इस जुलाई टीम इंडिया 4 साल बाद इंग्लैंड दौरे पर जा रही है, हालांकि भारत का पिछला इंग्लैंड दौरा बहुत ही ख़राब रहा था लेकिन तब से लेकर अब तक बहुत कुछ बदल गया है। मौजूदा भारतीय टीम में अब युवा प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के साथ साथ एक नया कप्तान भी है। टीम इंडिया इस समय बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है, ख़ासकर टेस्ट रैंकिंग में भारत पहले स्थान पर है। हाल ही में दक्षिण अफ्रीका को उसी की ज़मीन पर हराकर टीम इंडिया का मनोबल सातवें आसमान पर है। हालाँकि चोटिल कप्तान कोहली के टीम में शामिल होने पर संशय है लेकिन हम आशा करते हैं कि वह इस कठिन दौरे से पहले ठीक होकर टीम का नेतृत्व करेंगे। ग़ौरतलब है कि आखिरी टेस्ट सीरीज़ में इंग्लैंड ने भारत को 3-1 से हराया था जबकि 2011 में तो उन्होंने भारत को क्लीन स्वीप कर दिया था। तो आइए हम भारत के आखिरी इंग्लैंड दौरे में खेली गई टेस्ट सीरीज़ के प्रमुख हाइलाइट्स पर एक नज़र डालें।
लॉर्ड्स में ऐतिहासिक जीत
टीम इंडिया के लिए इस निराशाजनक सीरीज़ की सबसे सकारात्मक बात थी- लॉर्ड्स में उनकी ऐतिहासिक जीत। इस जीत ने टीम इंडिया का मनोबल बढ़ाया क्योंकि उन्होंने लगभग तीन दशकों के बाद इंग्लैंड को उसी की धरती पर हराया था। इसके अलावा टीम इंडिया ने तीन साल बाद विदेशी जमीन पर टेस्ट जीत दर्ज की थी। यह जीत अच्छे टीमवर्क का परिणाम थी। अजिंक्य रहाणे और मुरली विजय ने बल्ले से, जबकि ईशांत शर्मा और भुवी ने गेंद के जबरदस्त प्रदर्शन किया था। इस मैच में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए रहाणे के शानदार शतक की बदौलत 295 रन बनाए थे। जवाब में भुवनेश्वर कुमार की धारदार गेंदबाज़ी के आगे इंग्लिश टीम सिर्फ 24 रनों की बढ़त बना सकी। उस मैच में भुवी ने शानदार गेंदबाज़ी करते हुए छह विकेट लिए थे। दूसरी पारी में मेहमान टीम ने पूरे आत्मविश्वास से बल्लेबाज़ी की और मेज़बान टीम को 300 से ज़्यादा का लक्ष्य दिया। इसमें मुरली विजय के 95 और रविंद्र जडेजा के पचास रन उल्लेखनीय हैं। लक्ष्य का पीछे करने उतरी इंग्लैंड टीम को 'मैन ऑफ द मैच' रहे ईशांत शर्मा की कहर बरपाती गेंदों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने दूसरी पारी में 7 विकेट लिए और टीम इंडिया की अदभुत जीत के नायक बने।
भुवनेश्वर कुमार का आलराउंड प्रदर्शन
इस सीरीज़ में भारत के लिए सबसे सकारात्मक पहलू रहा भुवनेश्वर कुमार का आलराउंड प्रदर्शन। गेंद और बल्ले दोनों से बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले इस युवा खिलाड़ी ने 'मैन ऑफ द सीरीज़' पुरस्कार जीता था। भुवी ने अपना सर्वश्रेष्ठ आलराउंडर प्रदर्शन करते हुए 7 पारियों में 19 विकेट लिए और 247 रन बनाए। इस सीरीज़ में उन्होंने कोहली और चेतेश्वर पुजारा जैसे दिग्गज बल्लेबाज़ों से ज़्यादा रन बनाए थे। दुर्भाग्यवश, उनका यह यादगार प्रदर्शन टीम को सीरीज़ जिताने में असफल रहा।
मुरली विजय की शानदार बल्लेबाज़ी
इस सीरीज़ में मुरली विजय भारतीय टीम की ओर से सबसे ज़्यादा रन स्कोरर रहे थे। मुश्किल परिस्थितियों में उन्होंने पहले टेस्ट की पहली पारी में शतक लगाकर अपने इरादे ज़ाहिर कर दिए थे। विदेशी धरती पर विजय का यह पहला शतक था। हालांकि रहाणे ने लॉर्ड्स टेस्ट में मैच जिताऊ शतक लगाया था लेकिन दूसरी पारी में विजय के 95 रन भी उल्लेखनीय हैं। इसके अलावा, पूरी सीरीज़ में विजय ने शानदार बल्लेबाज़ी की, अगर उन्हें टीम के बाकी खिलाड़ियों का साथ मिला होतो तो शायद इस टेस्ट सीरीज़ का परिणाम भारत के पक्ष में होता। विजय इस सीरीज़ में 40 से अधिक की औसत से रन बनाने वाले एकमात्र भारतीय बल्लेबाज़ रहे।
कोहली की अविश्वसनीय रूप से ख़राब फ़ॉर्म
क्रिकेट प्रशंसकों के लिए विराट कोहली विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ हैं जिन्होंने यह मुकाम अपनी कड़ी मेहनत और प्रदर्शन में निरंतरता से हासिल किया है लेकिन इस सीरीज़ में कोहली ने बेहद ही निराशाजनक प्रदर्शन किया था। शायद यह दौरा उनके जीवन का सबसे बुरा समय था। इस सीरीज़ की दस पारियों में, कोहली दो बार शून्य पर आउट हुए और उन्होंने सिर्फ 134 रन बनाए, जिसमें 39 रन उनका उच्चतम स्कोर था। कोहली जैसे स्टार खिलाड़ी का ऐसा प्रदर्शन टीम की हार का मुख्य कारण बना था। लेखक: बिलाल के अनुवादक: आशीष कुमार