14 नवम्बर 2013, का दिन क्रिकेट जगत के लिए कोई सामान्य दिन नहीं था बल्कि वह एक ऐसा दिन था जब हर भारतीय क्रिकेट फैन अपने आंसुओं को नहीं रोक पा रहा था। उस दिन मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम अपने दर्द को बयां नहीं कर पा रहा था। मैदान के चारों तरफ फैंस एक दूसरे की तरफ देख तो रहे थे मगर सब मौन थे। किसी से क्या कहें और कैसे कहें? सब खामोश थे। आज उनके सामने क्रिकेट का भगवान् है लेकिन आज के बाद वह भगवान दुबारा क्रिकेट मैदान पर खेलता नज़र नहीं आएगा। इसी सोच के साथ सभी फैंस अपने दर्द को बयां नहीं कर पा रहे थे। जब क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर आज ही के दिन उनको अलविदा कह रहे थे। आखिर में वह भी अपने फैंस के सामने अपने आंसुओं को नहीं छुपा सके थे। उन्होंने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच 16 साल की उम्र में करांची में पाकिस्तान के खिलाफ खेला था। अपने 24 साल के क्रिकेट करियर में उन्होंने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टेस्ट मैच 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था। उस टेस्ट मैच को भारत ने एक पारी और 126 रनों से जीता था। उस दौरान सचिन तेंदुलकर ने 74 रनों की शानदार अर्धशतकीय पारी खेली थी। तब उनको दर्शकों से भरपूर समर्थन और प्यार मिला था। उस टेस्ट मैच में भारत के स्पिन गेंदबाज़ प्रज्ञान ओझा को पूरे मैच में 10 विकेट चटकाने की वजह से मैन ऑफ़ द मैच चुना गया था। सचिन तेंदुलकर के करियर के आखिरी मैच को लेकर प्रज्ञान ओझा ने हाल ही में एक खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि सचिन ने अपने आखिरी मैच में अपनी तरफ से सब कुछ सामान्य रखा था। प्रज्ञान ओझा ने कहा "मैं भी सचिन को श्रेय देना चाहूँगा, हालाँकि वह थोड़ा भावुक थे, लेकिन उन्होंने मैच के आखिरी दिन तक अपनी तरफ से सब कुछ सामान्य रखा" "मैंने उस टेस्ट मैच के दौरान अच्छा खेल दिखाने का प्रयास किया था, मैंने यह कल्पना भी नहीं की थी कि मेरा नाम क्रिकेट इतिहास के सुनहरे पन्नो पर छप जाएगा, लेकिन एक मैच में किसी विपक्षी टीम के 20 विकेटों को गिराना कोई आसान बात नहीं होती" : प्रज्ञान ओझा