सबसे लंबा प्रारूप होने के नाते, टेस्ट क्रिकेट को 'क्रिकेट का सबसे विशुद्ध रूप' माना जाता है। 5 दिनों तक चलने वाला क्रिकेट का ये प्रारूप सही मायनो में किसी खिलाड़ी के कौशल और प्रतिभा का परीक्षण करता है। हालांकि हाल के दिनों में, सीमित ओवर क्रिकेट ज़्यादा लोकप्रिय हो रहा है, लेकिन टेस्ट क्रिकेट ने अभी तक अपना औचित्य बरकरार रखा है। "एक टेस्ट क्रिकेटर के रूप में, आपको यह बात समझ लेनी चाहिए यह पांच दिन आपके लिए कठिन होंगे, और आपको मोटी चमड़ी का होना चाहिए" - ब्रेट ली। 14 जून 2018 को, हमने अफगानिस्तान को बैंगलोर में भारत के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेलते देखा। अफगानिस्तान ने अपने इस उद्घाटन मैच के साथ ही 'टेस्ट स्टेटस' हासिल कर लिया है और ऐसे करने वाली दुनिया की 12वीं टीम बन गई। यह निश्चित रूप से उनके देश और खिलाड़ियों के लिए एक ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण क्षण था, हालांकि अफ़ग़ानिस्तान की टीम यह मैच हार गयी थी। तो आइये बाकी की 11 टीमों के पहले टेस्ट में प्रदर्शन पर एक नज़र डालते हैं:
आयरलैंड बनाम पाकिस्तान, डबलिन
2000 में बांग्लादेश को टेस्ट टीम का दर्जा दिए जाने के 17 वर्षों बाद, आईसीसी ने आयरलैंड को 'टेस्ट स्टेटस' दिया था। आयरलैंड ने मई 2018 में पाकिस्तान के खिलाफ अपने उद्घाटन टेस्ट मैच की मेजबानी की। आयरलैंड के कप्तान पोर्टरफील्ड ने टॉस जीत कर पहले गेंदबाज़ी का फैसला लिया। शानदार शुरुआत करते हुए आयरलैंड के गेंदबाजों ने 52 ओवरों में पाकिस्तान के 159 रनों पर 6 विकेट लेकर मेहमान टीम की हालत पतली कर दी थी। जिसके बाद शदाब खान और फहीम अशरफ की जोड़ी से 117 रनों की अच्छी साझेदारी की और 310/9 पर पारी घोषित कर दी। हालाँकि अपनी पहली पारी में बल्लेबाज़ी के लिए उतरी आयरिश टीम सिर्फ 130 रनों पर ढेर हो गयी। फॉलो-ऑन मिलने के बाद, पाकिस्तानी गेंदबाज़ों का केविन ओ'ब्रायन के रूप में एक मजबूत बल्लेबाज़ से सामना हुआ। आयरलैंड की तरफ से पहला टेस्ट शतक लगाने वाले ओ'ब्रायन ने अपनी टीम को 15 9 रनों की बढ़त दिलाई। दूसरी पारी में पाकिस्तान की भी शुरुआत अच्छी नहीं रही और उनके 3 विकेट सिर्फ 14 रनों पर गिर गए। अपना पहला टेस्ट खेल रहे इमाम-उल-हक ने नाबाद 74 * रन बनाकर पाकिस्तान को शुरुआती झटकों से उबारा और टीम को 5 विकेट से जीत दिलाई।
बांग्लादेश बनाम भारत, ढाका
वर्ष 2000 में ढाका में अपने पहले टेस्ट मैच में बांग्लादेशी कप्तान ने सूखी पिच का लाभ उठाने के लिए टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया था। शीर्ष क्रम के बल्लेबाज अमीनुल इस्लाम ने शानदार बल्लेबाज़ करते हुए 380 गेंदों पर 145 रन बनाए और बांग्लादेश ने अपनी पहली पारी में बोर्ड पर कुल 400 रन टांग दिए। हालांकि, कप्तान गांगुली और सुनील जोशी की जोड़ी की 121 रन की साझेदारी की बदौलत भारत ने पहली पारी में 29 रनों की बढ़त बनाई। दूसरी पारी में भारतीय तेज़ गेंदबाजी के आगे बांग्लादेश की पूरी टीम सिर्फ 91 रन ही बना सकी। मैच को जीतने के लिए भारत को सिर्फ 63 रनों की दरकार थी और राहुल द्रविड़ ने भारत को 9 विकेट से जीत दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई। सुनील जोशी को पूरे मैच में (92 रन, 8 विकेट) अपने शानदार प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया ।
ज़िम्बाब्वे बनाम भारत, हरारे
अपने पहले टेस्ट मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए जिम्बाब्वे के कप्तान हौटन की 322 गेंदों में 121 रनों की शानदार पारी और फ्लॉवर बंधुयों के अर्धशतकों की बदौलत ज़िम्बावे ने अपनी पहली पारी में 215 ओवरों की बल्लेबाज़ी करते हुए 456 रन बनाये। खेल के लगभग ढाई दिन बीत जाने के बाद बल्लेबाज़ी के लिए उतरी भारतीय टीम को मैच ड्रा की और जाता दिखा। इसी को देखते हुए, भारतीय टीम के बल्लेबाज़ संजय मांजरेकर ने टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में दूसरी सबसे धीमी सेंचुरी (397) बना डाली। यद्यपि जिम्बाब्वे को पहली पारी में 149 रनों की बढ़त मिली लेकिन चूँकि मैच में केवल 2 सत्र ही शेष बचे थे इसलिए यह मैच ड्रॉ रहा।
श्रीलंका बनाम इंग्लैंड, कोलंबो
टॉस जीतने के बाद पहले बल्लेबाजी करने के लिए उतरी श्रीलंका की टीम की शुरूआत अच्छी नहीं रही और उनके चार विकेट जल्दी ही गिर गए। 5 वें विकेट के लिए मदुगले और रणतुंगा के बीच 99 रन की साझेदारी की बदौलत श्रीलंका ने स्कोर बोर्ड पर 218 रन टांग दिए। बाद ने श्रीलंका के गेंदबाजों के सामूहिक प्रयास से इंग्लैंड की टीम सिर्फ 5 रनों की बढ़त ही बना सकी। इसके बाद श्रीलंका ने मजबूत शुरुआत करते हुए तीसरे दिन की समाप्ति पर अपनी दूसरी पारी में 3 विकेटों के नुकसान पर 156 रन बनाए। लेकिन इसके बाद, 4 दिसंबर को, ऑफ-ब्रेक गेंदबाज जॉन एम्ब्युरी ने सिर्फ 19 रन देकर बाकी के 7 बल्लेबाज़ों को चलता किया और इस तरह से श्रीलंका को 175 रनों पर आउट कर 7 विकेट से जीत के लक्ष्य को हासिल कर मैच जीत लिया।
भारत बनाम पाकिस्तान, दिल्ली
1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद, पाकिस्तान ने 1952 में 5 मैचों की टेस्ट सीरीज़ (4-दिवसीय मैच) के लिए भारत का दौरा किया। पहले टेस्ट में टॉस जीतकर भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए पहली पारी में कुल 372 रन बनाए। पहली पारी में, पाकिस्तानी बल्लेबाजों को भारत के बाएं हाथ के स्पिनर वीनू मांकड़ की कहर बरपाती गेंदों को सामना करना पड़ा। मांकड़ ने 8 विकेट लेकर पाकिस्तान को 150 रनों पर ढेर कर दिया। भारत ने मेहमान टीम को फॉलो-ऑन को मजबूर कर दिया, मांकड़ ने दूसरी पारी में भी 5 विकेट लेकर, भारत की एक पारी और 70 रनों से जीत में अहम भूमिका निभाई। मैच में 13 विकेट लेकर, विनो मांकड़ को 'मैन ऑफ द मैच' चुना गया। आखिरकार, भारत ने यह टेस्ट श्रृंखला 2-1 से जीती थी।
इंग्लैंड बनाम भारत , लंदन
1932 में इंग्लैंड के खिलाफ 3 दिवसीय टेस्ट मैचों के लिए भारतीय टीम ने इंग्लैंड की यात्रा की। पहले बल्लेबाजी करने का फैसला करते हुए भारतीय टीम ने इंग्लैंड को 259 रनों पर आल आउट किया, जिसमें भारतीय गेंदबाज मोहम्मद निसार ने 5 विकेट लिए। बाद में बल्लेबाज़ी करने उतरी भारतीय टीम ने अच्छी बल्लेबाज़ी करते हुए पहली पारी में 70 रनों की बढ़त बना ली। दूसरी पारी में 345 रनों के साथ, इंग्लैंड के कप्तान ने 275-8 पर अपनी पारी घोषित कर दी। दूसरी पारी में, हालाँकि, भारतीय टीम अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी और यह मैच 158 रनों से गंवा दिया। आश्चर्यजनक रूप से, नंबर 9 के बल्लेबाज अमर सिंह ने टेस्ट क्रिकेट में भारत का पहला अर्धशतक लगाया।
न्यूजीलैंड बनाम इंग्लैंड, क्राइस्टचर्च
न्यूजीलैंड ने 1930 में इंग्लैंड का दौरा किया था। उस दौरे में उन्होंने इंग्लैंड के साथ 4-टेस्ट मैचों की सीरीज़ खेली थी। टॉस जीतने और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला करने के बाद न्यूजीलैंड की शुरुआत बेहद खराब रही थी और इंग्लिश गेंदबाजों (निकोलस और एलोम) की जोड़ी के आगे पूरी कीवी टीम पहली पारी में 112 रनों पर ढेर हो गयी। उसके बाद बल्लेबाज़ी करने उतरी इंग्लिश टीम की शुरुआत भी अच्छी नहीं रही और वे केवल 69 रनों की ही बढ़त बना सके। दुर्भाग्यवश, दूसरी पारी में न्यूजीलैंड की पूरी टीम सिर्फ 131 रन पर पवेलियन वापिस लौट गयी और इंग्लैंड ने आसानी से यह मैच जीत लिया।
वेस्टइंडीज़ बनाम इंग्लैंड, लंदन
1928 में टेस्ट टीम का दर्जा प्राप्त करने के लिए वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड का दौरा किया जहां उन्होंने 3-मैचों की टेस्ट श्रृंखला खेली। पहले मैच में पहले बल्लेबाजी करने उतरी मेज़बान टीम ने टाइल्डस्ले की 122 रनों की पारी की बदौलत अपनी पहली पारी में 401 रन बनाए। हालांकि वेस्टइंडीज की शुरुआती बहुत खराब रही और पूरी टीम 177 रनों पर ऑल-आउट हो गयी। इंग्लैंड ने मेहमान टीम को फॉलो-ऑन को मजबूर और एक पारी और 58 रनों से मैच अपने नाम किया।
इंग्लैंड बनाम दक्षिण अफ्रीका, पोर्ट एलिजाबेथ
1889 में दक्षिण अफ्रीका ने टेस्ट टीम का दर्जा प्राप्त करने के लिए 2-मैचों की टेस्ट श्रृंखला के लिए इंग्लिश टीम की मेज़बानी की। अपने शुरुआती टेस्ट में आत्मविश्वास से भरपूर मेज़बान टीम ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला करते हुए केवल 84 रन बनाए। जबाव में, इंग्लैंड ने अपनी पहली पारी में 148 रन बनाए और 64 रन की बढ़त हासिल की। इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों ने दूसरी पारी में भी दक्षिण अफ़्रीकी बल्लेबाज़ों को टिकने का मौका नहीं दिया और दक्षिण अफ्रीका को दूसरी पारी में 129 रनों पर आल आउट कर दिया। इसके बाद इंग्लैंड के सलामी बल्लेबाज़ एबेल ने जीत की औपचारिकता पूरी की।
ऑस्ट्रेलिया बनाम इंग्लैंड, मेलबर्न
1877 में टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में पहला टेस्ट मैच मेलबर्न में 'खेल के संस्थापकों' के बीच खेला गया था। पहले बल्लेबाजी करते हुए, ऑस्ट्रेलियाई सलामी बल्लेबाज बैनरमैन के 165 रनों की बदौलत मेज़बान टीम ने पहली पारी में 245 रन बनाए। उसके बाद ऑस्ट्रेलिआई गेंदबाज़ों ने मेहमान टीम को 196 रनों पर आल आउट कर अपनी टीम को 49 रनों की बढ़त दिलाई। दूसरी पारी में, दोनों ने बढ़िया प्रदर्शन किया लेकिन अंत में 45 रनों से ऑस्ट्रेलियाई ने जीत प्राप्त की। गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया अपने शुरुआती टेस्ट मैच में जीतने वाली क्रिकेट इतिहास की एकमात्र टीम है। लेखक: हरि प्रसाद अनुवादक: आशीष कुमार