भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व तेज गेंदबाज आरपी सिंह ने एम एस धोनी के साथ अपनी दोस्ती को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि उनके और धोनी के बीच काफी गहरी दोस्ती थी लेकिन इसकी वजह से टीम में उनके चयन को लेकर कोई फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि धोनी किसी भी खिलाड़ी का पक्ष नहीं लेते थे।
दरअसल रिपोर्ट के मुताबिक 2008 में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में धोनी ने यहां तक कह दिया था कि अगर आरपी सिंह की जगह इरफान पठान को टीम में लिया गया तो वो कप्तानी से इस्तीफा दे देंगे। उस घटना के 12 साल बाद आरपी सिंह ने उस दावे को खारिज कर दिया है। आरपी सिंह ने कहा कि धोनी किसी का पक्ष नहीं लेते थे।
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स्पोर्ट्स तक के साथ खास बातचीत में आरपी सिंह ने कहा कि जिस इंग्लैंड सीरीज की बात हो रही है, उससे पहले इंदौर में मुझे विकेट नहीं मिला था। निश्चित तौर पर हम जरुर सोचते हैं कि हमें 2-3 चांस ओर मिलने चाहिए, शायद वो मेरे भाग्य में नहीं था। कुछ खिलाड़ियों को 5 मौके भी मिलते हैं और कुछ भाग्यशाली प्लेयर्स को 10 मौके मिलते हैं।
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आरपी सिंह ने कहा कि उस कंट्रोवर्सी से मुझे नुकसान जरुर हुआ। कई बार ऐसा हुआ कि जब भी मेरा प्रदर्शन खराब रहा तो मुझे सीधे घरेलू क्रिकेट खेलने के लिए भेज दिया गया। कई लोग लकी होते हैं कि खराब प्रदर्शन के बाद भी टीम से बाहर नहीं किया जाता है, इसीलिए उन्हें बेहतरीन प्रैक्टिस का मौका मिलता है। अगर आप घरेलू क्रिकेट खेलने चले जाते हैं तो आपको उस बेहतरीन स्तर की चुनौती नहीं मिल पाती है।
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आरपी सिंह ने कहा कि एम एस धोनी ने कभी किसी का पक्ष नहीं लिया
आरपी सिंह ने कहा कि क्रिकेट को लेकर एम एस धोनी ने कभी किसी का पक्ष नहीं लिया और इसी वजह से आज वो इस मुकाम पर हैं। मैं उतनी क्रिकेट नहीं खेल पाया जितना खेलना चाहिए था और शायद इसकी सबसे बड़ी वजह ये थी कि मेरी गति कम हो गई थी और स्विंग भी ज्यादा नहीं हो रहा था। अगर मैंने अपनी गेंदबाजी में सुधार कर लिया होता तो मैं और आगे खेलता, लेकिन जो कुछ भी मैंने हासिल किया है उससे मैं खुश हूं।