उतार चढ़ाव जीवन के साथ खेल में भी बहुत मायने रखते है। किसी भी ख़िलाड़ी के लिए खेल में लगातार प्रदर्शन करना सबसे अहम माना जाता है। अगर कोई अपने बुरे समय में भी अच्छा प्रदर्शन करता है, तो वह खेल के प्रति अपनी चाह को बरक़रार रख पाता है लेकिन कई ख़िलाड़ी इन हालातों का सामना करने से चूक जाते हैं और फिर उन्हें अपने निजी जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कुछ ऐसा ही मुंबई के प्रख्यात युवा ख़िलाड़ी प्रणव धनावड़े के साथ हाल ही में देखने को मिला है। साल 2016 के एक जूनियर टूर्नामेंट में प्रणव ने शानदार बल्लेबाजी की और अखबारों की सुर्ख़ियों में अपना नाम गर्व के साथ छपवाया लेकिन यह युवा ख़िलाड़ी अब डिप्रेशन के चलते क्रिकेट को अलविदा कहने का मन बना चुका है। साल 2016 के अंडर 16 क्रिकेट टूर्नामेंट में प्रणव ने 1009 रनों की बेहतरीन पारी खेल विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया था। इस कारण उनकी तुलना क्रिकेट के महान ख़िलाड़ी सचिन तेंदुलकर से की जाने लगी। इसके चलते मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने उन्हें स्कोलरशिप देने का भी फैसला किया था। जिससे वह अपनी पढ़ाई के साथ खेल पर भी ज्यादा ध्यान देना शुरू कर सके लेकिन लगातार अच्छा प्रदर्शन न करने के कारण उन्हें स्कोलरशिप से दरकिनार कर दिया गया और साथ ही एयर इंडिया और दादर यूनियन की तरफ से उन्हें नेट में अभ्यास करने से भी रोक दिया गया था। इसके चलते वह निजी तौर पर काफी परेशान हुए और डिप्रेशन में चले गए। उन्होंने अंत में क्रिकेट छोड़ने का फैसला किया। प्रणव की हालत देखते हुए उनके परिवार वालों ने एमसीए से उनकी स्कोलरशिप को दोबारा से शुरू करने का आग्रह किया। एमसीए ने भी उनसे लगातार अच्छा प्रदर्शन करने की मांग की और फिर से स्कोलरशिप देने का विचार किया है। परिवार के साथ प्रणव के कोच ने भी उन्हें प्रोत्साहित करने में जुटे हैं और उन्होंने विश्वास जताया है कि प्रणव जल्द ही डिप्रेशन से बाहर आकर उम्दा प्रदर्शन करेंगे और अपने आप को एक बेहतरीन बल्लेबाज साबित कर पाएंगे।