साल 1992 में पर्थ में 5वें टेस्ट मैच में तेंदुलकर के जरिए खेली पारी साहसिक पारियों से एक मानी जाती है। इस पारी में उन्होंने ऑस्ट्रलियाई गेंदबाजी आक्रमण का डटकर सामना किया। पर्थ उस समय दुनिया में सबसे तेज पिच वाले मैदान के तौर पर जाना जाता था, ऐसे में उस पिच पर ऑस्ट्रेलिया के चार तेज गेंदबाजों (क्रेग मैकडरमोट, मर्व ह्यूज, माइक व्हिटनी और पॉल रेफेल) का टिककर सामना करना और शतक लगा देना आसान काम नहीं था और वो भी ऐसे मौके पर शतक लगाना जब भारतीय टीम के 6 बल्लेबाज सिर्फ 135 रन के स्कोर पर पवेलियन लौट चुके हों। तेंदुलकर ने अकेले पारी को संभालते हुए ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को तंग करके रखा। तेंदुलकर ने इस मैच से पहले ही अपना 19वां जन्मदिन मनाया था और उनकी ऐसे मौके पर खेली गई इस पारी के कारण टीम के कई सीनियर खिलाड़ियों को शर्मिंदगी भी महसूस करनी पड़ी। विश्व की सबसे खतरनाक पिचों में से एक पर्थ की पिच पर सचिन तेंदुलकर ने शानदार खेल के बदौलत तेजी से 16 चौकों की मदद से 114 रनों की धमाकेदार पारी खेली। इस पारी के दौरान उनकी स्ट्राइक रेट अविश्वसनीय तरीके से 70.80 दर्ज की गई। सचिन तेंदुलकर की इस पारी के कई सालों बाद बात करते हुए ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान इयान चैपल ने कहा ''यहां 18 वर्ष की उम्र का बच्चा आता है। वह कम उछाल वाले पिचों से खेलकर दुनिया के सबसे तेज पिच पर आकर अलग परिस्थितियों का सामना कर 114 रन बना जाता है।''