जब गांगुली के अंतिम टेस्ट मैच में लगे थे 'दादा-दादा' के नारे

पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली क्रिकेट प्रेमियों के दिल में एक अलग ही स्थान रखते हैं। सन 2000 में भारतीय क्रिकेट में हुए मैच फिक्सिंग कांड के बाद कोलकाता के इस व्यक्ति ने भारतीय कप्तान के रूप में खुद को एक ऊर्जावान और प्रशंसनीय व्यक्ति के रूप में स्थापित किया। कप्तान के रूप में कई वर्षों तक उन्होने भारतीय टीम के मजबूत अभिभावक के रूप में कार्य किया।

सन 2008 में वो 10 नवंबर का दिन ही था जब इस भारतीय लीजेंड ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। उस वक्त नागपूर में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की सीरीज का अंतिम मैच खेल रही थी।

इस सीरीज में भारतीय टीम 1-0 से आगे चल रही थी। ऑस्ट्रेलिया की टीम मैदान पर संघर्ष कर रही थी और हार के कगार पर पहुँच गई थी। टीम के प्रदर्शन से भारतीय टीम के फैंस हर्षोल्लासित हो रहे थे तथा गांगुली का अंतिम मैच होने के कारण वो अपने आँसू भी नहीं रोक पा रहे थे।

यह गांगुली के लिए अंतिम मैच जैसा बिल्कुल नहीं था। गांगुली ने इस मैच की पहली पारी में 85 रन बनाये तथा दूसरी पारी में शून्य पर आउट हो गए। इस प्रकार गांगुली अपने अंतिम टेस्ट मैच में एक शतक जड़ने से चूक गए।

उस समय मैच में भारतीय टीम की कप्तानी कर रहे कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने दादा को दूसरी पारी में अंतिम बार टीम की कप्तानी भी सौंप दी थी। गांगुली को मैदान पर कप्तानी करते देख क्रिकेट फैंस भी खुशी से झूम उठे। भारत ने यह टेस्ट मैच 172 रनों से जीता तथा इस सुखद क्षण के साथ गांगुली का शानदार करियर अंजाम तक पहुँच गया।

सौरव गांगुली ने 1992 से 2008 के बीच भारत की तरफ से खेलते हुए 113 टेस्ट व 311 वनडे मैचों में 15 हजार से भी अधिक अंतर्राष्ट्रीय रन बनाए। बाएँ हाथ के इस भारतीय खब्बू बल्लेबाज ने अपने जमाने में विश्व के बेहतरीन स्पिनरों को अपने बल्ले के सामने नतमस्तक किया। ऑफ साइड में उनकी मजबूत बल्लेबाजी शैली के कारण उन्हें ऑफ साइड का भगवान कहा गया। कप्तान के रूप में उन्हें इज्जतदार कप्तानों में से एक माना जाता है।

सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, अनिल कुंबले, जवागल श्रीनाथ आदि खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम में गांगुली के संबंध मधुर रहे। अंतिम मैच में साथी खिलाड़ियों द्वारा दादा को जिस तरफ फील्ड में घुमाया गया तथा मैच के बाद आँसू टपकाये गए, इससे पता चलता है कि गांगुली उनके लिए कितने मायने रखते थे। वनडे में गांगुली के साथ शानदार ओपनिंग जोड़ीदार रहे महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को भी रोते हुए देखा गया।

क्रिकेट के लिए गांगुली अब भी अपने साथियों की मदद और अच्छे खिलाड़ी उत्पादित करने के कार्य को बढ़ावा देने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।

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