भारतीय टीम (India Cricket team) के पूर्व हेड कोच रवि शास्त्री (Ravi Shastri) ने वनडे क्रिकेट को जीवित रखने के लिए महत्वपूर्ण सलाह दी है। इंग्लैंड (England Cricket team) के ऑलराउंडर बेन स्टोक्स (Ben Stokes) ने जब वनडे क्रिकेट से संन्यास लिया, तब से इस प्रारूप के अस्तित्व पर खतरा मंडराया हुआ है। 50 ओवर क्रिकेट पर काफी बातचीत हो चुकी है।
कई पूर्व क्रिकेटर्स व विशेषज्ञ इस मामले पर अपनी राय दे चुके हैं। रवि शास्त्री भी इस मामले पर अपनी सलाह दे चुके हैं और अहमदाबाद टेस्ट के दौरान उन्होंने पुरानी बात दोहराई।
रवि शास्त्री ने कहा कि 50 ओवर क्रिकेट में 10 ओवर घटाने की जरुरत है। पूर्व भारतीय हेड कोच के हवाले से द इंडियन एक्सप्रेस ने कहा कि अगर वनडे क्रिकेट को जीवित रहना है तो इसे घटाकर 40 ओवर का करना होगा। शास्त्री ने 1983 वर्ल्ड कप के समय का उदाहरण दिया जब वनडे मैच 60 ओवर के होते थे। शास्त्री के मुताबिक जब फैंस की दिलचस्पी कम हुई तो इसे घटाकर 50 ओवर का कर दिया गया।
पूर्व हेड कोच ने कहा कि यह सही समय है कि ओवरों में कटौती की जाए और इसे 40 ओवर का किया जाए। रवि शास्त्री ने कहा, 'वनडे क्रिकेट को जीवित रखना है तो मुझे लगता है कि भविष्य में इसे 40 ओवर का करना चाहिए। मेरा ऐसा कहने के पीछे का कारण है। जब हमने 1983 में वर्ल्ड कप जीता, तब मैच 60 ओवर के होते थे। जब लोगों की दिलचस्पी कम हुई तो इसे 50 ओवर का कर दिया गया। मेरे ख्याल से अब समय आ गया है जब इसे 40 ओवर मैच कर देना चाहिए। समय के साथ बढ़े।'
उन्होंने आगे कहा, 'मेरे ख्याल से टी20 प्रारूप प्रमुख वजह है। खेल को बढ़ाने के लिए यह इंजेक्शन है। यह खेल के लिए पैसा लाने वाला साधन बन चुका है। मगर मेरे ख्याल से द्विपक्षीय सीरीज भी कम होंगी। दुनियाभर में कई घरेलू लीग हो चुकी हैं जो टी20 प्रारूप के हिसाब से खेली जाती हैं। हमें उन लीगों को होने देना चाहिए और फिर बीच में वर्ल्ड कप का आयोजन करना चाहिए। इसके बीच अगर वर्ल्ड कप या इस तरह की चीजों से पहले जरूरत पड़ती है तो कुछ द्विपक्षीय सीरीज। तब आप तीनों प्रारूपों को बनाए रख सकते हैं।'
शास्त्री के हिसाब से टेस्ट क्रिकेट को सबसे ज्यादा तवज्जों मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'टेस्ट क्रिकेट को सबसे ज्यादा महत्व मिलना चाहिए। यह असली क्रिकेट है। मेरे ख्याल से भारत में तीनों प्रारूपों की जगह है। विशेषकर उपमहाद्वीप में तो है। ऑस्ट्रेलिया में भी तीनों प्रारूपों को देखना पसंद किया जाता है।'