क्रिकेट का मैदान हो, या घर में सचिन के दिनों में उनकी बल्लेबाजी के दौरान घरों में चल रहा टीवी हो या अन्य कोई जगह हो। सचिन-सचिन की गूंज हर जगह सुनाई पड़ती थी। अभी भी आईपीएल में मुंबई इंडियंस के मेंटर की भूमिका निभा रहे सचिन की मैदान में मौजूदगी से दर्शक इस नारे के साथ झूम उठते हैं और सभी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता है। चारों तरफ 'सचिन-सचिन की गूंज की शुरुआत कहां से हुई और किसने की इस पर सचिन ने खुद खुलासा करते हुए कहा है कि यह उनकी मां की तरफ से हुआ था। बकौल तेंदुलकर "कभी सोचा नहीं था कि क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी 'सचिन-सचिन' बना रहेगा लेकिन अब यह थियेटरों तक पहुंच गया है. इसकी मुझे ख़ुशी भी है।" अपने जीवन पर बनी फिल्म 'सचिन ए बिलियन ड्रीम्स' के एक गाने को रिलीज करने के बाद तेंदुलकर यह सब बातें बता रहे थे। जब बातों ही बातों से उनसे पूछा गया कि इस प्रकार के नारे की शुरुआत कहां से हुई तब उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत मेरी मां ने की थी। जब मैं फ़्लैट से नीचे खेलने चला जाया करता था तब मां मुझे बुलाने के लिए 'सचिन-सचिन' पुकारती थी। एक और दिलचस्प पहलू के बारे में भी सचिन ने बताया, वह है उनके बल्ला थामे बचपन की एक तस्वीर. इसके बारे में उन्होंने कहा कि यह तस्वीर मेरे घर की बालकनी में खिंची गई और मेरे भाई ने ऐसा किया। उनके अनुसार क्रिकेट के बल्ला हो या टेनिस का रैकेट, उन्हें सिर्फ गेंद को मारना पसंद था। सचिन ने यह भी बताया कि इस समय वे महज 4 या 5 वर्ष के थे। गौरतलब है कि क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले तेंदुलकर ने 24 वर्षों तक अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेल अपनी धाक जमाई और 100 शतक जड़े। तेंदुलकर ने ने इस दौरान टेस्ट और वन-डे दोनों प्रारूपों में 10 हजार से अधिक रन बनाए और कई विश्व स्तरीय रिकॉर्ड अपने नाम किये, जिन्हें तोड़ना काफी मुश्किल नजर आता है।