2011 का विश्वकप वो अंतिम टूर्नामेंट था जिसमें हमने सीनियर खिलाड़ियों को भारतीय टीम में खेलते हुए देखा था। युवराज, सहवाग और ज़हीर खान सभी ने अपनी-अपनी भूमिकाएं निभाई और भारत ने 28 वर्ष बाद विश्वकप की ट्रॉफी जीती। समय के साथ-साथ ये तीनों खिलाड़ी भी टीम से बाहर चले गए। सहवाग और ज़हीर खान ने पिछले अक्टूबर को क्रिकेट से सन्यास ले लिया। वहीं युवराज सिंह घरेलू क्रिकेट खेलकर सभी प्रारूपों के लिए भारतीय टीम में वापसी की कोशिश कर रहे हैं। पूर्व राष्ट्रीय चयनकर्ता सबा करीम ने इन तीनों खिलाड़ियों को बाहर करने का कारण बताया है। करीम के अनुसार विश्वकप जीतने के बाद कुछ सीरीजों में टीम को पराजय का सामना करना पड़ा, उसके बाद एक नई टीम बनाने के बारे में सोचा गया। करीम ने कहा “हम भारत के एकदिवसीय विश्वकप जीतने के एक वर्ष बाद 2012 में राष्ट्रीय चयन समिति में आए। उस वक्त भारतीय टीम की अपार सफलता में योगदान देने वाले कई सीनीयर खिलाड़ी थे। लेकिन 2011 विश्वकप जीतने के बाद भारत ने कुछ सीरीजों में हारा।“ आगे सबा करीम ने कहा “अगले चार वर्षों के लिए हमारे पास टीम को तीनों प्रारूपों में नंबर एक बनाने का दृष्टिकोण था। हमने खिलाड़ियों को प्रतिभा के बजाय फिटनेस के आधार पर टीम में चुना। और उसके बाद टीम को टेस्ट, वन-डे और टी20 में नंबर एक बनाने के लक्ष्य प्राप्ति की ओर बढ़ते गए।“ 2011 विश्वकप के बाद भारत को इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के सामने बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा कई बड़े टूर्नामेंटों के फाइनल में जगह बनाने में भी असफल रही, जिसमें श्रीलंका में 2012 में हुआ टी20 विश्वकप भी शामिल है। इंग्लैंड ने भारत में आकर भी टीम को टेस्ट सीरीज 2-1 से हराई। कुछ युवा खिलाड़ियों के टीम में आने के बाद एमएस धोनी की अगुआई में टीम इंडिया ने इंग्लैंड में 2013 की चैम्पियन्स ट्रॉफी को एक भी मैच गंवाए बिना जीता।