एक क्रिकेटर जो की अपना पहला अंतरराष्ट्रीय खेलने के लिए मैदान पर उतरता है, हमेशा चाहता है कि उसके कौशल की प्रशंसा टीम के सदस्यों द्वारा हो और विपक्ष का सम्मान हासिल करे। पदार्पण मैच सबसे यादगार होता है, क्योंकि यह एक ऐसा अवसर होता है जब खिलाड़ी को आधिकारिक तौर पर उसके प्रयासों के लिए मान्यता प्राप्त होती है। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में 42 खिलाड़ियों ने अपने पहले टेस्ट में मैन ऑफ़ द मैच पुरस्कार प्राप्त किया है। केपलर वेसल्स 1982 में इस दुर्लभ उपलब्धि को प्राप्त करने वाले पहले खिलाड़ी थे। भारत की नये खिलाड़ियों के खिलाफ संघर्ष करने की प्रथा सी रही है। जो खिलाड़ी अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के शुरुआती चरण में होते हैं, जैसे स्टीव स्मिथ, अजंता मेंडिस, मुस्तफ़िजुर रहमान आदि ने भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाफ बेहतरीन प्रदर्शन किया है। आइए एक नज़र उन खिलाड़ियों पर डालें जो भारत के खिलाफ अपने पहले ही टेस्ट मैच में मैन ऑफ द मैच पुरस्कार जीतने में सफल रहे।
स्टीफ़न फ़्लेमिंग (न्यूज़ीलैंड, 1994)
न्यूज़ीलैंड के पूर्व कप्तान स्टीफन फ्लेमिंग ने 1993-94 में भारत के न्यूजीलैंड दौरे के एकमात्र टेस्ट मैच में भारत के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला। अपने 21वें जन्मदिन से नौ दिन पहले, टेस्ट क्रिकेट में न्यूजीलैंड का प्रतिनिधित्व करने वाले वह 188वें कीवी खिलाड़ी बने थे। बारिश और खराब रोशनी से प्रभावित मैच में न्यूजीलैंड के लिए टेस्ट मैच का अकेला सकारात्मक पहलू फ्लेमिंग की यादगार शुरुआत थी। बाएं हाथ के बल्लेबाज ने मैच में 108 रन बनाए और मेजबान टीम को सुरक्षित स्थिति तक पहुँचाया। असमान गति और उछाल दिखाने वाली चौथी दिन की मुश्किल भरी पिच पर फ्लेमिंग ने 12 चौके लगाए और लगभग तीन घंटे तक 92 रन की एक बेहतरीन पारी खेल मेहमानों को निराश कर दिया।
फ्रैंकलीन रोज़ (वेस्टइंडीज़, 1997)
वेस्टइंडीज के विवादास्पद तेज गेंदबाज फ्रैंकलिन रोज ने अपना पहला टेस्ट मैच भारत के खिलाफ 1996/97 के भारत के वेस्टइंडीज दौरे पर खेला थे। अपने पहले प्रयास में रोज ने मजबूत भारतीय बल्लेबाजी लाइन-अप को झकजोर दिया और 6 विकेट लिए। सबीना पार्क, किंग्स्टन की एक धीमी पिच पर, इस तेज गेंदबाज ने विशेष रूप से बल्लेबाजों को अपनी ट्रेडमार्क फुल लेंग्थ से बाहर स्विंग होती गेंदों से परेशान कर दिया। तीन साल के एक छोटे से अंतरराष्ट्रीय करियर में, जमैका के इस गेंदबाज ने अपने प्रदर्शन से बेहद निराश किया। वह केवल एक बार और पारी में पाँच विकेट निकाल सके और 2000 में टीम से बाहर कर दिए गये।
माइकल क्लार्क (ऑस्ट्रेलिया, 2004)
2004/05 के ऑस्ट्रेलिया के भारत दौरे के पहले टेस्ट में अपना पहला टेस्ट खेलने वाले माइकल क्लार्क के शतक के चलते बेंगलूर में भारत के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया को 217 रन से जीत मिली। 389वें ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट क्रिकेटर क्लार्क ने अपनी पहली टेस्ट पारी में क्रीज पर करीब छह घंटे बिताए। 151 की पहली पारी में उन्होंने 18 चौके और चार बड़े छक्के लगाए। वह अनिल कुंबले पर विशेष रूप से कठोर थे और उनके खिलाफ अपनी इच्छा से रन बनाए। गेंद की पिच पर पहुंचने के लिए कदमो का प्रयोग करना और गेंदों की लम्बाई जल्दी पढ़ने की क्षमता उनकी पहली पारी की झलक थी। दिलचस्प बात यह है कि क्लार्क ने न्यू साउथ वेल्स के लिए खेलते हुए भारत के ही खिलाफ अपने प्रथम श्रेणी करियर की भी शुरुआत की थी।
जेसन क्रेज़ा (ऑस्ट्रेलिया, 2008)
यहां तक कि जेसन 'क्रेज़ी' क्रेजा भी इस पर विश्वास नहीं कर पाएंगे, अगर उन्हें बताया जाये कि एक क्रिकेटर, जो अपने पूरे करियर में केवल दो टेस्ट मैच खेला था, वह अपने पदार्पण टेस्ट में मैन ऑफ द मैच था। भारत के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर श्रृंखला के अंतिम टेस्ट में जेसन ने अपनी पहली टेस्ट कैप पाई थी। दाएं हाथ के इस ऑफ-ब्रेक गेंदबाज ने आठ विकेट तो लिए लेकिन, पहली पारी में 215 रन दिए। पूरे मैच में इस स्पिनर ने 12 विकेट लिए थे लेकिन वह 358 रनों की भारी कीमत पर आये थे। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपना दूसरा और अंतिम टेस्ट खेला जिसमें उन्होंने हाशिम अमला का एकमात्र विकेट लिया और बहुत ज्यादा रन लुटाये।
लुंगी एनगीडी (दक्षिण अफ़्रीका, 2018)
दक्षिण अफ्रीकी टेस्ट विशेषज्ञ डेल स्टेन की एक दुर्भाग्यपूर्ण चोट के कारण, एनगीडी ने भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच फ्रीडम ट्राफी टेस्ट श्रृंखला के दूसरे मैच में अपना टेस्ट कैप अर्जित किया। अपने घर के मैदान पर इस तेज गेंदबाज ने भारतीय बल्लेबाजी लाइनअप को खूब परेशान किया और 7/87 के आंकड़ों के साथ मैच खत्म किया। एक उप-महाद्वीप प्रकार की असमतल उछाल वाली पिच पर दूसरी पारी में इस लंबे क़द के गेंदबाज ने बेहतरीन गेंदबाज़ी की और 6 महत्वपूर्ण भारतीय विकेट भी लिये जबकि केवल 39 रन दिए थे। ऐसा लगता है कि इस लंबे गेंदबाज़ के पास अपने पदार्पण मैच में चमकने की कला सी है। उन्होंने 20 जनवरी 2017 को श्रीलंका के खिलाफ अपने टी-20 पदार्पण पर भी अपना पहला मैन ऑफ द मैच पुरस्कार जीता था। लेखक: आयुश गर्ग अनुवादक: राहुल पांडे