लगभग दो दशक से भारतीय टीम में खेल रहीं महिला क्रिकेटर मिताली राज का मानना है कि महिला क्रिकेट को लेकर पिछले विश्वकप के बाद धारणाएं बदली है। उन्होंने यह कहा कि एक महिला होने के नाते पुरुषों के वर्चस्व वाले इस खेल को अपनाना आसन नहीं था। जुलाई में पिछले वर्ष विश्वकप में टीम के शानदार प्रदर्शन के बाद लोगों की धारणा बदली है। एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय महिला वन-डे टीम की कप्तान ने कहा कि मैं निश्चित रूप से कह सकती हूँ कि पिछले साल विश्वकप के बाद भारत में महिला क्रिकेट के प्रति मानसिकता बदली है। आगे उन्होंने कहा कि बीसीसीआई के नेतृत्व में महिला क्रिकेट भी अब सही दिशा में चल रही है। आगे उन्होंने कहा कि सानिया मिर्जा भी इस बात से सहमत होंगी कि उतार चढ़ाव भरे समय में हमारे माता-पिटा ने हमारा समर्थन किया। हमें खेल का मंच प्रदान करने में वे क्रांतिकारी साबित हुए हैं। आगे उन्होंने कहा कि लोगों की यह धारणा थी कि खेल महिलाओं के लिए नहीं है और यही सबसे बड़ी समस्या मेरे सामने भी थी। हमें समाज की मानसिकता बदलनी होगी क्योंकि यह सबसे बड़ी दिक्कत है जो महिला एथलीट को झेलनी पड़ती है। गौरतलब है कि मिताली राज विश्व क्रिकेट में श्रेष्ठ खिलाड़ी मानी जाती हैं। उन्होंने अपना पहला वन-डे 1999 में खेला था। तब से लेकर 19 साल से लगातार वे भारत के लिए खेल रही हैं। उनकी कप्तानी में भारतीय महिला टीम ने 2 बार विश्वकप के फाइनल में जगह बनाई है। जिस तरह पुरुष क्रिकेट के कई रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर के नाम हैं उसी प्रकार मिताली राज के नाम महिला क्रिकेट के कई कीर्तिमान हैं।