2007 एकदिवसीय विश्व कप की हार ने मुझे बेहतर क्रिकेटर बनने में मदद की: महेंद्र सिंह धोनी

भारत के विश्व कप विजेता कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने आज एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि 2007 एकदिवसीय विश्व कप में हार के बाद भारतीय टीम को जिस तरह की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था, उसने उन्हें एक बेहतर क्रिकेटर बनने में मदद की। भारतीय क्रिकेट के इतिहास में वेस्टइंडीज में हुआ 2007 का विश्व कप सबसे ज्यादा निराशाजनक टूर्नामेंटों में से एक है। बांग्लादेश और श्रीलंका के खिलाफ अपने दो ग्रुप मैच हारकर भारतीय टीम पहले ही राउंड में बाहर हो गई थी। भारत की हार के बाद के बाद रांची में धोनी के घर पर भी पथराव किये गए थे। लेकिन उसके ठीक चार साल बाद धोनी ने इतिहास रचा और अपनी कप्तानी में भारत को विश्व विजेता बनाया। धोनी ने बताया कि जब वो 2007 की हार के बाद लौटे थे तो लोग ऐसा बर्ताव कर रहे थे जैसे मैंने कोई अपराध कर दिया हो। धोनी ने कहा," जब हम वापस लौटे थे तब हमें पुलिस वैन में जाना पड़ा था। मैं वीरू पाजी के बगल में बैठा था। शाम का समय था और हम 60-70 की स्पीड में जा रहे थे। मीडिया वाले अपनी गाड़ियों के साथ हमारा ऐसे पीछा कर रहे थे जैसे हम कोई कातिल या आतंकवादी हो। थोड़ी देर के बाद हमलोग एक पुलिस स्टेशन में पहुंचे। हम वहां कुछ देर रुके और फिर लगभग 15-20 मिनट के बाद हम अपनी गाड़ियों में वहां से निकले। इस घटना का मेरे ऊपर काफी प्रभाव पड़ा और उसके बाद मैंने एक बेहतर क्रिकेटर और बेहतर इंसान बनने की ठानी।" ESPNcricinfo के रिपोर्ट्स के अनुसार धोनी ने कहा कि एक खिलाड़ी होने के नाते आपको इन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है और आपको इसके लिए तैयार रहना चाहिए। आप हर चीज़ के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस में आकर या मैदान पर रो नहीं सकते। 2007 में भारतीय टीम के कप्तान राहुल द्रविड़ थे और धोनी उस टीम में एक विकेटकीपर के तौर पर गए थे। इसके 6 महीने बाद धोनी ने भारतीय टीम की कमान संभाली और 2007 वर्ल्ड टी20 में भारत ने सभी को चौंकते हुए खिताबी जीत हासिल की। गौरतलब है कि धोनी के ऊपर नीरज पाण्डेय ने एक फिल्म बनाई है और इसमें सुशांत सिंह राजपूत ने मुख्य भूमिका निभाई है। ये फिल्म 30 सितम्बर को रिलीज़ होने वाली है।