कई भारतीय खिलाड़ियों ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के बाद माइक पकड़ कर कॉमेंट्री बॉक्स का रुख किया है। लेकिन इस प्रोफेशन में बहुत कम ने लोगों के दिलों में जगह बनाई है। रवि शास्त्री भी ऐसे क्रिकेटर्स के एक छोटे से ग्रुप से आते हैं जो कॉमेंट्री बॉक्स में भी सफल रहे हैं। यह पूर्व भारतीय कमेंटटर मुंबई में 1993 के वर्ल्ड मास्टर्स टूर्नामेंट से टीवी कॉमेंट्री की दुनिया में आया। आज इन्हें विश्व के नामी कॉमेंटेटर्स में जाना जाता है। उनका साफ उच्चारण और मैदान में चल रहे घटनाक्रमों का बेहिचक वर्णन उन्हें विश्व के श्रेष्ठ कॉमेंटेटर्स में से एक बनाता है। वो मैच के अंत में आपको कॉमेंट्री करते हुए जरूर मिलेंगे क्योंकि दर्शकों को अंतिम क्षणों का मनोरंजन प्रदान करने में कोई उनका सानी नहीं है। लॉर्ड्स में 2002 की नेटवेस्ट ट्रॉफी में उनके शब्द “इंडिया विन” और 2011 विश्वकप के फाइनल में धोनी द्वारा छक्का लगाकर मैच खत्म करने के बाद शास्त्री के “इंडिया लिफ्ट द वर्ल्डकप एंड द पार्टी बिगिन्स” आवाज को कौन भूल सकता है। इन जैसे कई शब्दों और वाक्यों से शास्त्री ने दर्शकों को अपना पसंदीदा कॉमेंटटर बना लिया। उनकी कई स्पष्ट टिप्पणियां स्वाभाविक है लेकिन “रेस्ड टू द बाउंड्री लाइक अ ट्रेसर बुलेट” उनकी श्रेष्ठ लाइन है। शास्त्री ने अपने उच्चारण करने के तरीके को लेकर अपने कई साथी कॉमेंटेटर्स को चुनौती प्रदान कर दी। उन्होंने भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही मौजूदा टेस्ट सीरीज में कई कॉमेंटेटर्स को अपनी मास्टरपीस लाइन बोलने के लिए आमंत्रित किया और चुनौती दी। सुनील गावस्कर की उन्होंने अपनी लाइन का सही उच्चारण करने के लिए तारीफ की, तो दीपदास गुप्ता को और अधिक प्रेक्टिस करके बोलने की सलाह दी।
चुनौतियों को स्वीकार करने वाले भारतीय कप्तान विराट कोहली ने भी रवि शास्त्री के अंदाज में बोलने की कोशिश की और उनके बाद हार्दिक पाण्ड्या और अश्विन भी शास्त्री की तरह बोलते हुए दिखे। मगर शास्त्री की नकल कोई नहीं कर सका।