क्या सचिन तेंदुलकर के पहले 5 वनडे शतक याद हैं आपको ?

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सचिन तेंदुलकर के एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय करियर के शुरुआती सालों में वह आमतौर पर मध्य क्रम में बल्लेबाजी करते थे और उन्हें शतक लगाने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता था। उन्हें एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना पहला शतक बनाने के लिए 76 पारियों और 79 मैचों का इंतजार करना पड़ा था, लेकिन एक बार जब उन्होंने रन बनाना शुरू कर दिया फिर कोई नहीं रोक सका। अपने करियर के दौरान वह सीमित ओवरों के क्रिकेट में सबसे महान बल्लेबाजों में से एक बन गए और अपने महान करियर के दौरान 49 शतक जमाए। यहां उनके शुरुआती सालों पर एक नजर डालते हैं और भारत के लिए बनाए गए पहले 5 शतकों पर करीब से आकलन करते हैं-

#5 110 बनाम ऑस्ट्रेलिया, कोलंबो (प्रेमदासा स्टेडियम), 1994

सचिन तेंदुलकर को एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहले शतक के लिए बहुत समय लग गया और यह एक उच्च क्वालिटी वाली एक ऐसी पारी थी जो अभी तक उस व्यक्ति के दिमाग में ज़िंगा होगी जिसे उस मैच को लाइव देखने का मौका मिला होगा। बल्लेबाजी ऑर्डर में सलामी बल्लेबाज के रूप में प्रमोशन होने के बाद सचिन ने एकदिवसीय बल्लेबाज के रूप में अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन किया और कोलंबों में सिंगर वर्ल्ड सीरीज के तीसरे मैच के दौरान अपनी अद्भुत पारी की बदौलत ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की जमकर खबर ली। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी आक्रमण में क्रेग मैकडरमॉट, शेन वॉर्न, ग्लेन मैकग्रा, टीम मे और स्टीव वॉ (जो उस समय पर नियमित गेंदबाज थे) शामिल थे, लेकिन वे खेल को तेंदुलकर के नियंत्रण से बाहर नहीं ले जा सके। उन्होंने अपने 110 रन के लिए 8 चौके और 2 छक्के लगाए और अपना पहला एकदिवसीय शतक जड़ा। पारी के दौरान सचिन का स्ट्राइक रेट 84.61 का था और जिसकी मदद से भारत 246 के स्कोर तक पहुंच सका। जो अंततः विजेता स्कोर साबित हुआ।

#4 115 बनाम न्यूज़ीलैंड, वड़ोदरा, 1994

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1994 में विल्स वर्ल्ड सीरीज़ के तीसरे मैच में न्यूजीलैंड की पहले बल्लेबाजी थी, जहां कीवी कप्तान केन रदरफोर्ड ने शतक लगाया और विकेटकीपर एडम परोरे ने 96 रन की पारी खेली (अविश्वसनीय रूप से परोरे ने अपनी पारी में एक भी चौका या छक्का नहीं मारा)। न्यूज़ीलैंड ने 50 ओवर में शानदार 269 रन स्कोर बोर्ड पर लगा दिया। यह उस समय पर एक बड़ा स्कोर था और इसमें बहुत उम्मीद नहीं थी कि भारत इस टारगेट को हासिल कर पायेगा। हालांकि, सचिन तेंदुलकर ने कीवी गेंदबाजों पर शुरुआती हमले करके लक्ष्य को छोटा बना दिया और भारत की शानदार शुरुआत करने में मदद की। साथी सलामी बल्लेबाज मनोज प्रभाकर के साथ उन्होंने पहले विकेट के लिए 144 रनों की पारी खेली और फिर मैच एकतरफा हो गया। तेंदुलकर ने 9 चौके और 3 छक्कों की मदद से 136 गेंदों में 84.55 की स्ट्राइक रेट पर 115 रन बनाए। जब सचिन रन आउट हुए तब भारत को जीत के लिए केवल 23 और रनों की जरूरत थी और उन्होंने 11 गेंदों में बचे हुए अतिरिक्त रन बना लिये।

#3 105 बनाम वेस्टइंडीज़, जयपुर, 1994

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जयपुर में वेस्टइंडीज के खिलाफ द्विपक्षीय सीरीज़ के पांचवें और अंतिम एकदिवसीय मैच में भारत ने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और सचिन तेंदुलकर ने 4-1 की सीरीज जीत के लिए भारत की तरफ से एक बार फिर मैच जीताऊ पारी खेली। कैमरन कफी और एंडरसन कमिंस के गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ सचिन ने 134 गेंदों में 105 रनों की पारी में 10 चौके लगाए। ऐसा कहा जा सकता है कि शायद यह उनके बल्ले से निकली कोई बहुत आक्रामक पारी नहीं थी क्योंकि वास्तव में उन्होंने पूरे पारी के दौरान एक भी छक्का नहीं जड़ा। तेंदुलकर ने अजय जडेजा के साथ पहले विकेट के लिए 95 रनों की साझेदारी की और उसके बाद अपने खास दोस्त विनोद कांबली के साथ 117 रन जोड़कर भारत ने 50 ओवर में 259 रन बनाए। यह सचिन के करियर की तीसरी व साल का भी तीसरा एकदिवसीय शतक था, जिसमें पता चला कि केवल 21 वर्ष की आयु में वह सीमित-ओवर बल्लेबाज के रूप में परिपक्व हो चुके थे।

#2 112 नाबाद बनाम श्रीलंका, शारजाह,1995

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अप्रैल 1995 में शारजाह में आयोजित एशिया कप के 5वें मैच में भारत ने श्रीलंका के ख़िलाफ़ 8 विकेट से मैच जीत लिया, इस जीत के पीछे की वजह उनके सलामी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की शानदार पारी थी और टीम इंडिया ने मैच अपने कब्जे में कर लिया। भारत ने श्रीलंका को 50 ओवरों में 9 विकेट पर 202 रन पर सीमित कर दिया था और लक्ष्य का पीछा करते हुए तेंदुलकर ने अपने खेल से श्रीलंकाई चीतों को चारों खाने चित कर दिया। उन्होंने चमिंडा वास, धर्मसेना और रामानैके पर ताबड़तोड़ रन बरसाते हुए श्रीलंकाई हमले को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया और केवल 107 गेंदों में 115 रन बना डाले जिसमें 15 चौके और 1 छक्के शामिल थे। तेंदुलकर ने 104.67 की स्ट्राइक रेट के साथ उस समय अपने करियर का सबसे तेज़ शतक बनाया और वह अंत तक नाबाद रहे। सचिन की पारी की बदौलत भारत ने 34वें ओवर में 8 विकेट से मैच अपनी मुठ्ठी में कर लिया।

#1 127 नाबाद बनाम केन्या, कटक, 1996

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1996 विश्व कप टूर्नामेंट में सचिन तेंदुलकर को दुनिया के सबसे विनाशकारी बल्लेबाजों में से एक के रूप में दर्जा मिला हुआ था और उन्होंने कटक में केन्या के खिलाफ भारत के पहले मैच में इसे दिखा भी दिया। केन्या ने अपने 50 ओवर में 6 विकेट पर 199 रन बनाये थे। खेल के नतीजे पर किसी को संदेह नहीं था, लेकिन तेंदुलकर ने मैच को पूरी तरह से अपने नाम कर लिया और शुरुआत से लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत के लिए एक शानदार शतक बनाया। उन्होंने भारत को एक तेज व मजबूत शुरुआत दी और साथी सलामी बल्लेबाज अजय जडेजा के साथ 163 रन जोड़ दिये। सचिन के बल्ले से कई शानदार स्ट्रोक्स देखने को था और तेंदुलकर ने 15 चौके और एक छक्के की मदद से 127 रनों की पारी खेली, जो केवल 138 गेंदों से आयी थी। उन्होंने 92.02 की स्ट्राइक रेट से रन बनाये और सचिन ने नाबाद रहते हुए मैच को 42वें ओवर में समाप्त कर दिया। लेखक- सोहम सम्मदर अनुवादक- सौम्या तिवारी