सचिन तेंदुलकर के 51 टेस्ट शतकों के सफ़र में एक नज़र 31 से 35 तक के शतकों पर

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सचिन तेंदुलकर ने अपने 24 साल के करियर में कई पुराने रिकॉर्ड को तोड़ नया कीर्तिमान स्थापित किया। अपने टेस्ट करियर में भी सचिन तेंदुलकर ने कई रिकॉर्ड तोड़े और कई नए रिकॉर्ड बनाए। इसी क्रम में सचिन तेंदुलकर ने अपने टेस्ट करियर में 30 शतक लगाकर सर डॉन ब्रैडमैन का 29 टेस्ट शतक लगाने का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। सर डॉन ब्रैडमैन के शतकों के रिकॉर्ड को तोड़ना तो महज एक शुरुआत थी, अभी सचिन तेंदुलकर अपने टेस्ट करियर में शतकों को लेकर एक नया कीर्तिमान स्थापित करने की तरफ बढ़ चले थे। सचिन तेंदुलकर अब सुनील गावस्कर के 34 टेस्ट शतकों के रिकॉर्ड को तोड़ने की ओर कदम बढ़ा रहे थे। अपने टेस्ट करियर का 35वां शतक लगाते हुए सचिन तेंदुलकर टेस्ट शतकों के मामले में सुनील गावस्कर से आगे निकल गए। शतक लगाने के मामले में सचिन तेंदुलकर विश्व में सबसे आगे हैं। सचिन तेंदुलकर ने वनडे क्रिकेट में 49 और टेस्ट क्रिकेट में 51 शतक लगाकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक लगाने वाले एकमात्र बल्लेबाज हैं। टेस्ट क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर के 51 शतकों के इस सफर में सचिन तेंदुलकर के 30 शतकों के बारे में पहले ही जान लिया जा चुका है। अब बारी है सचिन के अगले 5 टेस्ट शतक के बारे में जानने का। आइए जानते हैं मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के टेस्ट क्रिकेट में लगाए 51 शतकों में से 31वें शतक से 35वें शतक तक का सफर कैसा रहा:

#31 शतक, 176 ईडन गार्डन्स में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ (2002)

साल 2002 में भारतीय क्रिकेट टीम ने वेस्टइंडीज के साथ तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेली। मेजबान देश भारत इस सीरीज में वेस्टइंडीज की टीम पर शुरू से ही काफी हावी दिखा। इस सीरीज में टीम इंडिया ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए वेस्टइंडीज को पहले ही 2-0 से हराकर सीरीज पर कब्जा कर लिया था। सीरीज पर 2-0 से कब्जा करने के बाद टीम इंडिया ने ईडन गार्डन्स के मैदान पर वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज का तीसरा और आखिरी टेस्ट मुकाबला खेला। सीरीज के तीसरे टेस्ट मुकाबले में वेस्टइंडीज भारतीय टीम पर पहली पारी में थोड़ी हावी दिखी। इस पारी में वेस्ट इंडीज की टीम ने भारत पर 139 रनों की बढ़त हासिल कर ली थी। इसके बाद भारतीय टीम बल्लेबाजी करने आई तो शुरू में टीम को जल्दी झटके लग गए। टीम इंडिया के 2 विकेट महज 11 रनों के स्कोर पर पैवेलियन वापस लौट चुके थे। वीरेंदर सहवाग और संजय बांगर वेस्टइंडीज के गेंदबाज मर्व डिलन की गेंदबाजी के आगे टिक नहीं पाए और दोनों ही सस्ते में वापस लौट गए। शुरुआती दो बल्लेबाजों के आउट हो जाने के बाद सचिन तेंदुलकर मैदान पर बल्लेबाजी करने आए। टीम इंडिया अभी दो विकेटों से उभरा भी नहीं था कि 50 रनों के स्कोर से पहले ही टीम इंडिया को तीसरा झटका भी लग गया। इस बार राहुल द्रविड़ ज्यादा रन स्कोर नहीं कर पाए और अपना विकेट गंवा बैठे। राहुल द्रविड़ के आउट होने पर टीम इंडिया का स्कोर 3 विकेट के नुकसान पर महज 49 रन था। तीन महत्वपूर्ण विकेट जल्दी गिर जाने के बाद टीम का पूरा दारोमदार सचिन तेंदुलकर के कंधो पर आ गया था। इस जिम्मेदारी को भी सचिन तेंदुलकर ने बेहतरीन तरीके से निभाया और वेस्टइंडीज के खिलाफ शानदार पारी को अंजाम दिया। सचिन तेंदुलकर ने संभलकर खेलते हुए रन बटोरने शुरू किए। अपनी इस पारी में सचिन तेंदुलकर ने वेस्टइंडीज के गेंदबाजी को नाकाम साबित कर दिया और हर कोने में शानदार शॉट खेले। अपनी इस पारी में रन बटोरते हुए सचिन तेंदुलकर ने अपना 31वां टेस्ट शतक भी पूरा किया और आगे बढ़ते गए। अपनी धैर्य भरी इस पारी में सचिन तेंदुलकर ने 150 रनों के स्कोर को भी पार दिया। अपनी इस पारी में सचिन तेंदुलकर टीम इंडिया के लिए रन बटोर रहे थे और दोहरे शतक की ओर कदम बढ़ा रहे थे। हालांकि सचिन तेंदुलकर दोहरा शतक नहीं लगा पाए और 176 रन बनाकर आउट हो गए। करीब 7 घंटे खेली गई इस पारी में उन्होंने 26 बाउंड्री को अंजाम दिया। इस पारी में सचिन तेंदुलकर के अलावा वीवीएस लक्ष्मण ने भी शानदार बल्लेबाजी की और 154 रनों की बेहतरीन पारी खेली। दोनों बल्लेबाजों ने वेस्टइंडीज के गेंदबाजों की जमकर खबर ली और 5वें विकेट के लिए 216 रनों की मजबूत साझेदारी को अंजाम दिया। इस साझेदारी के कारण ही भारतीय टीम वेस्टइंडीज के हाथों मैच बचाने में कामयाब रही। आखिर में ये मैच ड्रॉ हुआ। अपनी 176 रनों की शानदार पारी के लिए सचिन तेंदुलकर को मैच ऑफ द मैच भी चुना गया। सचिन तेंदुलकर के जरिए लगाया गया अपने टेस्ट करियर का 31वां शतक सचिन तेंदुलकर का भारत के सबसे फेमस ग्राउंड ईडन गार्डन्स पर लगाया गया पहला शतक था।

#32 शतक- 241* सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ (2004)

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साल 2003 सचिन तेंदुलकर के लिए काफी निराशाजनक रहा। साल 2003 में सचिन तेंदुलकर के बल्ले से टेस्ट क्रिकेट में एक भी शतक नहीं लग पाया। हालांकि साल 2004 में सचिन तेंदुलकर ने अपना दोहरा शतक लगाकर अपनी शतकों की फॉर्म में वापसी की। साल 2004 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी में खेली गई सचिन तेंदुलकर की दोहरे शतकीय पारी को उनके करियर की बेस्ट पारियों में से एक माना जाता है। सचिन तेंदुलकर ने इस पारी में नाबाद दोहरा शतक लगाया था। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 4 टेस्ट मैचों की सीरीज खेली गई। ये सीरीज 1-1 से बराबर रही। इस सीरीज का आखिरी मुकाबला सिडनी के मैदान पर खेला गया। जिसमें भारतयी टीम के कप्तान सौरव गांगुली ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। पहले बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया के 2 विकेट 128 रनों के स्कोर पर पैवेलियन लौट चुके थे। इसके बाद सचिन तेंदुलकर मैदान पर बल्लेबाजी करने आए। सचिन तेंदुलकर इस टेस्ट मैच के पहले दिन ही मैदान पर बल्लेबाजी करने आए। पिछले कुछ मैचों से सचिन तेंदुलकर अपनी फॉर्म गंवाए हुए थे। पिछले तीन टेस्ट मैचों में सचिन तेंदुलकर ने महज 82 रन ही बनाए थे। आलम तो ये था कि दो बार सचिन तेंदुलकर अपना खाता तक नहीं खोल पाए थे और एक बार सचिन तेंदुलकर सिर्फ 1 रन ही बना पाए थे, लेकिन किसी को उम्मीद नहीं थी कि इस मैच में सचिन फॉर्म में वापस लौटने वाले हैं और एक बड़ा धमाका करने वाले हैं। पिछली ज्यादातर पारियों में वे ऑफ साइड की तरफ खेलकर नुकसान उठाते थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए 4 टेस्ट मैचों की सीरीज के आखिरी टेस्ट मैच में सचिन तेंदुलकर ने अपनी ऑफ साइड में स्ट्रोक्स खेलने को लेकर सख्ती अपनाई और ऑफ साइड की बजाय ऑन साइड पर स्ट्रोक्स खेलने को प्राथमिकता दी। जिसका फायदा भी उन्हें भरपूर मिला। हालांकि अपनी इस पारी की शुरुआत में सचिन तेंदुलकर कुछ खास नहीं कर पाए लेकिन जैसे-जैसे समय बितता गया वैसे-वेसे सचिन तेंदुलकर मैदान के हर कोने में शॉट लगाते गए। सचिन तेंदुलकर ने इस पारी में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की नाक में दम करके रख दिया। अपनी शानदारी पारी में पहले सचिन तेंदुलकर ने अपना 32वां टेस्ट शतक पूरा किया। इसके बाद सचिन तेंदुलकर दोहरे शतक की तरफ बढ़ चले थे और देखते ही देखते सचिन तेंदुलकर ने अपना दोहरा शतक भी पूरा कर लिया। सचिन तेंदुलकर के टेस्ट करियर का ये तीसरा दोहरा शतक था। 10 घंटे तक खेली गई अपनी इस पारी में सचिन तेंदुलकर ने नाबाद 241 रन बनाए। इसके साथ ही भारत ने अपनी पहली पारी 7 विकेट के नुकसान पर 705 रन बनाकर घोषित की। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया ये टेस्ट मुकाबला ड्रॉ रहा।

# 33 शतक, 194* मुल्तान में पाकिस्तान के खिलाफ (2004)

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भारत और पाकिस्तान के बीच मुल्तान में साल 2004 में खेला गया टेस्ट मैच वीरेंदर सहवाग की धमाकेदार पारी के कारण याद किया जाता है। इस मैच में वीरेंदर सहवाग ने अपने बल्ले से रनों की बरसात करते हुए पहले शतक फिर दोहरा शतक और आखिर में तिहरा शतक जड़ दिया। इस पारी में सहवाग ने रनों का पहाड़ खड़ा कर दिया और 309 रन बनाए। इसके बाद इस मैच में सचिन तेंदुलकर ने सबसे ज्यादा रनों की पारी खेली। वीरेंदर सहवाग के बल्ले से जहां रनों की बरसात हो रही थी तो वहीं सचिन तेंदुलकर ने भी अपने करियर के एक और बेहतरीन शतक को अंजाम दिया। हालांकि इस मैच में सचिन तेंदुलकर अपना एक और दोहरा शतक लगाने से चूक गए। पाकिस्तान के खिलाफ खेला गया ये मैच वीरेंदर सहवाग और सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी के कारण जाना जाता है। इस मैच में दोनों बल्लेबाजों ने धमाकेदार बल्लेबाजी करते हुए तीसरे विकेट के लिए 336 रनों की यादगार साझेदारी निभाई। हालांकि ये मैच दोनों खिलाड़ियों की बल्लेबाजी के अलावा एक विवाद के कारण भी याद किया जाता है। दरअसल, इस मैच में सचिन तेंदुलकर ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए अपने टेस्ट करियर का 33वां शतक जड़ा। इसके बाद सचिन तेंदुलकर अपने दोहरे शतक के करीब बढ़ रहे थे। सचिन 194 रनों पर नाबाद खेले रहे थे और अपने दोहरे शतक से सिर्फ 6 रन दूर थे। उनकी बल्लेबाजी को देखते हुए साफ तौर पर लग रहा था कि वो आज अपने करियर का एक ओर दोहरा शतक लगा देते लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ जिसकी किसी को भी उम्मीद तक नहीं थी। इस मैच में राहुल द्रविड़ कप्तान थे, पहली पारी में बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम का स्कोर 5 विकेट के नुकसान पर 675 रन हो चुका था। सचिन तेंदुलकर 194 रनों पर नॉट आउट थे और तभी कप्तान राहुल द्रविड़ ने पारी को पारी घोषित कर दिया। सचिन तेंदुलकर इस कारण अपने करियर का एक और दोहरा शतक लगाने से रह गए। जिसके कारण काफी विवाद हुआ। हालांकि इस मैच में तेंदुलकर ने 8 घंटे बल्लेबाजी की और 21 चौके लगाए। भारत के आगे इस मैच में पाकिस्तान के गेंदबाज शोएब अख्तर, सकलैन मुश्ताक, शबीर अहमद, अब्दुल रजाक और मोहम्मद समी बेदम नजर आए। आखिरी में भारत ने इस मैच को पारी और 52 रनों से अपने नाम किया।

# 34 शतक-248 ढाका में बांग्लादेश के खिलाफ (2004)

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साल 2004 सचिन तेंदुलकर के लिए काफी अहम रहा। इस साल सचिन तेंदुलकर के बल्ले से टेस्ट क्रिकेट में जमकर रन बरसे। इसके साथ ही साल 2004 में बांग्लादेश के खिलाफ ढाका के मैदान पर खेला गया टेस्ट मैच भी सचिन तेंदुलकर के लिए काफी यादगार रहा। उस समय बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी जगह खोज रही थी। भारत के खिलाफ 2004 में खेले गए टेस्ट मैच में बांग्लादेश के गेंदबाज खास तौर पर सचिन तेंदुलकर के आगे गेंदबाजी करने में नाकाम रहे। बांग्लादेश के खिलाफ इस मैच में भारत के 2 विकेट 24 रनों के स्कोर पर आउट हो चुके थे। इसके बाद सचिन तेंदुलकर मैदान पर बल्लेबाजी करने आए। सचिन तेंदुलकर के लिए ये मैच काफी खास होने वाला था। इस मैच में सचिन तेंदुलकर ने अपने टेस्ट करियर का 34वां शतक जड़ दिया। अपने इस शतक के साथ ही सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट करियर में सुनील गावस्कर के 34 टेस्ट शतकों की बराबरी कर ली थी। अपने टेस्ट करियर का 34वां शतक लगाने तक ही सचिन तेंदुलकर नहीं रुके। इस मैच में सचिन तेंदुलकर अपना ही एक रिकॉर्ड तोड़ने वाले थे। सचिन तेंदुलकर धीरे-धीरे शानदार शॉट खेलते हुए दोहरे शतक तक भी पहुंच गए। इसके साथ ही सचिन तेंदुलकरन ने अपने टेस्ट करियर का चौथा दोहरा शतक भी ठोक दिया। सचिन तेंदुलकर ने इसके बाद अपने टेस्ट करियर का सर्वोच्च स्कोर भी बना डाला। सचिन तेंदुलकर ने इस मैच में खेलते हुए नाबाद 248 रनों की पारी खेली। सचिन की ये पारी टेस्ट क्रिकेट की उनकी सबसे बड़ी पारी है। इसके साथ ही सचिन तेंदुलकर के टेस्ट करियर का चौथा दोहरा शतक भी है। 9 घंटे तक बल्लेबाजी करते हुए सचिन तेंदुलकर ने 65.43 की स्ट्राइक रेट से रन बटोरे। अपनी इस पारी में सचिन तेंदुलकर ने 35 बाउंड्री लगाई। इस पारी में भारत की पूरी टीम 526 रनों पर आउट हो गई लेकिन सचिन तेंदुलकर 248 रन बनाकर नाबाद रहे। इस मैच में भारत ने बांग्लादेश पर पारी और 140 से जीत दर्ज की।

#35 शतक-109 नई दिल्ली में श्रीलंका के खिलाफ (2005)

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34 शतक लगाकर सचिन तेंदुलकर टेस्ट क्रिकेट में शतकों के मामले में सुनील गावस्कर की बराबरी कर चुके थे, लेकिन अब बारी थी सुनील गावस्कर से आगे निकलने की। नई दिल्ली में श्रीलंका के खिलाफ साल 2005 में खेले गए टेस्ट मैच में सचिन तेंदुलकर ने सुनील गावस्कर से आगे निकलने में भी बाजी मार ली। भारत में ही साल 2005 में भारतीय क्रिकेट टीम ने श्रीलंका के खिलाफ 3 टेस्ट मैचों की सीरीज खेली। इस सीरीज में पहला टेस्ट मैच ड्रॉ हो चुका था। इसके बाद दूसरे टेस्ट मैच में भारत ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। इस मैच में सचिन तेंदुलकर ही एकमात्र ऐसे बल्लेबाजी थे जिनकी बदौलत भारत ने श्रीलंका के सामने एक अच्छा स्कोर खड़ा किया। भारत 56 रनों पर ही 2 विकेट गंवा चुका था। इसके बाद मैदान पर सचिन तेंदुलकर बल्लेबाजी करने के लिए आए। सचिन तेंदुलकर ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए इस मैच में शतकीय पारी खेली। सचिन तेंदुलकर का ये टेस्ट करियर में उनका 35वां शतक था। अपने टेस्ट करियर का 35वां शतक लगाते हुए सचिन तेंदुलकर टेस्ट शतकों के मामले में सुनील गावस्कर से आगे निकल चुके थे। इस मैच में सचिन तेंदुलकर ने श्रीलंकाई गेंदबाजों का डटकर सामना किया और रन बटोरे। सचिन तेंदुलकर ने इस मैच में वीवीएस लक्ष्मण के साथ साझेदारी भी निभाई। वीवीएस ने इस पारी में 69 बनाए थे। इस मैच में सचिन तेंदुलकर ने 14 चौके और एक छक्के की मदद से 109 रनों की पारी खेली। सचिन तेंदुलकर की ये पारी काफी महत्वपूर्ण रही क्योंकि भारत ने इस पारी में अपना तीसरा विकेट 254 रनों के स्कोर पर गंवाया और देखते ही देखते 290 रनों के स्कोर पर पूरी टीम ही ऑल आउट हो गई। हालांकि मैच का परिणाम भारतीय टीम के पक्ष में रहा और आखिर में भारत ने श्रीलंका पर 188 रनों से जीत दर्ज की। लेखक: सोहम समद्दर अनुवादक: हिमांशु कोठारी