महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट मैचों से संन्यास की घोषणा के बाद भारतीय टीम एक अदद विकेटकीपर की तलाश में लग गई। उनके विकल्प के तौर पर ऋद्धिमान साहा से लेकर दिनेश कार्तिक और पार्थिव पटेल तक को आजमा कर देखा गया। साहा ने तो कुछ हद तक भरपाई की लेकिन बाकी सब फेल रहे। साहा में भी वो तेजी नहीं दिखी जो धोनी की जगह उन्हें दिला सके। लगभग दो साल बाद इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट में भारत के 291वें खिलाड़ी के तौर पर टेस्ट में पदार्पण करने वाले ऋषभ पंत ने एक उम्मीद जरूर जगाई है। अपने पहले मैच में ही उन्होंने विकेट के पीछे सात शिकार कर जता दिया कि वे धोनी की कमी पूरी कर सकते हैं। दरअसल, विकेटकीपिंग क्रिकेट मे ंसबसे थकाउ काम माना जाता है। यहां एक खिलाड़ी को शारीरिक चुस्ती के साथ मानसिक स्फूर्ति भी दिखानी होती है। साहा, कार्तिक और पटेल इस खांचे में कभी फिट बैठे ही नहीं। कोई बल्लेबाजी करता तो विकेट के पीछे ढेर हो जाता और कोई विकेट के पीछे तेजी दिखाता तो बल्ले से फेल हो जाता। पंत ने भारत के लिए इन दोनों कमियों को पूरा किया है। टेस्ट में छक्के से खाता खोलने वालों में नाम दर्ज करने के बाद 20 साल के इस बल्लेबाज को 2019 विश्व कप के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इंग्लैंड दौरे पर पंत ने भारत ए टीम की तरफ से खेला और कुछ रन भी बटोरे। इस दौरान उन्होंने जितनी तेजी से खुद को परिपक्व किया है वह काबिलेतारीफ है। इंडियन प्रीमियर लीग के ट्रैक रिकॉर्ड के सहारे भारतीय टीम में प्रवेश पाने वाले दिल्ली के इस बल्लेबाज ने लगभग 43 के स्ट्राइक रेट से एक मैच के दो पारियों में 25 रन भी बनाए। उनकी आक्रमक बल्लेबाजी से तो टीम और कप्तान विराट कोहली पहले से ही वाकिफ हैं लेकिन विकेट के पीछे की उनकी तेजी ने काफी प्रभावित किया। इस दौरान पंत ने कुछ ऐसे कैच भी पकड़े जो काफी मुश्किल थे। उनके इस प्रदर्शन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भारत को विकेटकीपिंग में धोनी का विकल्प सिर्फ पंत ही दे सकते हैं।