हर साल की तरह, इस बार भी रणजी सीजन में ऐसे नए नाम उभर कर आये है, जिनका प्रदर्शन अपेक्षाओं से परे रहा है, अपने संबंधित विभागों में बेहतरीन प्रदर्शन कर वो क्रिकेट जगत की नज़रों में आये हैं। हालांकि आधुनिक क्रिकेटर टी-20 क्रिकेट खेलते हुए बड़े हुए हैं, लेकिन अभी भी प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उपलब्धि हासिल करना सर्वोच्च प्राथमिकता रहती है और कुछ युवा क्रिकेटरों ने यह सुनिश्चित किया है कि वे सबकी नज़रों में आयें।
# 1 अनमोलप्रीत सिंह, पंजाब
5 मैच में 125.50 के औसत से 753 रनपंजाब अंडर -16 और अंडर -19 टीम के सदस्य, शीर्ष क्रम के बल्लेबाज अंमोलप्रीत सिंह बड़े मंच पर तब छाए जब उन्होंने भारत के लिए अंडर -19 विश्वकप के सेमीफाइनल में 72 रन की एक समझदारी भरी पारी खेली। हालांकि वेस्टइंडीज के खिलाफ फाइनल में भारत जीत न सका। इससे पहले, उसी टूर्नामेंट में नामीबिया के खिलाफ 41 उनकी पारी में उन्होंने दिखाया था कि आने वाले समय में वह एक बड़े खिलाड़ी बनेंगे। इसके बाद जल्द ही, अनमोलप्रीत को पंजाब की तरफ से खेलने का मौका मिला, और 2016-17 विजय हजारे ट्राफी में अपना लिस्ट-ए पदार्पण करते हुए 41 गेंदों में 58 रन की पारी खेली, जिसमें 4 चौके और 3 छक्के शामिल थे। हालाँकि यह प्रयास बेकार गया, फिर उन्होंने अगले सीजन में रणजी पदार्पण किया और अपने पहले मैच में अर्धशतक लगाने के बाद, 3 शतक लगाये। गोवा के खिलाफ 113 रन की पारी ने टीम को पारी की जीत दिलायी, छत्तीसगढ़ के खिलाफ उनकी 267 रन की पारी के बूते उनकी टीम फिर से पारी से जीती और सर्विसेज के खिलाफ 252 रन की नाबाद पारी जिसने मैच ड्रा कराने में टीम की मदद की, इन पारियों के साथ उन्होंने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया।
# 2 धर्मेंद्र सिंह जडेजा, सौराष्ट्र
6 मैचों में 26.02 की औसत से 34 विकेटबाएं हाथ के स्पिनर धर्मेंद्रसिंह जडेजा 2012-13 की रणजी सीज़न में पदार्पण के बाद सौराष्ट्र की टीम के प्रमुख सदस्य रहे हैं। रविंद्र जडेजा के साथ इस बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज़ ने टीम के लिए एक उपयोगी गेंदबाज़ी जोड़ी बनाई है। 2015-16 में घरेलू क्रिकेट में अपने चौथे सत्र में जडेजा ने केवल 8 मैच में 24.40 के औसत से 27 विकेट लेकर शीर्ष विकेट लेने वालों की सूची में अपनी जगह बनाई। यह एक ऐसा सत्र था जिसमें सौराष्ट्र फाइनल तक पहुंचा था, और अंत में मुंबई के हाथों हार के चलते अपना पहला रणजी खिताब जीतने से चूक गये। सिर्फ दो साल बाद, जडेजा ने छह मैचों में 26.02 से 34 विकेट लिए और एक कदम आगे बढ़ते हुए अपने जादू को दोहराया। हालांकि इस बार सौराष्ट्र क्वार्टर फाइनल में भी जगह नहीं बना पाया था, लेकिन जडेजा ने भविष्य में खुद के लिए एक मजबूत उम्मीदवारी पेश की।
# 3 विकास मिश्रा, दिल्ली
6 मैचों में 21.50 की औसत से 32 विकेटएक और बाएं हाथ का स्पिनर जिसने घरेलू क्रिकेट में लगातार प्रगति की है, विकास मिश्रा ने अपना नाम बनाने में काफी समय लिया। दिल्ली के लिए 2009-10 के रणजी ट्रॉफी सत्र से शुरुआत के बाद वह 2012 के एशिया कप में दुलीप ट्रॉफी में उत्तरी जोन और भारत अंडर -1 9 के लिए भी मैच खेले। उस टूर्नामेंट में मेजबान टीम के खिलाफ 4/18 का प्रदर्शन करते हुए भारत के फाइनल में प्रवेश में अहम भूमिका निभाई थी। आगामी घरेलू सीजन में उनके छिटपुट प्रदर्शन थे, लेकिन इस बार जब वे फिर से दिल्ली लौट गए तब उन्होंने रेलवे के खिलाफ 7 विकेट, महाराष्ट्र के खिलाफ 5, हैदराबाद के खिलाफ 9 और क्वार्टर फाइनल में मध्य प्रदेश के खिलाफ 8 विकेट लेकर अपना प्रभाव छोड़ा। वह इस साल विकेट लेने वालों की सूची में छठे स्थान पर थे।
# 4 आर संजय, विदर्भ
8 टेस्ट मैचों में 66.81 के औसत से 735 रनविदर्भ के लिये तीन वर्षों में अपने पहले 10 प्रथम श्रेणी के मैचों में संजय के नाम एक शतक और चार अर्धशतक के साथ 26.95 की मामूली औसत से 485 रन थे। सिर्फ अगले 8 मैच के बाद - वर्तमान सत्र में उन्होंने 3 शतक और दो अर्धशतकों के साथ 735 रन जोड़े दिए हैं। अपने कप्तान और ओपनिंग पार्टनर फैज़ फजल के साथ संजय ने न केवल विपक्षी टीमों को हताश करते हुए एक साथ लंबी साझेदारियाँ की हैं, बल्कि दोनों ने अब तक पहले विकेट के लिए दो बार 250 से अधिक रन बनाए हैं । साथ ही 2017-18 सत्र के शीर्ष पांच रन बनाने वालों की सूची में भी शामिल हैं। 22 साल के इस खिलाड़ी को रणजी में अगले कुछ वर्षों में अच्छा प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय टीम की ओर से भी खेलने का अवसर प्राप्त हो सकता है।
# 5 रजनीश गुरबानी, विदर्भ
5 मैचों में 16.67 की औसत से 31 विकेटविदर्भ जैसी कम आंके जाने वाली टीम की ओर से चमकने वाले नामों में से एक, दाएं हाथ के तेज गेंदबाज रजनीश गुरबानी ने अपना रणजी करियर पिछले सत्र में शुरू किया था, हालांकि उनके लिस्ट-ए करियर की शुरुआत एक साल पहले हुई थी। अपने पहले सत्र में गुरबानी ने 25.77 की औसत से 13 विकेट हासिल किए थे। लेकिन इस साल उन्होंने 31 विकेट लेते हुए पहले से दोगुने विकेट हासिल किये और वो भी सिर्फ 16.67 की औसत से। अपनी सटीकता और गति के चलते गुरबानी ने अपने अंतिम पांच प्रयासों में अब चार बार पाँच विकेट हासिल किये हैं, जिनमें से दो सेमीफाइनल में कर्नाटक जैसे एक मजबूत बल्लेबाज़ी क्रम के खिलाफ हैं। 5/94 और 7/68 के योगदान के साथ उन्होंने विदर्भ को टूर्नामेंट को जीतने के उम्मीदवारों में ला खड़ा किया। भारत के तेज गेंदबाज उमेश यादव के साथ गुरबानी ने टीम में सीखा है और अच्छे गेंदबाज़ बनकर उभरे हैं, जिसके लिये वह पूर्व भारतीय क्रिकेटर और विदर्भ में उनके कोच चंद्रकांत पंडित को श्रेय देते है।
# 6 हरप्रीत सिंह, मध्य प्रदेश
7 मैच में 69.89 की औसत से 629 रनमध्य प्रदेश के बल्लेबाज़ हरप्रीत सिंह एकमात्र ऐसे बल्लेबाज थे जिन्होंने सीजन के सभी 7 मैच खेले हैं। हालांकि क्वार्टर फाइनल में टीम को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन हरप्रीत ने 70 की औसत से 629 रन बनाये जिसमें दो शतक और तीन अर्धशतक शामिल हैं। जब भी टीम को जरुरत रही उन्होंने सबसे आगे बढ़ कर प्रदर्शन किया। उन्होंने आखिरी-8 के मैचों में 107 नाबाद और 78 रन की पारी खेली जो नवदीप सैनी और कुलवंत खेजरोलिया जैसे गेंदबाज़ों वाली दिल्ली के गेंदबाजी लाइन-अप के विरुद्ध आयी थी। हालांकि यह प्रदर्शन काम नही आया, फिर भी हरप्रीत ने इस सत्र में अपने प्रदर्शन से सभी का धयान अपनी ओर खींचा है।
# 7 अभिषेक रमन, बंगाल
8 मैचों में 44.50 की औसत से 623 रनबंगाल की अंडर -16 और अंडर -22 टीमों की खोज, बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज अभिषेक रमन ने हिमाचल प्रदेश के खिलाफ 176 रनों की पारी खेली और पंजाब के खिलाफ 155 रनों की पारी खेली। एक और शतक से वह चूक गये जब छत्तीसगढ़ के खिलाफ 94 पर आउट हो गये। उनके सत्र का उच्चतम स्कोर 176, तेज गेंदबाजी के अनुकूल ईडन गार्डन्स पर आया जहां उन्होंने चौथे विकेट के लिए अपने कप्तान मनोज तिवारी के साथ 163 रन बनाए थे। एक अन्य पारी में हरभजन सिंह जैसे बड़े नामों से सजी मेजबान पंजाब की टीम के खिलाफ 155 की पारी खेल सबका ध्यान अपनी ओर खींचा ही साथ ही बंगाल को पारी की जीत दिलायी। हालांकि, आलोचक यह दावा कर सकते है कि रमन ने टूर्नामेंट में कई शुरुआत बरबाद की है। जब वह 27, 33 और 36 के स्कोर पर आउट हुए हैं, लेकिन इतना तो तय है कि 24 साल की उम्र में जो प्रदर्शन बंगाल के इस खिलाड़ी ने किया है, उससे बंगाल के लिये आने वाले सत्रों में एक अच्छा सलामी बल्लेबाज तैयार हो चुका है।
# 8 स्वपनिल सिंह, बड़ौदा
6 मैचों में 62.78 की औसत से 565 रन और 25.50 की औसत से 20 विकेटस्पिन गेंदबाजी ऑलराउंडर स्वपनिल सिंह सिंह का प्रथम श्रेणी बल्लेबाजी रिकॉर्ड साधारण प्रतीत होता है जब आप उनके 69 परियों में 2 शतक के साथ 28 की औसत को देखते हैं। जब वह केवल 14 वर्ष के थे, तब रणजी ट्राफी में उनका करियर शुरू हुआ। लेकिन लगभग 12 साल तक टीम के साथ उनका प्रदर्शन मिला जुला रहा। आखिरकार इस सत्र में उनके प्रदर्शन में निरंतरता आयी जब उन्होंने 2 शतक और 2 अर्धशतक के साथ कुल 565 रन बनाये। बड़ौदा ने इस बार निराशाजनक प्रदर्शन किया और 6 ग्रुप मैचों में केवल एक जीत के साथ चौथे स्थान पर रहा, लेकिन 26 वर्षीय स्वप्निल, विष्णु सोलंकी और आदित्य वाघमोडे के साथ अच्छे रन बनाने में सफल रहे। उन्होंने 164 का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रथम श्रेणी स्कोर बनाया और 20.50 की औसत और 2.27 रन प्रति ओवर की इकॉनमी से 20 विकेट भी हासिल किए।
# 9 अभिमन्यु ईश्वरन, बंगाल
7 मैचों में 47.00 की औसत से 564 रनबंगाल के दूसरे सलामी बल्लेबाज़, 22 वर्षीय अभिमन्यु ईश्वरन ने रणजी ट्रॉफी की शुरुआत से पहले ही अपना फार्म दिखाया। दुलीप ट्रॉफी में भारत ब्लू के लिए खेलते हुए इंडिया रेड के विरुद्ध, दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 127 रन बनाये, जो कि उनका उच्चतम प्रथम श्रेणी स्कोर है। सर्विसेज के खिलाफ बंगाल की ओर से खेलते हुए उन्होंने 65 रन बनाये और फिर न्यूजीलैंड ए की टीम के खिलाफ अनौपचारिक एकदिवसीय मैच में भारत ए के लिए 83 और 49 के स्कोर बनाए। रणजी टीम में वापस आने पर, पंजाब के खिलाफ शानदार शतक लगाया और फिर दो मैचों बाद, क्वार्टर फाइनल में मौजूदा चैंपियन गुजरात के खिलाफ दो शतक लगाए। 129 और 114 की उनकी परियों के बदौलत बंगाल ने पहली पारी की बढ़त हासिल की।
# 10 चिंतन गजा, गुजरात
7 मैचों में 19.46 की औसत से 26 विकेटगुजरात के युवा खिलाड़ियों में से एक चिंतन ने 2016-17 में खिताब जीतने वाली टीम के लिये काफी अच्छा प्रदर्शन किया था, इस वर्ष के क्वार्टर फाइनल में हार झेलने के बावजूद दाएं हाथ के तेज गेंदबाज चिंतन गजा ने इस साल भी सुधार किया। पिछले साल अपने पहले सीज़न में 34.23 की औसत से 13 विकेट लिए थे, उन्होंने 2017-18 के अभियान में विकेट की संख्या बढ़ाते हुए 26 विकेट लिये और उनका औसत भी पहले से बेहतर 19.46 था। राजस्थान में सूरत के खिलाफ 8/40 के बेहतरीन प्रदर्शन से गजा ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा और उनके इस प्रदर्शन के चलते मेहमान टीम को पारी और 107 रन की करारी हार का सामना करना पड़ा। लेखक: हिमांशु अग्रवाल अनुवादक: राहुल पाण्डे