सचिन ए बिलियन ड्रीम्स: क्रिकेट खेलना अगर सचिन के लिए मंदिर जाना है तो फ़ैन्स के लिए तेंदुलकर हैं एक अहसास

सचिन ए बिलियन ड्रीम्स, आख़िरकार क्रिकेट के भगवान की ज़िंदगी पर बनी बायोपिक आज बड़े पर्दे पर पूरी दुनिया में एक साथ रिलीज़ हो गई। इसे फ़िल्म कहना दरअसल सही नहीं होगा, क्योंकि न तो इसमें काल्पनिक पात्र हैं, न ही कोई बॉलीवुड का नायक और न ही किसी तरह का कोई मसाला। सचिन पर बनी इस फ़िल्म में ख़ुद शहंशाह-ए-क्रिकेट ने अपने सपने और उनमें संजोय पूरे हिन्दुस्तान के ख़्वाब को बयां किया है और तहे दिल से शुक्रिया अदा भी किया है। जेम्स एर्सकिन द्वारा निद्रेशित इस डॉक्यू-ड्रामा की शुरुआत सचिन तेंदुलकर की बेटी सारा तेंदुलकर के जन्म के साथ होती है, जिन्हें मास्टर ब्लास्टर अपनी गोद में लिए होते हैं और हॉस्पिटल में वह पत्नी अंजलि के साथ शर्माते हुए (जो सचिन का स्वाभाव ही है) ख़ुशियाँ मना रहे होते हैं। यहां से फ़िल्म पीछे जाती है और फिर तेंदुलकर के बचपने को दर्शाती है, जिसकी सबसे बड़ी ख़ासियत है ख़ुद सचिन की आवाज़। जी हां 138 मिनट की इस डॉक्यू-ड्रामा में सचिन तेंदुलकर ने ख़ुद ही अपनी पूरी कहानी सामने रखी है। जिसमें कुछ ऐसी भी सच्चाई है जो आजतक शायद सचिन ही जानते थे उनमें से एक है सचिन को कप्तानी से हटाना, तो दूसरी बार न चाहते हुए भी कप्तान बनाए जाना। ज़रूरी नहीं है कि आप क्रिकेट और सचिन के फ़ैन हों, क्योंकि ये फिल्म सभी के लिए एक अहसास है। 2 घंटे 18 मिनट तक 'सचिन' आपको कुर्सी से चिपकाए रखेगी। कई ऐसी यादें हैं जो आंसू के ज़रिए बाहर आ जाएं तो मैच फ़िक्सिंग और ग्रेग चैपल सागा देखकर सचिन की ही तरह ग़ुस्सा भी आए। हालांकि तेंदुलकर ने बड़ी ही सफ़ाई से उन मुद्दों पर ज़्यादा तफ़्सील में ले जाना मुनासिब नहीं समझा। सचिन का सपना पूरे देश का तब दिखता है, जब 2011 वर्ल्डकप का सेमीफ़ाइनल और फ़ाइनल मैच की तस्वीर सामने आती है और सचिन की आवाज़ में उन मैचों का हाल रोंगटे खड़े कर देने वाला है। सचिन के हाथों में विश्वकप और पूरी टीम उनको गोद में उठाए जब मैदान का चक्कर लगाती है तो लगता है कि ये सिर्फ़ सचिन का नहीं समस्त भारतीय क्रिकेट फ़ैन्स का सपना है। हालांकि सचिन ए बिलियन ड्रीम्स ने भी कुछ ऐसे मौक़े ज़रूर दिए हैं जिनपर आलोचना की जा सकती है, सचिन पर जिस तरह विराट कोहली, युवराज सिंह, हरभजन सिंह से लेकर हर्षा भोगले जैसे क्रिकेट स्टार और एक्सपर्ट की टिप्पणियां हैं वहां कांबली की कमी ज़रूर खली है। इसी तरह सचिन के करियर या उनके साथ बिताए पल के बारे में फ़ैब फ़ोर (Fabulous Four)में से फ़ैब थ्री दादा, द्रविड़ या वेरी वेरी स्पेशल लक्ष्मण की प्रतिक्रिया नदारद दिखी। बस आख़िर में यही कहना चाहूंगा कि आप क्रिकेट या सचिन के फ़ैन हों या न हों, ये मायने नहीं रखता क्योंकि सचिन ए बिलियन ड्रीम्स एक ऐसी डॉक्यू ड्रामा है जो इस पूरे देश के लिए 24 साल तक भरोसे का दूसरा नाम बने एक ऐसे शख़्स की दास्तां है जिसने पूरी दुनिया में भारत की एक अलग पहचान बनाई और ख़ुद बन गए क्रिकेट धर्म के ''भगवान''।

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