सचिन तेंदुलकर टेस्ट क्रिकेट की घटती लोकप्रियता को लेकर चिंतित है। उन्होंने वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर टेस्ट तेज गेंदबाजों की कमी भी बताई। उन्होंने इस अहम कमी की वजह से टेस्ट क्रिकेट में लोगों की दिलचस्पी नहीं होना बताया। इन सबके अलावा तेंदुलकर ने पिचों को लेकर भी अपनी प्रतिक्रिया दी।
सचिन के अनुसार पहले जैसे कड़े मुकाबले अब टेस्ट क्रिकेट में नहीं दिखते और लोग उन्हें देखना पंसद करते हैं। इसके अलावा वर्तमान समय में तेज गेंदबाज भी टेस्ट क्रिकेट में पुराने जमाने जैसे नहीं रहे। आगे तेंदुलकर ने कहा कि पिचें भी ऐसी है कि वहां तेज गेंदबाजों को मदद नहीं मिलती इसलिए कड़ा संघर्ष देखने को नहीं मिलता। पिचों में गेंद और बल्ले को बराबर मदद मिलने की जरूरत तेंदुलकर ने बताई।
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एक जमाने में सुनील गावस्कर के सामने वेस्टइंडीज के कई धाकड़ तेज गेंदबाज होते थे। गेंद और बल्ले में बड़ा संघर्ष होता था, गावस्कर बिना हेलमेट के उन तेज गेंदबाजों का सामना करते थे। इसके बाद सचिन तेंदुलकर का जमाना आया जिसमें उन्होंने ग्लेन मैक्ग्रा, ब्रेट ली, शोएब अख्तर और वसीम अकरम जैसे तेज गेंदबाजों का सामना किया। दर्शकों को इन सभी महान खिलाड़ियों के बीच मुकाबला देखना काफी पसंद था।
टेस्ट क्रिकेट में आजकल कई मैच महज तीन दिन में समाप्त हो जाते हैं अथवा मैच एकतरफा रहते हैं। बल्लेबाज तेजी से रन बनाते हैं। स्पिनरों के लिए अभी भी भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश की पिचों में मदद रहती है। ओवरसीज पिचें भी बल्लेबाजी के अनुकूल नजर आती हैं। देखा जाए तो सचिन तेंदुलकर की बात को नकारा नहीं जा सकता है। पहले की तरह धाकड़ तेज गेंदबाजी अभी देखने को नहीं मिलती है।
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