क्रिकेट के विभिन्न प्रारूपों में न केवल अलग-अलग नियम होते हैं, बल्कि उनके लिए अलग-अलग मानसिकता और कौशल की भी आवश्यकता होती है। कुछ महान खिलाड़ियों ने अपनी क्षमता, समर्पण और कड़ी मेहनत से खेल के सभी प्रारूपों में सफलता का स्वाद चखा है।
भारतीय घरेलू सर्किट में प्रतिस्पर्धा काफी कड़ी है। यह दुनिया भर में सबसे मुश्किल कम्पटीशन में से एक है। देश में प्रतिभाशाली घरेलू क्रिकेटरों का एक विशाल समूह है जो देश के खेलने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं।
लाखों प्रतिभाशाली क्रिकेटर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए उत्सुक होते हैं, लेकिन इनमे से कुछ ही सफल हो पाते हैं। इंडियन प्रीमियर लीग भारतीय घरेलू क्रिकेटरों के लिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने और दुनिया भर में एक प्रसिद्ध क्रिकेटर के रूप में उभरने के लिए आदर्श मंच रहा है।
3. जयदेव उनादकट
जयदेव उनादकट का नाम 2010 में अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप में सात विकेट लेने के बाद सुर्खियों में आया था। बाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज ने गेंद को अच्छी गति से स्विंग कराने की क्षमता से सभी को प्रभावित किया।
उनादकट ने अगले एक ही वर्ष में भारतीय टेस्ट टीम में स्थान अर्जित कर लिया था। उन्हें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ टेस्ट टीम के विदेशी दौरे पर मौका मिला था, लेकिन वह अपने पहले टेस्ट में कोई विकेट नहीं चटका सके और बाद में उन्हें भारतीय टीम से हटा दिया गया।
रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए 2013 में इंडियन प्रीमियर लीग के संस्करण में एक पारी में पांच विकेट लेने के बाद उनादकट फिर से चर्चा में आएं। गुजरात के इस गेंदबाज को भारतीय सीमित ओवर की टीम में तुरंत स्थान मिला था। लेकिन वह वहां भी प्रभावित करने में नाकाम रहे थे।
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3. लक्ष्मीरतन शुक्ला
लक्ष्मीरतन शुक्ला बंगाल के लिए निरंतर अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं। वह इस राज्य से निकले सबसे बढियां ऑलराउंडरों में से एक हैं। वह उन कुछ चुनिंदा खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने रणजी ट्रॉफी के इतिहास में 5000 रन और 150 विकेट का डबल लेने का कारनामा किया है।
शुक्ला ने आईपीएल के शुरुआती संस्करण में कोलकाता नाइटराइडर्स के लिए अपना पहला मैच खेला था। अपने छह साल लंबे आईपीएल करियर के दौरान बल्ले और गेंद दोनों के साथ वह लगातार दमदार प्रदर्शन करते रहे। इस ऑलराउंडर ने वर्ष 1998 में 17 साल की उम्र में भारतीय टीम में जगह बनाते हुए अपना वनडे करियर शुरू किया था, लेकिन वह एक ऑलराउंडर के रूप में अपने कौशल को साबित नहीं कर सके। वह 3 मैचों में सिर्फ 18 ही रन बना सके और उन्हें 1 विकेट ही नसीब हो पाया।
जोगिंदर शर्मा उस समय भारत में रातोंरात सुपरस्टार बन गए थे, जब उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 2007 में विश्व टी20 फाइनल में शानदार गेंदबाजी करते हुए भारत को विश्व कप खिताब जीतने में मदद की थी।
बहुत से लोग उस रोमांचक ओवर से पहले जोगिंदर शर्मा को नहीं जानते थे। उन्हें इंडियन प्रीमियर लीग के उद्घाटन संस्करण में चेन्नई सुपर किंग्स में मौका दिया गया था और उन्होंने अपने आईपीएल करियर में 16 मैच खेले थे। इस ऑलराउंडर के बारे में जो बात लोग नहीं जानते वो यह है कि उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ वर्ष 2003 में भारत के लिए वनडे करियर की शुरुआत की थी। जोगिंदर ने अपने दूसरे वनडे में तेजतर्रार पारी खेलते हुए 29* रन बनाए थे लेकिन भविष्य में उनके खेल में निरंतरता नहीं थी। इसके कारण उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया।
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