केपटाउन टेस्ट में कैमरे पर गेंद के साथ छेड़छाड़ करते पकड़ाए ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी कैमरन बैनक्रॉफ़्ट ने क्रिकेट की दुनिया में मानो भूचाल ला दिया। इस प्रकरण ने न सिर्फ़ बैनक्रॉफ़्ट की काली करतूत उजागर की बल्कि क्रिकेट इतिहास में ऐसा पहली बार दिखा कि बॉल टैंपरिंग एक सुनियोजित साज़िश के तहत की गई और इसमें टीम के कप्तान से लेकर उप-कप्तान तक ने भूमिका निभाई। नतीजा ये हुआ कि स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर पर एक साल जबकि बैनक्रॉफ़्ट पर 9 महीने का क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने प्रतिबंध लगा दिया। ऐसा नहीं है कि बॉल टैंपरिंग का ये वाक़्या पहली बार हुआ हो, लेकिन गेंद के साथ छेड़छाड़ करने की इतनी बड़ी सज़ा विश्व क्रिकेट ने पहली बार देखी है। आईसीसी ने तो इसके लिए स्टीव स्मिथ पर एक मैच का बैन और कैमरन बैनक्रॉफ़्ट को सिर्फ़ 3 डिमेरीट प्वाइंट्स के साथ छोड़ दिया था। लेकिन क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने इसके लिए अलग से जांच बैठाई थी जिसके बाद उन्हें ऐसा लगा कि इन खिलाड़ियों ने विश्व क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया की साख ख़राब कर दी लिहाज़ा उन्हें ये कड़ी सज़ा सुनाई गई है, जिसके बाद स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर ने कैमरे पर रोकर अपनी इस करतूत के लिए माफ़ी भी मांगी है। इस सुनियोजित तरीक़े से तो कभी भी क्रिकेट इतिहास ने ऐसा नहीं देखा था, लेकिन कई बार बॉल टैंपरिंग ने इस जेंटलमेन गेम को बदनाम ज़रूर किया है। एक नज़र डालते हैं उन खिलाड़ियों पर जिनपर बॉल टैंपरिंग के आरोप लगे हैं, इनमें से कुछ पर साबित भी हुए तो कुछ खिलाड़ियों पर से आईसीसी ने इसे वापस भी लिया और कुछ पर आरोप सिद्ध नहीं हो सके।
जॉन लीवर, 1977 और क्रिस लुईस 1990
जेंटलमेन के इस खेल में सबसे पहली बार गेंद के साथ छेड़छाड़ की घटना तब सामने आई थी जब कैमरे इतने तेज़ नहीं हुआ करते थे। बात 1977 की है जब भारत के दौरे पर इंग्लैंड क्रिकेट टीम आई हुई थी और चेन्नई टेस्ट के दौरान उनके खिलाड़ी जॉन लीवर पर गेंद की चमक को बरक़रार रखने के लिए वैसलीन का इस्तेमाल करने का आरोप लगा था। हालांकि ये आरोप सिद्ध न हो सका, इसके बाद ठीक ऐसा ही आरोप एक बार फिर इंग्लैंड पर ही लगा और वह भी भारत दौरे पर ही, इस बार 1990 में इंग्लैंड के ऑलराउंडर क्रिस लुईस पर भी गेंद पर वैसलीन लगाने की बात सामने आई थी। लेकिन एक बार फिर सबूत के अभाव में ये बात सिद्ध नहीं हो पाई।
माइक अथर्टन, 1994
क्रिकेट इतिहास में पहली बार अगर किसी खिलाड़ी को बॉल टैंपरिंग का दोषी पाया गया था तो वह थे इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइक अथर्टन। क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स पर 1994 में दक्षिण अफ़्रीका और इंग्लैंड के बीच जारी इस मुक़ाबले में भद्रजनों का ये खेल तब तार तार हो गया जब माइक अथर्टन गेंद को ख़राब करने के लिए डर्ट (मिट्टी) का इस्तेमाल कर रहे थे। अथर्टन के ऊपर इसके लिए 2000 इंग्लिश पाउंड्स का जुर्माना भी लगाया गया था।
वक़ार युनिस, 2000
1977 में पहली बार इस तरह की घटना सामने आई फिर इसके बाद 1990 में भी वैसलीन कांड बिना सबूत के ख़त्म हुआ लेकिन 1994 में माइक अथर्टन को गेंद के साथ छेड़छाड़ करते हुए पाया गया था। इन सबके बावजूद अब तक क्रिकेट इतिहास ने इसके लिए किसी खिलाड़ी को मैच से बाहर होते नहीं देखा था, और वाक़्या पहली बार 2000 में हुआ जब पाकिस्तान के दिग्गज तेज़ गेंदबाज़ वक़ार युनिस और ऑलराउंडर अज़हर महमूद को गेंद की सीम ख़राब करने का दोषी पाया गया था। अज़हर महमूद को तो 30% मैच फ़ी पर जुर्माना लगाकर और चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था लेकिन वक़ार युनिस पर मैच रेफ़री जॉन रीड ने 50% जुर्माना और एक मैच का प्रतिबंध लगा दिया था जिस वजह से श्रीलंका के ख़िलाफ़ ट्राई सीरीज़ के अहम मैच में वक़ार युनिस को बाहर बैठना पड़ा था।
सचिन तेंदुलकर, 2001
क्रिकेट के भगवान का रुत्बा हासिल रखने वाले टीम इंडिया के दिग्गज सचिन तेंदुलकर के ऊपर भी दक्षिण अफ़्रीका में 2001 टेस्ट सीरीज़ के दूसरे मैच में बॉल टैंपरिंग का आरोप लगा था। तेंदुलकर पर 75% मैच फ़ी का जुर्माना और एक मैच का बैन लगा दिया गया था, लेकिन इसके बाद भारतीय खिलाड़ियों ने इसका पूरी तरह बहिष्कार कर दिया था और मैच रेफ़री माइक डेनिस का विरोध करते हुए आख़िरी टेस्ट मैच में नहीं खेलने का फ़ैसला किया था। नतीजा ये हुआ कि आख़िरी टेस्ट मैच आधिकारिक नहीं था, और फिर आईसीसी को भी अपना फ़ैसला बदलना पड़ा। दरअसल, सचिन गेंद की सीम में फंसी घास को साफ़ करने की कोशिश कर रहे थे और इसके लिए उनपर बॉल टैंपिरंग का आरोप लग गया था।
राहुल द्रविड़, 2004
सचिन तेंदुलकर तो इस आरोप से बरी हो गए थे लेकिन टीम इंडिया की दीवार राहुल द्रविड़ पर ठीक 4 साल बाद 2004 में यही आरोप लगा और उन्हें दोषी भी पाया गया। ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ ब्रिसबेन में खेले गए वीबी सीरीज़ के वनडे मुक़ाबले में टीवी कैमरे पर द्रविड़ गेंद ज़्यादा चमकाने के लिए खांसी की गोली का इस्तेमाल करते हुए पाए गए थे। दरअसल, वह खांसी की गोली मुंह में चूस रहे थे और उसी दौरान गेंद मुंह में उंगली डालकर उससे वह गेंद भी चमका रहे थे जिसके बाद मैच रेफ़री क्लाइव लॉयड और तीसरे अंपायर पीटर पार्कर ने उन्हें आईसीसी कोड ऑफ़ कंडक्ट की धारा 2.10 का दोषी पाया था और उनपर 50 फ़ीसदी मैच फ़ी का जुर्माना लगा था।
पाकिस्तान क्रिकेट टीम, 2006
इस फ़ेहरिस्त में अगला नंबर है पाकिस्तान क्रिकेट टीम का तब कप्तान थे इंज़माम-उल-हक़, और ये पहला मौक़ा भी था जब बॉल टैंपरिंग के आरोप की वजह से किसी टीम ने जारी टेस्ट मैच खेलने से इंकार कर दिया था। दरअसल, इंग्लैंड के ख़िलाफ़ ओवल में खेले गए इस टेस्ट मैच में अंपायर बिली डॉक्ट्रोव और डैरेल हेयर ने चौथे दिन चाय के समय ये आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने गेंद के साथ छेड़छाड़ किया है और पेनल्टी के तौर पर पाकिस्तानी टीम को 5 रन की सज़ा भी दी। जिसके बाद इंज़माम-उल-हक़ ने इसका विरोध करते हुए टीम को चाय के बाद मैदान में लेकर नहीं आए और फिर इंग्लैंड को वह मैच फ़ॉरफ़िट कर दिया गया।
शाहिद आफ़रीदी, 2010
पाकिस्तान के एक और पूर्व कप्तान शाहिद आफ़रीदी भी अपना नाम इस फ़ेहरिस्त में दर्ज करा चुके हैं। आफ़रीदी का क़िस्सा तो और भी मज़ेदार है, बात 2010 की है जब पर्थ में खेले जा रहे वनडे के दौरान पाकिस्तानी गेंदबाज़ों को कोई मदद नहीं मिल रही थी। इससे आफ़रीदी काफ़ी चिड़चिड़ा गए थे और उन्होंने गेंद को सेब की तरह मुंह में लेकर खाने लगे। ये तस्वीर काफ़ी वायरल भी हुई थी लेकिन इस हरकत के लिए आफ़ीरीदी पर बॉल टैंपरिंग का आरोप भी लगा और उन्हें दो मैचों के लिए बैन भी कर दिया गया।
फ़ाफ़ डू प्लेसी, 2016
क्रिकेट इतिहास में केपटाउन कांड से पहले सबसे ताज़ा मामला 2016 का था, जब मौजूदा दक्षिण अफ़्रीकी कप्तान फ़ाफ़ डू प्लेसी पर बॉल टैंपरिंग का आरोप लगा था। होबार्ट में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ जारी टेस्ट मैच में डू प्लेसी के मुंह में मिंट चेविंगम था और उसी से वह गेंद को चमकाने की कोशिश भी कर रहे थे। इसे देखने के बाद मैच रेफ़री ने डू प्लेसी पर सज़ा के तौर पर मैच फ़ी का 100% जुर्माना और 3 डिमेरीट प्वाइंट्स दिए थे। हालांकि इसके ख़िलाफ़ डू प्लेसी ने अपील भी की थी लेकिन आईसीसी ने उसे ख़ारिज कर दिया था।