चैंपियंस ट्रॉफ़ी में फ़ाइनल तक का सफ़र फिर श्रीलंका को उन्हीं के घर में 5-0 से दी मात और घरेलू सीरीज़ में कंगारुओं का भी 4-1 से कचूमर निकालने के बाद, किसी ने सोचा भी नहीं था कि न्यूज़ीलैंड के हाथों सीरीज़ के पहले मैच में टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ेगा। मुंबई के ऐतिहासिक वानखेड़े स्टेडियम में हुए इस मैच में टॉम लैथम और रॉस टेलर के बीच हुई 200 रनों की साझेदारी ने 3 मैचों की वनडे सीरीज़ में मेहमानों को भारत के ऊपर 1-0 की बढ़त दिला दी है।
आख़िर कोहली एंड कंपनी से कहां चूक गई ? क्या भारत को अतिआत्मविश्वास महंगा पड़ गया या फिर कीवियों ने बेहतरीन होमवर्क के साथ सीरीज़ में क़दम रखा है। चलिए एक नज़र डाल लेते हैं मुंबई में मिली हार के पांच प्रमुख कारणों पर।
#1 टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का कोहली का फ़ैसला पड़ा महंगा !
मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में टॉस के मामले में क़िस्मत भारतीय कप्तान विराट कोहली के साथ थी, जहां उन्होंने टॉस जीता। लेकिन इसके बाद लिया गया फ़ैसला सभी को हैरान करने वाला था, मुंबई की इस पिच पर आमूमन लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम विजेता रहती है। उसकी वजह है सपाट विकेट और शाम के बाद पड़ने वाली ओस. जिससे गेंदबाज़ी करने वाली टीम को मुश्किल का सामना करना पड़ता है।
पर कोहली ने इन तमाम चीज़ों की फ़िक्र न करते हुए पहले बल्लेबाज़ी का फ़ैसला किया, शायद इसकी वजह इस मैदान पर दो साल पहले खेला गया दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ वनडे मुक़ाबला था। जहां प्रोटियाज़ ने भारत के सामने 439 रनों का लक्ष्य दे दिया था, जिसके जवाब में टीम इंडिया 224 रनों पर ही ढेर गई थी। लेकिन हर बार एक ही कहानी ख़ुद को दोहराए, संभव नहीं हो पाता। नतीजा ये हुआ कि भारत की शुरुआत ख़राब रही और फिर विराट कोहली ने 121 रनों की पारी खेलते हुए स्कोर को 280 रनों तक ज़रूर पहुंचाया। पर मुंबई की पिच और ओस के बाद भारतीय गेंदबाज़ों के लिए ये स्कोर 20-30 रन कम पड़ गया, यानी टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का फ़ैसला कोहली और टीम इंडिया को भारी पड़ गया।#2 जमे हुए बल्लेबाज़ों ने फेंकी अपनी विकेट
रोहित शर्मा ने दो छक्के लगाते हुए एक बड़े स्कोर की उम्मीद जगाई थी, लेकिन 20 रनों के व्यक्तिगत स्कोर पर उन्होंने एक ग़लत शॉट खेलते हुए अपनी विकेट गंवा दी। इसके बाद 2010 के बाद पहली बार भारत में वनडे खेल रहे दिनेश कार्तिक ने भी कुछ ऐसा ही किया, 47 गेंदो पर 37 रन बनाकर शानदार वापसी करने वाले कार्तिक पूरी तरह लय में दिख रहे थे लेकिन शॉर्ट गेंद पर उन्होंने भी एक ख़राब शॉट खेला और अपनी शुरुआत को बड़े स्कोर में नहीं बदल पाए। जिसका ख़ामियाज़ा टीम इंडिया को भुगतना पड़ा और जल्दी जल्दी विकेट गिरने के सिलसिले की वजह से रन रेट में रफ़्तार नहीं दिख पाई।#3 भारतीय फ़िल्डर्स ने कुछ मौक़ों को गंवाया, हाफ़ चांस को आउट में बदलने से चूके
न्यूज़ीलैंड को 281 रनों का पीछा करने के लिए ज़रूरत थी एक अच्छी शुरुआत की, जो दिखी भी जब 9 ओवर में ही स्कोर 50 के पास पहुंच गया था। हालांकि इसके लिए भारतीय फ़िल्डर्स ने भी कीवियों की ख़ूब मदद की, शुरुआत में ही कॉलिन मुनरो का आसान सा कैच केदार जाधव ने टपका दिया। बात यहीं ख़त्म नहीं हुई इसके बाद भी कई बार भारतीय खिलाड़ियों ने मिले हाफ़ चांसेज़ को आउट में तब्दील करने से चूक गए।#4 कुलदीप और चहल की जोड़ी का फ़्लॉप होना
हाल के दिनों में या फिर यू कहें कि लगातार 9 मैचों में जीत दर्ज करने वाली टीम इंडिया में जीत का सूत्र कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल की जोड़ी भी थी। लेकिन इस मैच में इन दोनों को वैसी क़ामयाबी नहीं मिली, जिसकी उम्मीद थी। कुलदीप ने हालांकि केन विलियमसन को अपना शिकार बनाकर फिरकी में कीवियों को फंसाने की कोशिश की थी, लेकिन उसके बाद उनकी गेंदों में पैनापन नहीं दिखा। लेग स्पिनर चहल को तो इस मैच में कोई क़ामयाबी हाथ नहीं लगी। वैसे इसकी वजह मुंबई में पड़ ही ओस को भी माना जा सकता है, जिससे स्पिनर्स को ख़ासा दिक़्क़त होती है, पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे बहाना ही कहा जाएगा।#5 टॉम लैथम और रॉस टेलर के बीच हुई 200 रनों की साझेदारी
एक बात तो साफ़ है कि हम कहीं से भी कीवियों के शानदार प्रदर्शन को कम नहीं आंक सकते, फिर चाहे गेंद से 4 विकेट झटकने वाले ट्रेंट बोल्ट हों या फिर बल्ले से रिकॉर्ड पारी खेलने वाले टॉम लैथम और रॉस टेलर। 280 रनों के जवाब में जब 18वें ओवर में ही 80 रनों पर कीवियों ने तीन विकेट गंवा दिए थे, तो लगा था कि यहां से अब भारत के लिए जीत की राह मुश्किल नहीं होगी।
लेकिन टॉम लैथम और अनुभवी रॉस टेलर के इरादे कुछ और ही थे, दोनों ने मिलकर भारतीय गेंदबाज़ों को पहले परखा और आराम आराम से खेल रहे थे। लेकिन जैसे ही उनकी नज़रें जम गईं और पिच को समझ चुके थे, तो फिर उनके बल्ले से हर तरह से रन आने लगे। लैथम ने तो स्वीप और रिवर्स स्वीप लगाते हुए स्पिनर्स की दिशा ही बिगाड़ दी थी। किसी भी मैच और परिस्थिति में अगर 200 रनों की साझेदारी होती है तो फिर जीतआसान हो ही जाती है, मुंबई में भी इस जोड़ी ने कुछ ऐसा ही करते हुए सीरीज़ में 1-0 की बढ़त हासिल कर ली है।
3 मैचों की सीरीज़ का अगला मुक़ाबला मुंबई से 150 किलोमीटर दूर पुणे में होगा, जहां भारत के लिए सीरीज़ में बने रहने के लिए जीत बेहद ज़रूरी है तो कीवियों की नज़र होगी पुणे में भी जीत के साथ एक और इतिहास रचने पर।