज़ किया था। हालांकि इसके बाद बारिश ने ऑस्ट्रेलिया का खेल बिगाड़ा लेकिन पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी अपने खेल में सुधार करते हुए पीछे मुड़कर नहीं देखा। पाकिस्तान ने दक्षिण अफ़्रीका, श्रीलंका और इंग्लैंड को हराते हुए फ़ाइनल में जगह बना ली, तो बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया के बीच बारिश की वजह से मुक़ाबला रद्द हो गया था जिसका फ़ायदा उठाते हुए बांग्लादेशी टाइगर्स ने न्यूज़ीलैंड को शिकस्त देते हुए अंतिम-4 में पहुंचने की उम्मीदों को ज़िंदा रखा था। इंग्लैंड के हाथों ऑस्ट्रेलिया की हार ने बांग्लादेश के सपने को सच कर दिखाया और पहली बार वे किसी आईसीसी टूर्नामेंट के सेमीफ़ाइनल में पहुंच गए। पाकिस्तान और बांग्लादेश के इस जोशीले प्रदर्शन ने क्रिकेट प्रेमियों का तो दिल जीता ही, साथ ही क्रिकेट को और भी प्रतिस्पर्धी बना दिया है। जब क्रिकेट के खेल में कुछ एक देशों का वर्चस्व हटता है तो ये फ़ैन्स के लिए और भी जोशीला जाता है। कभी ऑस्ट्रेलिया, तो कभी इंग्लैंड, कभी वेस्टइंडीज़ क्रिकेट फ़ैन्स ने इन तमाम टीमों के दबदबे को देखा है और जब इस खेल के सिरमौर भारत और श्रीलंका जैसे देश बने तो इस खेल की चमक और भी सुनहरी हुई। वक़्त बदल रहा है और अब बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान जैसी टीमें भी दूसरी टीमों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी होती जा रही हैं। जो क्रिकेट के भविष्य के लिए सुनहरा संकेत है, लेकिन इस बीच श्रीलंका और विंडीज़ जैसी टीमों के लिए ये एक सबक़ भी है। विंडीज़ जिनके नाम से कभी विपक्षी टीमें डर जाया करती थीं, आज वह बेहद साधारण रह गई हैं। इसकी वजह विंडीज़ में प्रतिभा की कमी नहीं बल्कि क्रिकेट बोर्ड और खिलाड़ियों के बीच चला आ रहा सालों पुराना विवाद है। क्रिस गेल, सुनील नारेन, ड्वेन ब्रावो जैसे अकले दम पर मैच का नख़्शा पलट देने वाले खिलाड़ी बोर्ड के साथ चल रहे विवाद की वजह से टेस्ट और वनडे क्रिकेट नहीं खेलते जिसका असर टीम पर पड़ रहा है। अगर जल्द ही इस विवाद से निपटा नहीं गया तो चैंपियंस ट्रॉफ़ी ही की तरह 2019 वर्ल्डकप में भी विंडीज़ को क्वालीफ़ाई करने में मुश्किल हो सकती है। कुछ ऐसा ही हाल 1996 विश्वकप जीतकर क्रिकेट जगत को झकझोर देने वाली श्रीलंका क्रिकेट टीम का भी है। 2007 और 2011 वर्ल्डकप के फ़ाइनल में पहुंचने वाली श्रीलंकाई टीम फ़िलहाल परिवर्तन काल से गुज़र रही है। चैंपियंस ट्रॉफ़ी में पाकिस्तान और बांग्लादेश के शानदार प्रदर्शन का असर श्रीलंका पर भी ज़रूर पड़ेगा और इससे वह सब़क़ लेते हुए अपनी क्रिकेट को एक बार फिर पटरी पर लाने की कोशिश में जुट सकेंगे। चैंपियंस ट्रॉफ़ी 2017 पाकिस्तान क्रिकेट के लिए पूरी तरह से पलटवार साबित हो सकती है। जिस देश को मैदान में अपने खेल से ज़्यादा मैच फ़िक्सिंग से लेकर खिलाड़ियों के बीच तू तू मैं मैं के लिए जाना जाता था। उस टीम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अगर टीम की तरह खेला जाए और प्रतिभाओं का सही दिशा में इस्तेमाल किया जाए तो फिर नामुमकिन कुछ भी नहीं।