क्या सचिन तेंदुलकर के टेस्ट करियर के पहले 5 शतक आपको याद हैं ?

119 OLD TRAFORD

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर आज क्रिकेट के भगवान के तौर पर जाने जाते हैं। अपने करियर में सचिन ने कई ऐसी पारियां खेली जो क्रिकेट इतिहास में अमर हो गईं और आज भी याद की जाती हैं। साल 1989 में सचिन तेंदुलकर को पहली बार पाकिस्तान दौर के लिए भारतीय क्रिकेट टीम में चुना गया। 16 साल की उम्र में भारत के लिए क्रिकेट टीम में चयन पाने वाले सचिन तेंदुलकर के लिए उस समय ऐसा माना जा रहा था कि वह आने वाले समय में भारत के स्टार खिलाड़ियों की सूची में अपना नाम दर्ज कराने में सफलता हासिल करेंगे और आगे चलकर ऐसा मुमकिन भी हुआ। सचिन ने अपने करियर में भारतीय टीम के लिए कई अहम पारियां खेली। इसके साथ ही सचिन ने व्यक्तिगत तौर पर भी कई रिकॉर्ड अपने नाम किए। अंतरराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट में सचिन का पहला शतक इंग्लैंड के खिलाफ आया। आइए एक नजर डालते हैं सचिन के शुरुआती 5 टेस्ट शतकों पर: #5 119* बनाम इंग्लैंड, ओल्ड ट्रैफर्ड, 1990 ओल्ड ट्रैफर्ड, मैनचेस्टर में तीन मैचों की श्रृंखला के दूसरे टेस्ट की दूसरी पारी में, सचिन ने अपने करियर की पहली शतकीय पारी खेली। इसके साथ ही सचिन ने अपनी पारी के बदौलत भारतीय क्रिकेट टीम को खेल के आखिरी दिन एक शर्मनाक हार से बचाया। अपने करियर के पहले शतक के साथ ही सचिन तेंदुलकर 17 साल और 107 दिनों की उम्र में टेस्ट शतक बनाने वाले उस वक़्त के सबसे युवा बल्लेबाज बने। फिलहाल तेंदुलकर इतने सालों के बाद सबसे युवा टेस्ट शतकों की सूची में चौथे स्थान पर काबिज हैं। इस टेस्ट मैच में टीम इंडिया को जीतने के लिए आखिरी दिन 408 रन बनाने थे, जो कि आसान काम नहीं था। भारत को इस मैच को ड्रॉ करने के लिए पूरा दिन खेलना था। जब तेंदुलकर बल्लेबाज़ी करने आए तो स्कोरबोर्ड 109-4 था। इसके बाद क्रीज पर सचिन ने टीम की कमान संभाली और टिककर खेलते हुए रन बटोरते गए। इस पारी में उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से गेंदबाजों को जमकर परेशान किया। अपनी नाबाद 119 रनों की पारी में सचिन तेंदुलकर ने 17 चौके लगाए और लगभग 63 की स्ट्राइक रेट से रन बनाते गए। आखिरी दिन के खत्म होने तक सचिन तेंदुलकर क्रीज पर बने रहे और नाबाद पवेलियन लौटे। इसके साथ ही टीम इंडिया ने हार को टालते हुए इंग्लैंड के खिलाफ एक ड्रॉ मैच खेला। 17 साल की उम्र में इंग्लैंड जैसी टीम के सामने नाबाद रहकर पवेलियन लौटना किसी भी खिलाड़ी के लिए मायने रखता था। ऐसे में उनका पहला शतक उनकी बेहतरीन पारियों में भी शुमार है। # 4 148* बनाम ऑस्ट्रेलिया, सिडनी, 1992 148 ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में पहले से ही 2-0 से पीछे था। इसके बाद सिडनी में 6 नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए तेंदुलकर ने शानदार शतकीय पारी को अंजाम तक पहुंचाया। ऑस्ट्रेलिया की धरती पर खेली गई सचिन तेंदुलकर की पारियों में निकला ये शतक उनके करयिर के सबसे शानदार शतकों में से एक था। जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी में नाबाद 148 रनों की पारी खेली। इस मैच में रवि शास्त्री ने 206 रनों का योगदान दिया, लेकिन तेंदुलकर के जरिए खेली गई 148 रनों पर नॉट आउट पारी शास्त्री की पारी पर भारी पड़ गई। उन्होंने इस मैच में 69.48 की स्ट्राइक रेट से 13 बाउंड्री लगाई। क्रेग मैकडरमॉट, मर्व ह्यूज, ब्रूस रीड और शेन वॉर्न जैसे गेंदबाजों से सजा ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी आक्रमण सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी के आगे पूरी तरह से ध्वस्त पड़ चुका था. इस मैच की पहली पारी में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी के 313 रनों के जवाब में 483 रन बनाये। ऑस्ट्रेलियाई टीम की जीत की आशाओं पर पानी फेरते हुए सचिन तेंदुलकर का शतक किसी करिश्मे से कम नहीं था। इस पारी ने तेंदुलकर को विश्व क्रिकेट में बल्लेबाज की नई प्रतिभा के रूप में स्थान दिलाया। इस पारी में तेंदुलकर ने विकेट के चारों ओर रन बनाए और शानदार खेल का परिचय दिया। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान और महान टिप्पणीकार रिची बेनॉव ने इस पारी को कुछ इस तरह अपनों शब्दों से सराबा, ''यह (सिडनी में सचिन का शतक) कुछ और ही था और मैं इसके बाद से आश्चर्यचकित हूं।" # 3 114 बनाम ऑस्ट्रेलिया, पर्थ, 1992 114 साल 1992 में पर्थ में 5वें टेस्ट मैच में तेंदुलकर के जरिए खेली पारी साहसिक पारियों से एक मानी जाती है। इस पारी में उन्होंने ऑस्ट्रलियाई गेंदबाजी आक्रमण का डटकर सामना किया। पर्थ उस समय दुनिया में सबसे तेज पिच वाले मैदान के तौर पर जाना जाता था, ऐसे में उस पिच पर ऑस्ट्रेलिया के चार तेज गेंदबाजों (क्रेग मैकडरमोट, मर्व ह्यूज, माइक व्हिटनी और पॉल रेफेल) का टिककर सामना करना और शतक लगा देना आसान काम नहीं था और वो भी ऐसे मौके पर शतक लगाना जब भारतीय टीम के 6 बल्लेबाज सिर्फ 135 रन के स्कोर पर पवेलियन लौट चुके हों। तेंदुलकर ने अकेले पारी को संभालते हुए ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को तंग करके रखा। तेंदुलकर ने इस मैच से पहले ही अपना 19वां जन्मदिन मनाया था और उनकी ऐसे मौके पर खेली गई इस पारी के कारण टीम के कई सीनियर खिलाड़ियों को शर्मिंदगी भी महसूस करनी पड़ी। विश्व की सबसे खतरनाक पिचों में से एक पर्थ की पिच पर सचिन तेंदुलकर ने शानदार खेल के बदौलत तेजी से 16 चौकों की मदद से 114 रनों की धमाकेदार पारी खेली। इस पारी के दौरान उनकी स्ट्राइक रेट अविश्वसनीय तरीके से 70.80 दर्ज की गई। सचिन तेंदुलकर की इस पारी के कई सालों बाद बात करते हुए ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान इयान चैपल ने कहा ''यहां 18 वर्ष की उम्र का बच्चा आता है। वह कम उछाल वाले पिचों से खेलकर दुनिया के सबसे तेज पिच पर आकर अलग परिस्थितियों का सामना कर 114 रन बना जाता है।'' # 2 111 बनाम दक्षिण अफ़्रीका, जोहान्सबर्ग, 1992 111 दक्षिण अफ्रीका में भारत का पहला दौरा किसी बुरे सपने से कम नहीं था। दक्षिण अफ्रीका में खेलने गई भारतीय क्रिकेट टीम को पूरी सीरीज में वहां की हालात से पार पाने के लिए संघर्ष करते हुए ही देखा गया। इस 4 टेस्ट मैचों की सीरीज में भारत को 1-0 से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, इस सीरीज में मिली ये हार तब और भी ज्यादा बुरी हो सकती थी जब किसी भी बल्लेबाज का बल्ला न चलता। इस सीरीज में सचिन तेंदुलकर ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए भारत को एक छोर से संभाले रखा, लेकिन टीम को जीत दिला पाने में नाकाम साबित हुए। इस सीरीज में तेंदुलकर की दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में खेली गई पारी काफी यादगार पारियों में से एक रही। इस मैच में तेंदुलकर नंबर-6 पर बल्लेबाजी करने के लिए मैदान पर आए। उस समय टीम काफी मुसीबत में थी और टीम 4 विकेट 77 रनों के स्कोर पर ही गंवा चुकी थी। इसके बाद 125 रनों पर टीम को पांचवां झटका भी लग गया। हालांकि, इस मैच में सचिन तेंदुलकर ने सहज खेल का परिचय दिया। सचिन तेंदुलकर की इस पारी में उन्होंने एलन डोनाल्ड और क्रेग मैथ्यूज जैसे तेज गेंदबाजों का डटकर सामना किया और भारत को शर्मिंदगी से भी बचा लिया। 6 घंटे से ज्यादा वक्त तक चलने वाली इस पारी में तेंदुलकर ने 19 चौके लगाए और लगभग मैदान के हर कोने में शॉट खेले। इसके साथ ही तेंदुलकर ने इस पारी में 111 रन बनाए। ये पारी टेस्ट क्रिकेट में उनके लिए 1000 रन भी लेकर आई। उस समय वह उस मील का पत्थर तक पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे। इस मैच में भारत ने दक्षिण अफ्रीका के 292 के जवाब में 227 रन बनाए और मैच को ड्रॉ कराने में कामयाबी हासिल की। # 1 165 बनाम इंग्लैंड, चेन्नई, 1993 165 1993 में इंग्लैंड के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों की सीरीज भारत की सबसे यादगार श्रृंखला जीत में से एक थी। चेन्नई में दूसरे टेस्ट में, मेजबान टीम ने एक पारी की जीत हासिल की। इस मैच में सचिन तेंदुलकर ने अपने टेस्ट करियर का पांचवां शतक भी बना डाला। जब भारत के 2 विकेट पर 149 बन चुके थे तो सचिन तेंदुलकर क्रीज पर आए और नवजोत सिंह सिद्धू के साथ साझेदारी कर अपने टेस्ट करियर के पहले 150+ व्यक्तिगत स्कोर को अंजाम तक पहुंचाने में सफलता हासिल की। इस पारी में उन्होंने 6 घंटे से भी ज्यादा समय तक इंग्लैंड के गेंदबाजों की जमकर खबर ली और एक पारी में उन्होंने 24 चौकों और कई शानदार छक्कों की बदौलत 165 रन बनाए। चेन्नई में यह उनका पहला शतक था। चेन्नई का मैदान सचिन तेंदुलकर के पसंदीदा मैदानों में से एक है। सचिन तेंदुलकर की ये पारी इस मायनों में भी खास थी क्योंकि सचिन के टेस्ट करियर का ये ऐसा पहला ऐसा शतक था जब सचिन ने शतक भी बनाया हो और टीम इंडिया ने जीत भी हासिल की हो। इस मैच में भारत ने 560 रनों पर पारी घोषित कर दी जिसके बाद इंग्लैंड को दोनों पारियों में आउट कर इस मैच में टीम इंडिया ने कब्जा कर लिया। इसके साथ ही टीम इंडिया ने इस सीरीज में 2-0 की अजेय बढ़त भी हासिल करने में कामयाबी हासिल की। लेखक: सोहम समद्दर अनुवादक: हिमांशु कोठारी