रवि शास्त्री ने टेस्ट क्रिकेट बचाने का अनोखा और नया तरीका बताया, सिर्फ 6 टीमों को लेकर बोली बड़ी बात

Neeraj
India v England - ICC Men
India v England - ICC Men's Cricket World Cup India 2023

Ravi Shastri opinion to save test cricket: पूर्व भारतीय क्रिकेटर (Team India) और कोच रवि शास्त्री ने टेस्ट क्रिकेट की प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखने के लिए टेस्ट क्रिकेट के नवीनीकरण का सुझाव दिया है। लॉर्ड्स में मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब द्वारा आयोजित वर्ल्ड क्रिकेट कनेक्ट्स कार्यक्रम में रवि शास्त्री ने कहा कि टेस्ट खेलने वाले देशों की संख्या को घटाकर छह या सात करने का प्रस्ताव रखा।

रवि शास्त्री ने टेस्ट क्रिकेट बचाने के लिए दिया अहम सुझाव

बता दें कि इस कार्यक्रम में दुनियाभर के कई क्रिकेट जगत से जुड़े लोगों और एक्सपर्ट ने शिरकत की। इस दौरान टी20 फॉर्मेट के युग में टेस्ट क्रिकेट के सामने आने वाली चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

यादगार और रोमांचक मुकाबलों के बावजूद फैंस इस फॉर्मेट को देखने में अब दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। भारत, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के अलावा अन्य देशों में टेस्ट क्रिकेट को लेकर रुझान कम हुआ है। इसका प्रमुख कारण विश्वभर में चल रही तमाम निजी टी20 लीग को माना जा रहा है।

कार्यक्रम ने शास्त्री ने कहा, 'जब आपके पास गुणवत्ता नहीं होती है, तो रेटिंग गिर जाती है। दर्शकों की संख्या भी कम होती है यह अर्थहीन क्रिकेट है, जो कि खेल के लिए सही नहीं है।' उन्होंने तर्क दिया कि टेस्ट क्रिकेट को सबसे मजबूत टीमों के बीच केंद्रित किया जाना चाहिए। इससे ये प्रारूप अपनी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को बनाए रखेगा और अधिक दर्शकों को आकर्षित करेगा।

शास्त्री ने आगे कहा कि मौजूदा समय में 12 टेस्ट टीमें हैं। इसे घटाकर 6 या 7 कर दें और पदोन्नति और निर्वासन प्रणाली बना लें। इन टीमों को दो ग्रुप में स्तर में बांट दें, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में रुचि बनाए रखने के लिए टॉप छह टीमों को खेलते रहने दें। टेस्ट क्रिकेट में स्तरीय प्रणाली का सुझाव नया नहीं है।

हालांकि, इसके तहत टॉप टीमों कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी और फैंस की भी दिलचस्पी बढ़ने के चांस रहेंगे। वहीं, उभरती हुई टीमों को निचले स्तर पर अपनी योग्यता साबित करके रैंक में ऊपर उठने का एक स्पष्ट मार्ग प्रदान करेगा।

यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद और राष्ट्रीय बोर्ड पारंपरिक प्रारूपों को T20 क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता के साथ संतुलित करने की चुनौती से जूझ रहे हैं।

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