पार्थिव पटेल के शतक की बदौलत गुजरात ने रणजी ट्रॉफी का ख़िताब जीतकर इतिहास रचा

गुजरात ने रणजी ट्रॉफी के फाइनल मैच में शनिवार को 41 बार की चैंपियन मुंबई को पांच विकेट से हराकर इतिहास रच दिया। इंदौर के होलकर स्टेडियम में खेले गए फाइनल मैच के अंतिम दिन गुजरात ने 312 रन के रिकॉर्ड लक्ष्य का सफल पीछा करते हुए पहली बार रणजी ट्रॉफी का ख़िताब जीता। वह रणजी ट्रॉफी का ख़िताब जीतने वाली 17वीं टीम बनी। गुजरात ने रणजी ट्रॉफी फाइनल में सर्वाधिक लक्ष्य का पीछा करने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया है। इससे पहले रणजी ट्रॉफी के फाइनल में हैदराबाद ने नवानगर के खिलाफ 1937-38 में 310 रन के लक्ष्य का सफल पीछा किया था जो रिकॉर्ड गुजरात ने आज तोड़ दिया। इससे पहले वह सिर्फ एक बार (1950-51) फाइनल में प्रवेश कर सकी थी, जहां उसे होलकर से शिकस्त झेलना पड़ी थी। बहरहाल, आज गुजरात को रणजी चैंपियन बनाने में अनुभवी पार्थिव पटेल ने अहम भूमिका निभाई। बाएं हाथ के बल्लेबाज ने (143) शतक जमाकर मुंबई को ख़िताब से वंचित कर दिया। बता दें कि पार्थिव ने मुंबई के खिलाफ प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पांचवां शतक जमाया। उन्होंने अन्य किसी भी टीम के खिलाफ दो शतक से अधिक नहीं ठोंके हैं। याद हो कि गुजरात ने टॉस जीतकर मुंबई को पहले बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया था। मुंबई की पहली पारी 228 रन पर सिमटी थी, जिसके जवाब में गुजरात ने 328 रन बनाए थे। इसके बाद मुंबई ने गुजरात के 100 रन की बढ़त को उतारते हुए अपनी दूसरी पारी में 411 रन बनाए और विपक्षी टीम के सामने 312 रन का लक्ष्य रखा। गुजरात ने अंतिम दिन आखिरी सत्र में 89.5 ओवर में 5 विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया। रूजुल भट्ट 27 और चिराग गांधी 11 रन बनाकर नाबाद रहे। होलकर स्टेडियम पर खेले गए फाइनल मुकाबले के अंतिम दिन गुजरात ने अपनी पारी 47 रन के स्कोर से आगे बढ़ाई। मुंबई के मध्यम तेज गेंदबाज बलविंदर संधू ने प्रियांक पांचाल (34) और भार्गव मेराई (2) को जल्दी-जल्दी आउट करके गुजरात को तगड़े झटके दिए। इसके बाद अभिषेक नायर ने समित गोहेल (21) को विकेटकीपर आदित्य तारे के हाथों झिलवाकर मुंबई को मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया। 89/3 के स्कोर के बाद गुजरात को कप्तान पार्थिव पटेल और मनप्रीत जुनेजा (54) ने संभाला। दोनों ने चौथे विकेट के लिए 116 रन की साझेदारी करके गुजरात को 200 के पार लगाया। पटेल एक छोर पर डटे हुए थे, लेकिन जुनेजा अर्धशतक लगाने के बाद हेर्वाधकर की गेंद पर तारे को कैच थमाकर पवेलियन लौट गए। जुनेजा ने 115 गेंदों में 8 चौको की मदद से 54 रन की पारी खेली। इसके बाद पटेल ने अपने गियर बदलते हुए आक्रामक रुख अख्तियार किया और गुजरात को 300 के स्कोर के करीब पहुंचाकर जीत की दहलीज पर पहुंचा दिया। पटेल को ठाकुर ने अपनी ही गेंद पर कैच आउट किया। छोटे कद के बाएं हाथ के बल्लेबाज ने 196 गेंदों में 24 चौको की मदद से 143 रन की पारी खेली। इसके बाद रूजुल भट्ट और चिराग गांधी ने गुजरात को चैंपियन बनाकर इतिहास रचा। मुंबई की तरफ से बलविंदर संधू ने दो जबकि शार्दुल ठाकुर, अभिषेक नायर और अखिल हेर्वाधकर ने एक-एक विकेट लिया। मुंबई ने 46वीं बार रणजी ट्रॉफी के फाइनल में प्रवेश किया था, जो अपने आप में रिकॉर्ड है।