भारत ने अपने रिजर्व खिलाड़ियों के दमपर वनडे सीरीज में कीवी टीम को 3-2 से मात दी। लेकिन अपने स्ट्राइक गेंदबाजों आर अश्विन और रविंद्र जडेजा को आराम देने का खामियाजा टीम इंडिया को सीरीज गवांकर भी उठाना पड़ सकता था। जिसके बाद ये हर बार कि तरह इस बार भी यही सवाल उठता कि आखिर क्यों भारतीय टीम ने अपनी पूरी ताकत के साथ क्यों नहीं खेला। जब उनके पास स्टार खिलाड़ी मौजूद हैं तो बड़ी सीरीज से पहले उन्हें आराम देना कितना सही है। आप बांग्लादेश, अफगानिस्तान और जिम्बाब्वे जैसी छोटी टीमों के खिलाफ ये जोखिम उठा सकते हैं। लेकिन बड़ी टीमों के खिलाफ ये फैसला लेने से पहले आपको एक बार और सोचना चाहिए क्या आप नए खिलाड़ियों को आजमाने के लिए जीत के साथ समझौता कर सकते हैं। भारत ने जून 2016 में जिम्बाब्वे का दौरा किया था। उस दौरे में ज्यादा से ज्यादा युवा खिलाड़ियों को तरजीह दी गई थी और युवाओं ने टीम मैनेजमेंट के इस फैसले को सही साबित करते हुए वनडे सीरीज में जिम्बाब्वे को उसी के घर में 3-0 से रौंदा था। भारत ने एशिया कप, वर्ल्ड टी 20 और आईपीएल के लंबे सीजन के बाद जिम्बाब्वे दौरे पर रोहित शर्मा और विराट कोहली सहित कई सीनियर खिलाड़ियों को आराम दिया था। लेकिन इसका असर टीम के प्रदर्शन पर बिल्कुल भी नहीं पड़ा। पहले भारत ने वनडे सीरीज पर कब्जा जमाया। उसके बाद 3 टी 20 मैचों की सीरीज भी 2-1 से अपने नाम की। कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि भले आप युवा खिलाड़ियों को आजमाओ , टीम की बेंच स्ट्रेंथ तो टेस्ट करो, लेकिन इसके लिए टीम इंडिया की जीत को कतई दांव पर नहीं लगाया जा सकता। अब से कुछ ही दिन बाद इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए टीम इंडिया का एलान होगा, तो चयनकर्ता पिछली वनडे सीरीजों की कामयाबी को ध्यान में रखते हुए, पुरानी रणनीति के साथ ही उतरते हैं तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी।