सीमित ओवरों के खेल में बड़े खिलाड़ियों को आराम दिया जाना कितना जायज है?

स्टार खिलाड़ियों को आराम देकर नए खिलाड़ियों पर दांव लगाना वैसे तो जोखिम भरा काम है। हालांकि कामयाबी मिलने का भी पूरा मौका होता है क्योंकि क्रिकेट अनिश्चचिताओं को खेल है और आप ये अंदाजा नहीं लगा सकते कि कब किस मैच में कौन सा खिलाड़ी हीरो बनकर सामने आएगा। हालांकि इसका ठीक उल्टा प्रभाव भी हो सकता है। जिसकी संभावना ज्यादा है और युवा खिलाड़ियों पर खेले गए इस दांव का नतीजा टीम इंडिया की हार भी हो सकता है। टी 20 क्रिकेट के आने के बाद कई तरह की टी 20 लीग्स के साथ- साथ आपको घरेलू क्रिकेट में भी हिस्सा लेना होता है। लिहाजा आप कितने ही बड़े खिलाड़ी क्यों ना हो, खुद को लगातार फिट रखना, फॉर्म को बरकरार रखना और टीम में जगह पक्की करने के लिए, खुद को रेस में बनाए रखना किसी भी खिलाड़ी के लिए आसान नहीं होता। जैसे कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, ठीक वैसे ही छोटे फॉर्मेट में बड़े खिलाड़ियों को आराम देने के नुकसान के साथ- साथ फायदे भी हैं। जो खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और लगातार मैचों में उन्हें मौके दिए जा रहे हैं, तो उन्हें कुछ मैचों में आराम दिए जाने से उनकी थकान कम होगी और आगे आने वाले मुकाबलों में वो तरोताजा होकर लौटेंगे। जबकि बड़े खिलाड़ियों को आराम देने के बाद आपको कमजोर टीम के साथ उतरना होगा। खिलाड़ियों को सही समय पर दिया जाना चाहिए ब्रेक

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कभी- कभी टीम में बदलाव करने इसलिए भी जरूरी होते हैं ताकि आप अपने खराब प्रदर्शन से उबरते हुए जीत के ट्रैक पर लौट सकें। साथ ही ऐसे प्रयोग करने से आप नए खिलाड़ियों को परख कर ये भी पता लगा सकते हैं, कि वो टी 20, वनडे या फिर टेस्ट क्रिकेट किस फॉर्मेट में टीम के लिए सबसे उपयोगी साबित हो सकते हैं। जिसके चलते आगे आने वाली सीरीज में वनडे या टी 20 में चयनकर्ताओं के पास भी ज्यादा विकल्प मौजूद रहते हैं। दूसरी ओर अगर टेस्ट क्रिकेट की बात करें तो टेस्ट में खिलाड़ी की शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से असली इम्तिहान होता है। ऐसे में लंबे टेस्ट सीजन के बाद आराम तो बनता ही है। भारत ने हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज खेली और अब उसे इंग्लैंड के खिलाफ ही अपने घर पर वनडे और टी20 सीरीज भी खेलनी है। टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम ने 4-0 से इंग्लैंड का सूपड़ा साफ किया था। और अब वनडे और टी 20 में भी ऐसे प्रदर्शन के लिए धोनी एंड कंपनी को अपनी तैयारी में जुट जाना चाहिए। सबसे अच्छी बात ये है कि इंग्लिश टीम इस समय क्रिसमस की छुट्टियों पर है। और अभी वनडे सीरीज शुरू होने में कुछ हफ्ते बाकी हैं। ऐसे में अगर कुछ मैचों के लिए बड़े नामों को आराम दिया जाता है, तो ये टीम इंडिया के पास अपनी बेंच स्ट्रेंथ को परखने को अच्छा मौका है हाल ही में न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भारतीय स्पिनर्स रवींद्र जडेजा और आर अश्विन ने किस कदर अपना जलवा बिखेरा इसकी गवाही खुद आंकड़े बयां कर रहे हैं। आइए एक नजर डालेत हैं न्यूजीलैंड के खिलाफ अश्विन और जडेजा के ओवरों पर। पहला टेस्ट, कानपुर पारी भारत के ओवर आर अश्विन जडेजा दोनों मिलाकर प्रतिशत 1, 95.5, 30.5, 34, 64.5, 67.65 2, 87.3, 35.3, 34, 69.3, 79.43 कुल जोड़ - 183.2, 66.2, 68, 134.2, 73.27 दूसरा टेस्ट, कोलकाता पारी भारत के ओवर अश्विन जडेजा दोनों मिलाकर प्रतिशत 1, 53. 8, 12, 20, 37.73 2 81.1, 31, 20, 51, 62.83 कुल जोड़ - 134.1, 39, 32, 71, 52.92 तीसरा टेस्ट, इंदौर पारी भारत के ओवर अश्विन जडेजा दोनों मिलाकर प्रतिशत 1, 90.2, 27.2, 28, 55.2, 61.25 2, 44.5, 13.5, 16, 29.5, 66.54 कुल जोड़ - 135.1 41.1 44 85.1 63.01 सीरीज का कुल जोड़ भारत के ओवर अश्विन जडेजा दोनों मिलाकर प्रतिशत 452.4, 146.3, 144, 290.3, 64.17 जाहिर है इन आंकड़ों के जरिए साबित हो जाता है, कि कैसे आर.अश्विन और रविंद्र जडेजा ने मिलकर कीवी बल्लेबाजों की नाक में दम करके रखा था। लेकिन बावजूद इसके न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में दोनों स्पिनर्स को आराम दिया गया। ऐसे में भारत ने केन विलियम्सन एंड कपंनी के खिलाफ वनडे में स्टार स्पिनर्स को आराम देने का जोखिम उठाया और वनडे सीरीज में कीवियों के खिलाफ टीम इंडिया को अपनी बेंच स्ट्रेंथ टेस्ट करने का मौका मिला। जिसके चलते कई युवा खिलाड़ियों को अपने टैलेंट का नमूना पेश करने का मौका मिला।

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न्यूजीलैंड के खिलाफ टीम ने काफी बदलाव किये, चलिए गेंदबाजों के प्रदर्शन का विश्लेषण कर लेते हैं : अक्षर पटेल

- सबसे पहले अगर अक्षर पटेल की बात करें तो अक्षर काफी किफायती रहे और उन्होंने सिर्फ 4.30 के इकोनोमी रेट से रन दिए। लेकिन वहीं स्ट्राइक रेट देखें तो अक्षर पटेल इसमें जरूर पिछड़ते दिखे। अक्षर ने 5 मैचों में 43.1 ओवर गेंदबाजी की और इस दौरान उनका स्ट्राइ रेट 64.75 का रहा। पूरी सीरीज में अक्षर सिर्फ 4 ही विकेट ले पाए। अमित मिश्रा - टीम इंडिया के सबसे सीनियर लेग स्पिन अमित मिश्रा न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में सबसे कामयाब गेंदबाज बनकर उभरे। अमित मिश्रा ने 5 वनडे मैचों की सीरीज में 15 विकेट अपने नाम किए। उनके इस दमदार प्रदर्शन के लिए उन्हें मैन ऑफ द सीरीज के अवॉर्ड से भी नवाजा गया। सीरीज 26 विकेट स्पिनर्स ने लिए जिसमें से आधे से ज्यादा विकेट अकेले मिश्रा ने चटकाए। मिश्रा के इस प्रदर्शन को देखकर कहा जा सकता है कि वनडे सीरीज में उन्होंने अश्विन और जडेजा की कमी महसूस नहीं होने दी। केदार जाधव - केदार जाधव को पांचवे गेंदबाज के तौर पर इस्तेमाल किया गया। जाधव भी अपने कप्तान के भरोसे पर खरे उतरे और वो मिश्रा के बाद दूसरे सबसे सफल गेंदबाज साबित हुए। उन्होंने 4 मैचों में 18 ओवर गेंदबाजी करते हुए 4.05 की औसत से रन दिए और 6 विकेट भी हासिल किए। जयंत यादव- युवा जंयत यादव को हालांकि एक ही मैच खेलने का मौका मिला। जो उनका डेब्यू मैच भी था। इस मैच में उन्होंने 4 ओवर गेंदबाजी करते हुए 8 रन दिए और 1 विकेट चटकाया। वहीं इंग्लैंड के टेस्ट सीरीज में जयंत ने अपने ऑलराउंड प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया। अब ये देखना भी दिलचस्प होगा कि क्या इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए भी जयंत को टीम में शामिल किया जाएगा। जीत के साथ समझौता कभी नहीं करना चाहिए

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भारत ने अपने रिजर्व खिलाड़ियों के दमपर वनडे सीरीज में कीवी टीम को 3-2 से मात दी। लेकिन अपने स्ट्राइक गेंदबाजों आर अश्विन और रविंद्र जडेजा को आराम देने का खामियाजा टीम इंडिया को सीरीज गवांकर भी उठाना पड़ सकता था। जिसके बाद ये हर बार कि तरह इस बार भी यही सवाल उठता कि आखिर क्यों भारतीय टीम ने अपनी पूरी ताकत के साथ क्यों नहीं खेला। जब उनके पास स्टार खिलाड़ी मौजूद हैं तो बड़ी सीरीज से पहले उन्हें आराम देना कितना सही है। आप बांग्लादेश, अफगानिस्तान और जिम्बाब्वे जैसी छोटी टीमों के खिलाफ ये जोखिम उठा सकते हैं। लेकिन बड़ी टीमों के खिलाफ ये फैसला लेने से पहले आपको एक बार और सोचना चाहिए क्या आप नए खिलाड़ियों को आजमाने के लिए जीत के साथ समझौता कर सकते हैं। भारत ने जून 2016 में जिम्बाब्वे का दौरा किया था। उस दौरे में ज्यादा से ज्यादा युवा खिलाड़ियों को तरजीह दी गई थी और युवाओं ने टीम मैनेजमेंट के इस फैसले को सही साबित करते हुए वनडे सीरीज में जिम्बाब्वे को उसी के घर में 3-0 से रौंदा था। भारत ने एशिया कप, वर्ल्ड टी 20 और आईपीएल के लंबे सीजन के बाद जिम्बाब्वे दौरे पर रोहित शर्मा और विराट कोहली सहित कई सीनियर खिलाड़ियों को आराम दिया था। लेकिन इसका असर टीम के प्रदर्शन पर बिल्कुल भी नहीं पड़ा। पहले भारत ने वनडे सीरीज पर कब्जा जमाया। उसके बाद 3 टी 20 मैचों की सीरीज भी 2-1 से अपने नाम की। कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि भले आप युवा खिलाड़ियों को आजमाओ , टीम की बेंच स्ट्रेंथ तो टेस्ट करो, लेकिन इसके लिए टीम इंडिया की जीत को कतई दांव पर नहीं लगाया जा सकता। अब से कुछ ही दिन बाद इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए टीम इंडिया का एलान होगा, तो चयनकर्ता पिछली वनडे सीरीजों की कामयाबी को ध्यान में रखते हुए, पुरानी रणनीति के साथ ही उतरते हैं तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी।