सचिन तेंदुलकर क्रिकेट जगत में विश्व के महान खिलाड़ियों में से एक हैं। अपनी बल्लेबाजी से सचिन तेंदुलकर विरोधी खेमे को कई बार आश्चर्य में डालने का काम करते थे। अपनी शानदार बल्लेबाजी के दम पर ही सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट में कई ऐसे कीर्तिमान स्थापित किए हैं जिन्हें आज भी याद किया जाता है। अपने 24 साल के क्रिकेट करियर में सचिन तेंदुलकर ने 100 अंतर्राष्ट्रीय शतक लगाए हैं, जिसमें से 49 शतक सचिन तेंदुलकर ने एकदिवसीय मैचों में लगाए हैं तो वहीं 51 शतक सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट मैचों में लगाए हैं। सचिन तेंदुलकर के 51 टेस्ट शतकों को याद करने के इस सफर में उनके पहले टेस्ट शतक से लेकर 20 टेस्ट शतक तक पहले ही बात की जा चुकी है। आइए अब एक नजर सचिन तेंदुलकर के टेस्ट में 21वें शतक से लेकर 25वें शतक पर भी डाल लेते हैं:
#21वां शतक-217 अहमदाबाद में न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ (1999)
3 टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-0 से बढ़त हासिल करने के बाद भारत ने मोटेरा में टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय क्रिकेट टीम को 102 रनों पर ही 2 विकेटों का नुकसान झेलना पड़ गया था। इस समय टीम को जरूरत थी कि परिस्थियों को ध्यान में रखते हुए टीम एक बड़ा स्कोर खड़ा कर दे। राहुल द्रविड़ भी कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए और 33 रन बनाकर अपना विकेट गंवा बैठे। राहुल द्रविड़ के आउट हो जाने के बाद कप्तान सचिन तेंदुलकर 4 नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए मैदान पर आए। कोई नहीं जानता था कि मैदान पर आकर सचिन तेंदुलकर अपने टेस्ट करियर में अब तक की अपनी सबसे बड़ी पारी को अंजाम देने वाले थे। मैदान पर आकर सचिन तेंदुलकर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद शॉट खेलकर रन बटोरते गए। इस पारी में उन्होंने पहले शतक बनाया जो कि उनके करियर का 21वां टेस्ट शतक था। फिर देखते ही देखते सचिन तेंदुलकर 150 रनों के स्कोर को भी पार कर गए। इतना ही नहीं सचिन तेंदुलकर ने अब तक के अपने सर्वाधिक स्कोर को भी पीछे छोड़ कर दोहरे शतक की तरफ कदम बढ़ा दिया था। सधी हुई बल्लेबाजी और शानदार फॉर्म की वजह से सचिन तेंदुलकर ने पहली बार अपने टेस्ट करियर में 200 रनों की पारी खेली। इस मैच में सचिन तेंदुलकर ने अपने टेस्ट करियर का पहला दोहरा शतक लगाया। सचिन तेंदुलकर ने इस पारी में 217 रन बनाए। अपनी इस दोहरे शतक की पारी के दौरान सचिन तेंदुलकर ने कई साझेदारियां भी निभाई। पहली साझेदारी उन्होंने तीसरे विकेट के लिए सदगोपपण रमेश के साथ 80 रनों की निभाई। इस पारी में सदगोपपण रमेश ने भी शतकीय पारी खेलते हुए 110 रन बनाए। वहीं इसके बाद उन्होंने चौथे विकेट के लिए दूसरी साझेदारी सौरव गांगुली के साथ की। सौरव गांगुली के साथ उन्होंने इस पारी में 281 रनों की मजबूत साझेदारी निभाई, जो कि इस मैच की निर्णायक साझेदारी साबित हुई। सौरव गांगुली ने भी इस पारी में शतक लगाया और 125 रन बनाए। 8 घंटे से भी ज्यादा बल्लेबाजी करते हुए सचिन तेंदुलकर ने 217 रन बनाए और उनकी इस पारी के बदौलत टीम इंडिया न्यूजीलैंड के खिलाफ पहली पारी में ही 583 रनों का स्कोर खड़ा करने में कामयाब रही। भारतीय क्रिकेट टीम के जरिए पहली पारी में बनाए गए 583 रन न्यूजीलैंड के खिलाफ पहली पारी में बनाए गए सर्वाधिक रन हैं। हालांकि ये मैच आखिर में ड्रॉ हो गया। वहीं इस मैच में अपने पहले दोहरे शतक के कारण सचिन तेंदुलकर को मैन ऑफ द मैच भी चुना गया।
#22वां शतक- 116 मेलबोर्न में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ (1999)
दिसंबर 1999 में भारतीय क्रिकेट टीम ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया। भारतीय टीम का ये दौरा 8 साल बाद था। इससे पहले भारतीय टीम ने साल 1991/92 में ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था जो कि टीम इंडिया के काफी संघर्ष भरा रहा था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने पहले दौरे पर सचिन तेंदुलकर ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए नाबाद 148 रनों की पारी और 114 रनों की पारी खेली थी, लेकिन इस बार का ऑस्ट्रेलिया दौर सचिन तेंदुलकर के लिए बेहद खास था क्योंकि इस बार सचिन तेंदुलकर टीम इंडिया के कप्तान के तौर पर मैदान पर खेलने वाले थे। हालांकि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्हीं की जमीन पर सचिन तेंदुलकर की कप्तानी में भारतीय टीम की शुरुआत काफी खराब रही। सचिन तेंदुलकर की कप्तानी में भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खेले गए पहले टेस्ट मैच में हार का सामना करना पड़ा था। इस मैच में सचिन तेंदुलकर ने पहला पारी में अर्धशतक लगाते हुए 61 रनों की पारी खेली थी लेकिन दूसरी पारी में सचिन तेंदुलकर अपना खाता तक नहीं खोल पाए थे और ऑस्ट्रेलिया ने सचिन तेंदुलकर को 0 रन पर ही आउट कर पैवेलियन का रास्ता दिखा दिया था। वहीं ऑस्ट्रेलिया दौर पर खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में भारतीय टीम ने टॉस जीता और पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। इसके साथ टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को पहले बल्लेबाजी करने के लिए आमंत्रित किया। हालांकि सचिन तेंदुलकर की कप्तानी में टीम को उम्मीद थी कि भारतीय गेंदबाद ऑस्ट्रेलिया के जल्दी विकेट झटक लेंगे लेकिन ऐसा मुमकिन हो न सका। पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया की ओर से स्लेटर ने 91 रनों की पारी, रिकी पोंटिंग ने 67 रनों की पारी और एडम गिलक्रिस्ट ने 78 रनों की पारी खेली। इनकी अर्धशतकीय पारियों के बदौलत ऑस्ट्रेलिया एक बड़े स्कोर की तरफ बढ़ चुका था। इसके अलावा निचले क्रम के बल्लेबाजों में ली और फ्लेमिंग ने अच्छी बल्लेबाजी की और ऑस्ट्रेलिया के लिए रन बटोरे। जिसकी मदद से आखिर में ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में 405 रन बनाने में कामयाब रहा। पहले टेस्ट में भारतीय बल्लेबाज बुरी तरह से विफल रहे थे क्योंकि वे केवल दो पारियों में 395 रन ही बना सके थे। इसलिए इस मैच में बल्लेबाजों को जिम्मेदारी लेनी थी। हालांकि, मेजबान के बनाए 405 रनों के जवाब में इस बार भी भारतीय बल्लेबाजों का पहले टेस्ट मैच जैसा ही हाल रहा। दूसरे टेस्ट मैच में भारत को शुरुआती झटके लग चुके थे। भारत के 2 विकेट 7 ओवर में महज 11 रनों के स्कोर पर ही पैवेलियन लौट चुके थे। इसके बाद सचिन तेंदुलकर मैदान पर बल्लेबाजी करने आए। सचिन तेंदुलकर ने मैदान पर टीम की कमान संभालने के बाद धीरे-धीरे स्कोर बोर्ड को आगे बढ़ाया। उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी तिकड़ी मैक्ग्रा, फ्लेमिंग और ली की खतरनाक गेंदबाजी का डटकर सामना किया और क्रीज पर डटे रहे। इस पारी में सचिन तेंदुलकर ही एकमात्र ऐसे बल्लेबाज थे जो संयमित होकर बल्लेबाजी करते रहे और रन बनाते रहे। सचिन तेंदुलकर के अलावा कोई भी बल्लेबाज अच्छी पारी नहीं खेल पाया और टीम इंडिया के सारे बल्लेबाज ताश की पत्तों की तरह ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी के आगे ढ़ह गए। पहली पारी में बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया सिर्फ 238 रन ही बना पाई। इस पारी में सचिन तेंदुलकर ही एकमात्र ऐसे बल्लेबाज थे जिन्होंने रन बनाए और अपने करियर का 22वां टेस्ट शतक भी लगा डाला। सचिन तेंदुलकर ने इस पारी में 116 रन बनाए। इस पारी में भारतीय बल्लेबाजों की ओर से सचिन तेंदुलकर के बनाए 116 रन के अलावा सर्वाधिक स्कोर 31 रन था। वहीं इस मैच की दूसरी पारी में भी सचिन तेंदुलकर ने ही टीम इंडिया की ओर से सर्वाधिक 52 रनों की पारी खेली। सचिन के अलावा कोई भी भारतीय बल्लेबाज ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी आक्रमण को झेल नहीं पाया, जिसके कारण पूरी टीम को दूसरे टेस्ट मैच में 180 रनों से हार का सामना करना पड़ा। टीम इंडिया इस मैच में जरूर हार गई लेकिन कप्तान सचिन तेंदुलकर को इस मैच में मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया। तेंदुलकर इस मैच में एकमात्र शतक लगाने वाले बल्लेबाज थे।
#23वां शतक-122 दिल्ली में जिम्बाब्वे के ख़िलाफ़ (2000)
साल 2000 में भारत और जिम्बाब्वे के बीच टेस्ट सीरीज खेली गई। ये पहला मौका था जब भारत और जिम्बाब्वे के बीच एक से ज्यादा टेस्ट मैचों की सीरीज खेली गई हो। जिम्बाब्वे अभ्यास मैचों में काफी अच्छे प्रदर्शन के बाद भारत के खिलाफ आत्मविश्वास से भरा हुआ था। फिरोज शाह कोटला, दिल्ली के मैदान पर भारत और जिम्बाब्वे के बीच टेस्ट मैच खेला गया। जिसमें जिम्बाब्वे ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। हालांकि जिम्बाब्वे का टॉप बल्लेबाजी क्रम कुछ खासा कमाल नहीं दिखा पाया और उसके टॉप बल्लेबाज 155 रनों के स्कोर पर ही पैवेलियन लौट चुके थे। हालांकि निचले क्रम के कुछ बल्लेबाजों ने ठीक प्रदर्शन किया। जिम्बाब्वे की ओर से एंडी फ्लॉवर ने टीम के लिए शानदारी पारी खेली, जिसकी बदौलत जिम्बाब्वे की टीम भारतीय टीम के आगे एक सम्मानजनक स्कोर खड़ा कर पाई। एंडी फ्लॉवर ने शानदार 183 रनों की पारी खेली। जिसके कारण जिम्बाब्वे की टीम ने पहली पारी में 422 रन बना दिए। इसके जवाब में भारतीय टीम ने ठीक शुरुआत की। 132 रनों के स्कोर पर भारतीय टीम के 2 विकेट आउट हो जाने के बाद सचिन तेंदुलकर ने राहुल द्रविड़ के साथ मैदान पर टीम की कमान संभाली। टीम इंडिया को इस समय एक मजबूत साझेदारी का दरकार थी कि जो टीम इंडिया को सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ के रूप में मिली। इस पारी में राहुल द्रविड़ ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए 200 रनों की पारी खेली तो वहीं दूसरे छोर से सचिन तेंदुलकर राहुल का साथ दे रहे थे। इस दौरान सचिन तेंदुलकर ने अपने टेस्ट करियर का 23वां शतक पूरा किया। सचिन तेंदुलकर ने इस पारी में 122 रन बनाए। भारतीय ने 458 रनों पर पहुंचकर अपनी पहली पारी घोषित कर दी थी। इसके बाद दूसरी पारी में जिम्बाब्वे को भारतीय टीम ने 225 रनों पर ही रोक दिया। जिसके कारण टीम को जीत के लिए 190 रनों का लक्ष्य मिला। दूसरी पारी में भारत की शुरुआत खराब रही और टीम इंडिया के 2 विकेट 15 रनों के स्कोर पर ही गिर चुके थे। हालांकि भारतीय टीम ने आखिरकार 7 विकेट से इस मैच को अपने नाम कर लिया था।
#24वां शतक- 201* नागपुर में जिम्बाब्वे के ख़िलाफ़ (2000)
जिम्बाब्वे के खिलाफ भारतीय टीम टेस्ट सीरीज में पहला टेस्ट मुकाबला 7 विकेट से अपने नाम कर चुकी थी। जिसके बाद दूसरे टेस्ट में भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। जिसके बाद भारत के टॉप 3 बल्लेबाजों ने पहले बल्लेबाजी करने का भरपूर मजा उठाया। सचिन तेंदुलकर के मैदान पर बल्लेबाजी करने आने से पहले भारत ने 2 विकेट के नुकसान पर 227 रन बना लिए थे, इतने रनों पर भारत मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहा था। भारतीय टीम चाह रही थी कि टीम का स्कोर बढ़ाकर विरोधी टीम पर दबाव बना दिया जाए। सचिन तेंदुलकर के मैदान पर आने के बाद टीम इंडिया अपनी पारी में एक बड़ा स्कोर खड़ा करने में कामयाब हो पाई। सचिन तेंदुलकर ने इस मैच में खेलते हुए अपने टेस्ट करियर का 24वां शतक तो पूरा किया ही साथ ही अपने करियर का दूसरा दोहरा शतक भी ठोक दिया। इस मैच में सचिन तेंदुलकर ने 281 गेंदों का सामना कर नाबाद 201 रनों की पारी खेली। उनकी इस पारी के साथ ही भारतीय टीम ने 609 रनों पर अपनी पारी घोषित कर दी। भारत की ओर से पहले टेस्ट मैच में 213 रनों की साझेदारी निभाने वाले सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ ने दूसरे टेस्ट मैच में भी 200 से ज्यादा रनों की साझेदारी निभाई। इस मुकाबले में दोनों बल्लेबाजों ने विरोधी गेंदबाजों के नाक में दम करके रखा और मिलकर 249 रनों की पार्टनरशिप की। हालांकि ये साझेदारी टीम इंडिया को जीत नहीं दिला सकी क्योंकि जिम्बाब्वे की तरफ से एंडी फ्लावर ने नाबाद 232 रन बनाए, जिसके कारण ये मैच ड्रॉ हो गया।
#25वां शतक- 126 चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ (2001)
इसमें कोई संदेह नहीं है कि साल 2001 की बॉर्डर-गावस्कर सीरीज वापसी की एक सीरीज थी, खासकर भारतीयों के लिए। इस सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच में एक नाटकीय बदलाव भी देखा गया, जब लक्ष्मण और द्रविड़ ने भारत को हार से बचाने के लिए चैंपियंस की तरह बल्लेबाजी की और फिर गेंदबाजी में हरभजन सिंह ने कमाल दिखाया जिसके बूते भारत दूसरा टेस्ट मैच जीतकर इस सीरीज को 1-1 बराबरी पर लाने में कामयाब रहा। दो टेस्ट मैचों के बाद चेन्नई में निर्णायक मैच में दोनों ही टीमों के पास सीरीज पर कब्जा करने का मौका था। पिछली दो पारियों में सचिन तेंदुलकर का प्रदर्शन निराशानजनकर रहा था और रन स्कोर करने में नाकाम रहे थे। सीरीज के पहले टेस्ट मैच में सचिन तेंदुलकर ने भले ही लगातार दोनों पारियों में अर्धशतक लगाया था लेकिन दूसरे टेस्ट मैच में उन्होंने दोनों पारियों में 10-10 रन बनाए थे। ऑस्ट्रेलिया ने चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। हेडन के 203 रनों के शानदार स्कोर के बाद, ऑस्ट्रेलिया ने 391 रन बनाए। इसके जवाब में भारत ने मजबूत शुरुआत की। एसएस दास और रमेश ने मिलकर भारत के लिए 123 रनों की ओपनिंग साझेदारी की। इसके बाद दूसरे विकेट के लिए भी दास ने मिलकर लक्ष्मण के साथ साझेदारी की और स्कोर को 2 विकेट के नुकसान पर 211 रन ले गए। इसके बाद सचिन तेंदुलकर बल्लेबाजी करने मैदान पर आए। उस समय भारत तेजी से मजबूत स्कोर की ओर कदम बढ़ा रहा था। लेकिन सचिन तेंदुलकर के मैदान पर एक छोर संभालने के बाद रनों की रफ्तार और भी ज्यादा तेज हो गई। मैक्ग्रा, गिलेस्पी और वॉर्न की गेंदों पर सचिन तेंदुलकर ने शानदार शॉट खेले। वहीं उन्होंने पांचवे विकेट लिए राहुल द्रविड के साथ मिलकर 169 रनों की बेहतरीन साझेदारी को भी अंजाम दिया। जिससे भारत ने ऑस्ट्रेलिया पर बढ़त भी कायम कर ली। इसके साथ ही सचिन तेंदुलकर ने इस पारी में शानदार बल्लेबाजी करते हुए अपने टेस्ट करियर का 25वां शतक भी पूरा कर दिया। उन्होंने इस पारी में 126 रन बनाए। सचिन तेंदुलकर के रनों के सहारे ही भारतीय टीम ने तीसरे टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बढ़त कायम कर ली जिसकी बदौलत भारतीय टीम ने तीसरा टेस्ट मैच में जीत के साथ ही सीरीज पर भी 2-1 से कब्जा जमा लिया।