भारत ने टूर्नामेंट में कुल 5 मैच खेल। इनमें से धोनी को सिर्फ 2 बार बल्लेबाजी करने का मौका मिला। वह एक पारी में 27 रन बना सके और एक में वह अपना खाता तक नहीं खोल सके, लेकिन बतौर कप्तान धोनी ने शानदार खेल दिखाया। 2007 वर्ल्ड टी-20: धोनी के हाथों में पहली बार कप्तानी की जिम्मेदारी थी और धोनी ने इस मौके को खूब भुनाया। भारत को पहले टी-20 विश्व कप में जीत दिलाकर धोनी ने चयनकर्ताओं का भरोसा जीता और फैन्स का भी। टूर्नामेंट में वह भारत की ओर दूसरे सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज बने। धोनी ने 6 पारियों में 31 के औसत और 130 के स्ट्राइक रेट के साथ 154 रन बनाए। 2011 वर्ल्ड कपः टूर्नामेंट के शुरूआती 8 मैचों में धोनी ने 30 के औसत के साथ सिर्फ 150 रन बनाए। लेकिन धोनी ने टीम के लिए सबसे बेहतरीन खेल का प्रदर्शन तब किया, जब भारत को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। फाइनल मुकाबले में धोनी ने युवराज के साथ मिलकर भारत को जीत तक पहुंचाया और भारत 1983 के इतिहास को दोहरा सका। धोनी ने फाइनल में 91 रनों की शानदार पारी खेली। बतौर कप्तान धोनी एकमात्र खिलाड़ी हैं, जिन्होंने तीनों टूर्नामेंट्स में जीत हासिल की है। लेखकः विग्नेश अनंतसुब्रमण्यन, अनुवादकः देवान्श अवस्थी