यो-यो टेस्ट को लेकर पूर्व भारतीय कप्तान और क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने एक बड़ी प्रतिक्रिया दी है। तेंदुलकर ने कहा है कि खिलाड़ी की योग्यता को दरकिनार करते हुए फिटनेस का पैमाना तय नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि फिटनेस जरुरी है लेकिन यो-यो टेस्ट ही एकमात्र टेस्ट नहीं होना चाहिए, हालांकि उन्होंने फिट होना जरुरी भी बताया। इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप में सहयोगी अख़बार जनसत्ता की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ सचिन तेंदुलकर ने कहा कि जो खिलाड़ी यो-यो टेस्ट पास नहीं करते उनके लिए पैमाना अलग तय होना चाहिए क्योंकि योग्यता को नजरअंदाज नहीं कर सकते। अपने जमाने को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे जमाने में हम बीप टेस्ट लेते थे जो कुछ यो-यो टेस्ट के समकक्ष ही होता था। गौरतलब है कि सचिन तेंदुलकर से पहले पूर्व भारतीय कपिल देव भी इस तरह का बयान दे चुके हैं। कपिल देव ने कहा था कि खिलाड़ी अगर मैच में फिट है तो उसके लिए कोई दूसरा पैमाना तय नहीं करके खिलाना चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि फुटबॉल के महान खिलाड़ी डियागो माराडोना भी तेज नहीं थे लेकिन जब गेंद उनके पास होती थी तो वे भी तेज हो जाते थे। इस तरह क्रिकेट के मैदान पर भी फिटनेस के लिए खिलाड़ियों के अलग तरीके होते हैं। उल्लेखनीय है कि इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टीम में चुने गए अम्बाती रायडू को सिर्फ यो-यो टेस्ट पास नहीं करने की वजह से बाहर कर दिया गया था। उनके स्थान पर सुरेश रैना को वन-डे टीम में जगह मिली थी। भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए इस टेस्ट को ही अंतिम पैमाना बना दिया गया है। यही वजह रही कि तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी भी इंग्लैंड के खिलाफ सीमित ओवर सीरीज के लिए टीम इंडिया में शामिल नहीं किये का सके। अब शमी ने टेस्ट पास कर लिया है और टेस्ट सीरीज के लिए चुने गए हैं।