क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले पूर्व भारतीय खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने जो मुकाम हासिल किया है, उसमें उनके बड़े भाई अजित का भी हाथ है। उन्होंने हर पल अपने छोटे भाई की मास्टर ब्लास्टर बनने में भरपूर मदद की थी। हालांकि, जब दोनों भाई एक-दूसरे के खिलाफ आमने-सामने आए तो दोनों में से कोई जीतना नहीं चाहता था। सचिन ने मुंबई के ब्रांद्रा में एमआईजी क्रिकेट क्लब में अपने नाम के पवेलियन के उद्घाटन के मौके पर यह खुलासा किया। सचिन ने कहा कि हम दोनों को जीतना तो था पर एक-दूसरे को हराना नहीं चाहते थे।
मास्टर ब्लास्टर ने कहा कि मैं कभी इस बारे में नहीं बोला लेकिन आज बोल रहा हूं। कई साल पहले मुझे याद भी नहीं है कि मैं अंतरराष्ट्रीय या रणजी क्रिकेट खेलता था या नहीं लेकिन मैं अच्छा खेलता था। मुझे मालूम था कि मेरा ग्राफ ऊपर जा रहा है। उस वक्त एमआईजी में एक विकेट का टूर्नामेंट होता था। मैं एक टूर्नामेंट खेल रहा था, जिसमें अजित भी खेल रहा था। हम दोनों अलग-अलग ग्रुप में थे। सेमीफाइनल में हमारा मुकाबला हुआ। वो ही एक ऐसा मैच था, जिसमें हम दोनों एक-दूसरे के खिलाफ खेले थे। मैं अजित के चेहरे को देखकर समझ गया था कि वह जीतना चाहता है और मैं भी पर हम एक-दूसरे को हराना नहीं चाहते थे। मैंने बल्लेबाजी शुरू की और उसने वाइड और नो-बॉल डालनी शुरू कर दी। मैं जानबूझकर रक्षात्मक रूप से खेल रहा था, जो आमतौर पर सिंगल विकेट में नहीं होता है।
सचिन ने आगे कहा कि उसके बाद अजित ने मेरी ओर ठीक से खेलने का इशारा किया। इसके बाद मुझे अपने भाई की बात माननी पड़ी। मैंने वो मैच नहीं जीता बल्कि हार गया। हालांकि, मेरी टीम फाइनल में पहुंच गई थी। मालूम हो कि अजित ही थे जो मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को प्रसिद्ध कोच रमाकांत आचरेकर के पास लेकर गए थे।
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