इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब विवादों में रहने वाले विधान सभा सदस्य के पुत्र का चयन बिना खेले हो गया। पप्पू यादव के पुत्र सार्थक राजन को टीम में चयनित कर लिया गया और हितेन दलाल को रिज़र्व में रखा गया। पप्पू यादव जो राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व सदस्य थे और उन्होंने अब अपनी खुद की पार्टी जन अधिकार पार्टी बनायी। ख़बरों के मुताबिक़ तीन सदस्यीय चयन कमिटी जिसमें अतुल वासन ,हरि गिदवानी , रॉबिन सिंह जूनियर शामिल हैं, उन्होंने टीम चयन में खिलाड़ियों के प्रदर्शन को नज़रअंदाज़ कर प्रभावशाली व्यक्ति के पुत्र को टीम में चयनित किया । सार्थक का चयन लम्बे समय से विवादों में है, मुश्ताक़ अली कैंपेन में सार्थक का तीन मैचों में कूल स्कोर 10 रन था। हालांकि इस मामले की विरोधाभासी रिपोर्ट्स मिलती है कुछ का कहना है कि सार्थक खेल में रूचि खो चूका था और वह बॉडी बिल्डिंग के अपने सपने पूरा करना चाहता है लेकिन सीजन के अंत तक सार्थक की माँ रंजीत रंजन ने डीडीसीए एडमिनिस्ट्रेटर विक्रमाजीत सेन को ई-मेल कर कहा कि सार्थक अवसाद से ग्रसित था परन्तु अब वह खेलने के लिए स्वस्थ है| सेन ने प्रोटोकॉल के तहत पुत्र को चयनकर्ता के पास भेजा | आश्चर्य की बात यह है कि बिना एक मैच खेले उसका चयन हो जाता है और दलाल जैसे प्रतिभावान खिलाड़ियों को टीम में जगह भी नहीं मिल रही हैं| जब वासन से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "सार्थक को कुछ मानसिक समस्या थी। एक बार जब वह फिट हो गया, तो मैंने व्यक्तिगत रूप से उसे जाँचा और उसे स्टैंडबाई में रखा क्योंकि दिल्ली अंडर -23 में वह वास्तव में अच्छा खेल रहा था।" दलाल ने सीके नायडू ट्रॉफी में 468 रन बनाए हैं, जिसमें एक शतक और तीन अर्धशतक शामिल है। दलाल की उम्दा परियों के बावजूद उसे चयनित ना करना गलत है क्योंकि उसके पिता कोई नेता नहीं है या वह किसी प्रभावशाली परिवार से सम्बन्ध नहीं रखते हैं| यह सब भारत के खेल भविष्य के लिए ख़तरा है |