भारतीय बल्लेबाजों की 5 ऑल टाइम टी20 अंतरराष्ट्रीय पारियों पर एक नजर

जब साल 2003 में इंग्लैंड में टी-20 क्रिकेट की शुरुआत हुई थी तब इसे महज़ एक मनोरंजन के तौर पर देखा जा रहा था। आज इस बात को 14 साल बीत चुके हैं, टी-20 फ़ॉर्मेट दौलत कमाने का एक बहुत बड़ा ज़रिया बन चुका है। भारत ने अपना पहला टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ खेला था, जहां उसे हार का सामना करना पड़ा था। भारत को साल 2007 में आईसीसी वर्ल्ड कप में पहले दौर में ही बाहर होना पड़ा था। इसके बाद उसी साल आईसीसी वर्ल्ड टी-20 टूर्नामेंट की शुरुआत हुई थी। टीम इंडिया के कई बड़े खिलाड़ियों ने इस टूर्नामेंट से दूरी बनाने का फ़ैसला किया ताकि युवाओं को मौका दिया जा सके। सभी परेशानियों के बावजूद टीम इंडिया ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में वर्ल्ड टी-20 का ख़िताब जीत लिया था। इसके एक साल बाद आईपीएल का जन्म हुआ और फिर क्रिकेट की दुनिया ही बदल गई। आज आईपीएल दुनिया की सबसे मशहूर क्रिकेट लीग बन चुकी है जिसमें विश्व के नामी गिरामी खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं। भारतीय क्रिकेट फ़ैंस के लिए टी-20 उनकी पहली पसंद बन चुकी है। मैदान या टेलीविज़न पर सिर्फ़ 3 घंटे बिताना और रोमांच से सराबोर हो जाना हर किसी को पसंद आता है। टी-20 की कल्पना भारतीय खिलाड़ियों के ज़िक्र के बिना अधूरी है। हम यहां भारतीय खिलाड़ियों द्वारा खेली गई 5 सबसे बेहतरीन टी-20 अंतरराष्ट्रीय पारियों को लेकर चर्चा कर रहे हैं। यहां उन पारियों को शामिल किया जा रहा जो बेहद दबाव में खेली गई थी। #5 युवराज सिंह 58 बनाम इंग्लैंड, डरबन, 2007 साल 2007 में आईसीसी वर्ल्ड टी-20 के सुपर-8 मुकाबले में भारत अपना पहला मैच न्यूज़ीलैंड के हाथों हार चुका था। एक और हार भारत को टूर्नामेंट से बाहर कर सकती थी। टीम इंडिया का सामना अब इंग्लैंड से हो रहा था। भारत ने पहले बल्लेबाज़ी शुरू की। गौतम गंभीर और सहवाग ने पहले विकेट के लिए 136 रन जोड़े। इस साझेदारी टूटने के बाद भारतीय पारी लड़खड़ाने लगी। 16.4 ओवर में भारत का स्कोर 115-3 हो चुका था। फिर युवराज सिंह बल्लेबाज़ी के लिए मैदान में आए। युवी ने टी-20 अंतरराष्ट्रीय के इतिहास का सबसे तेज़ अर्धशतक बनाया। उन्होंने महज़ 16 गेंदों में 58 रन की पारी खेली। स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ओवर में उन्होंने 6 गेंदों पर 6 छक्के जड़ दिए। इसके साथ ही युवराज सिंह इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गए।#4 विराट कोहली 72* बनाम दक्षिण अफ़्रीका, ढाका, 2014 साल 2014 की आईसीसी वर्ल्ड टी-20 में भारत और दक्षिण अफ़्रीका के बीच सेमीफ़ाइनल मुक़ाबला चल रहा था। भारत को जीत के लिए 173 रन का लक्ष्य मिला था। इसके जवाब में टीम इंडिया ने 3.4 ओवर में 39 रन बना लिए थे। रोहित शर्मा के आउट होने के बाद विराट कोहली मैदान में आए और 44 गेंद में नाबाद 72 रन की पारी खेली। विराट कोहली उस दिन अलग ही अंदाज़ में खेल रहे थे। इस पारी में सिर्फ़ 32 रन ही चौके-छक्के की मदद से आए थे। बाक़ी रन दौड़कर लिए गए थे। उनकी इसी पारी की बदौलत टीम इंडिया ने फ़ाइनल का सफ़र तय किया था।#3 गौतम गंभीर 75 बनाम पाकिस्तान, जोहांसबर्ग, 2007 साल 2007 के आईसीसी वर्ल्ड टी-20 में टीम इंडिया से ज़्यादा उम्मीदें नहीं लगाई जा रही थी, क्योंकि इस टीम में ज़्यादातर युवा खिलाड़ी थे और महेंद्र सिंह धोनी बतौर कप्तान अपने पहले मिशन पर थे। मगर इस टीम में एक मज़बूत खिलाड़ी मौजूद था और था गौतम गंभीर। इस टूर्नामेंट में भारत फ़ाइनल में पहुंचा था जहां उसका मुक़ाबला पाकिस्तान से था। गौतम गंभीर ने 54 गेंद पर 75 रन बनाए और भारत के जीत की नींव रखी। भारत ने पहले खेलते हुए 157 रन का स्कोर खड़ा किया था। गंभीर का इस मैच में स्ट्राइक रेट 138.88 था। भारत ने ये मैच 5 रन से जीता था।2 विराट कोहली 82* बनाम ऑस्ट्रेलिया मोहाली, 2016 साल 2016 का आईसीसी वर्ल्ड टी-20 टूर्नामेंट भारत में खेला जा रहा था। टीम इंडिया अपना पहला मैच न्यूज़ीलैंड से हार गई थी। भारत का अगला मैच मोहाली में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ था जिसे जीतना बेहद ज़रूरी थी। कंगारुओं ने पहले खेलते हुए भारत को 161 रन का लक्ष्य दिया। जवाब में भारत का स्कोर एक समय 37/2 हो चुका था। इसके बाद कोहली ने मैदान में प्रवेश किया और महज़ 51 गेंद पर नाबाद 82 रन बना डाले। इस दौरान उन्होंने 9 चौके और 2 छक्के लगाए और टीम इंडिया को जीत दिला दी। युवराज सिंह 70 बनाम ऑस्ट्रेलिया, डरबन, 2007 साल 2007 की आईसीसी वर्ल्ड टी-20 में भारत सेमीफ़ाइनल में पहुंच गया था, जहां उसका मुक़ाबला मज़बूत ऑस्ट्रेलियाई टीम से होना था। भारत के शुरुआत अच्छी नहीं और टीम का स्कोर 8 ओवर में 41/2 हो चुका था। इसके बाद युवराज सिंह बल्लेबाज़ी करने पिच पर आए और महज़ 30 गेंदों में 70 रन बना डाले। इस दौरान उन्होंने 5 छक्के लगाए, ब्रेट ली की गेंद पर लगाया गया एक छक्का 119 मीटर लंबा था। युवी की इस पारी की बदौलत टीम इंडिया फ़ाइनल में पहुंची थी। लेखक- शाश्वत कुमार अनुवादक- शारिक़ुल होदा

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