टेस्ट में 15,971 रन, वन डे में 18,426 रन, शतकों के शतक के साथ कई और क्रिकेट रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले सचिन रमेश तेंदुलकर किसी परिचय के मोहताज़ नहीं है। ये सारे आंकड़े करोड़ों क्रिकेट फ़ैन्स के ज़हन में पहले से ही घर किए हुए है जो अपने इस भगवान की पूजा तक करते है। सचिन को जब अहसास हुआ कि भारतीय क्रिकेट को अब अगली पीढ़ी के हाथो में सौंप कर उन्हें क्रिकेट को अलविदा कर देना चाहिए, उससे पहले सचिन ने रिकॉर्ड्स का ऐसा पहाड़ खड़ा कर दिया था जिसे छू पाना किसी खिलाड़ी के लिए नामुमकिन सा लगता है।
14 नवंबर 2013 में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ सचिन ने वानखेड़े स्टेडियम में अपना आख़िरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेला जिसने उन्हें क्रिकेट की बारीकियों से रूबरू कराया था। यह उनके 24 साल के एक शानदार कैरियर 200वां टेस्ट मैच था। इस बेहतरीन और लंबे कैरियर में सचिन ने 7 दोहरे शतक बनाए जिसमें से 6 टेस्ट मैच में बनाए और 1 वनडे मैच में।
सचिन के कम दोहरे शतक बनाने के भी कई कारण है। शुरूआत के दिनों में सचिन अपने युवा कंधों पर बल्लेबाज़ी का भार आसानी से उठा लेते थे लेकिन जैसे जैसे उनपर ज़िम्मेदारियां बढ़ने लगी उनके खेल पर इसका असर पड़ने लगा। एक बीच वह ज्यादातर समय मध्यम क्रम में ही खेलने लगे थे जिसकी वजह से उन्हें 200 रन से ज्यादा बनाने का अवसर कम ही मिल पाता था।
तेंदुलकर ने अपने शानदार खेल के जरिए करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों को ख़ुशी के कई पल दिए है। आइये नज़र डालते है सचिन के उन सात बेहतरीन दोहरे शतक की पारियों पर...
#1 217 Vs न्यूज़ीलैंड, 29 अक्टूबर 1999
सचिन ने अपना पहला दोहरा शतक न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ अहमदाबाद में बनाया जो उनका 21वां टेस्ट और 44वां इंटरनेशनल शतक भी था। दोहरे शतक की फेहरिस्त में शामिल होने के लिए सचिन को 10 साल इंतज़ार करना पड़ा, जिसपर सचिन ने कहा कि वैसे तो 10 साल वाकई एक लम्बा समय होता है लेकिन हमें हमेशा कोशिश करते रहना चाहिए।
217 रन बनाने के लिए तेंदुलकर ने 314 का सामना किया जिसमें 29 बड़े शॉट्स भी खेले। उन्होंने ये दोहरा शतक अपने पसंदीदा चौथे नंबर की पोजिशन पर खेलते हुए बनाया जिसकी मदद से भारत ने पहली पारी में 583 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया। इस मैच के दौरान सचिन ने आक्रामक और रक्षात्मक दोनों तरह के खेल का प्रदर्शन किया। हालांकि तेंदुलकर के इस बेहतरीन दोहरा शतक बनाने के बावजूद टीम इंडिया को ड्रॉ से ही संतोष करना पड़ा।
#2 नाबाद 201 Vs ज़िम्बाब्वे, 25 नवंबर 2000
नागपुर में ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ तेंदुलकर ने 281 बॉल में नाबाद 201 रन की शानदार पारी खेली जो उनका दूसरा दोहरा शतक भी था। अपने पंसदीदा चौथे नंबर की पोजिशन पर खेलते हुए सचिन ने इस पारी में 27 बेहतरीन बाउंड्रीज़ भी लगाए। जिसकी मदद से पहली पारी में टीम इंडिया का स्कोर 6 विकेट पर 609 रन पर घोषित किया गया।
पहली पारी में राहुल द्रविड़ और शिवसुंदर दास ने भी शानदार खेल का प्रदर्शन किया और सैकड़ा जमाया। जवाब में खलते हुए ज़िम्बाब्वे की टीम 382 रन ही बना पाई जिसके बाद उन्हें फॉलो ऑन खेलने के लिए बुलाया गया। पहली पारी में 382 रन बनाने के बाद फॉलो ऑन खेल रही ज़िम्बाब्वे की टीम ने एंडी फ्लॉवर के नाबाद 233 रनों की मदद से मैच को ड्रॉ करा लिया।
# 3 नाबाद 248 Vs बांग्लादेश, 10 दिसम्बर, 2004
पहली पारी बांग्लादेश की टीम के 184 रन पर ऑलआउट होने के बाद अगली पारी में भारतीय टीम ने बांग्लादेश की गेंदबाजी पर जमकर प्रहार करते हुए 526 रनों का पहाड़ खड़ा कर दिया। जिसके जवाब में बांग्लादेश की टीम तीसरी पारी में 202 रन बनाकर ढ़ेर हो गई और इंडिया ने ये मैच एक पारी और 140 रन से अपने नाम कर लिया। तेंदुलकर ने ढाका में हो रहे इस मैच में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 379 गेंदों पर बिना विकेट दिए शानदार 248 रन बनाए।
यह मैच इसलिए भी खास था क्योंकि ज़हीर ख़ान के साथ मिलकर सचिन ने आखिरी विकेट के लिए 133 रनों की साझेदारी भी की। जिसमें ज़हीर खान ने बेहतरीन 75 रन बनाए जो 11 नंबर पर बल्लेबाजी करने वाले किसी खिलाड़ी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी है।
#4 नाबाद 241 Vs ऑस्ट्रेलिया, 2 जनवरी 2004
ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम के ख़िलाफ़ सचिन की ये 241 रनों वाली नाबाद पारी उनकी बेहतरीन पारियों में से एक है। सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर खेले गए इस मैच में सचिन ने 436 गेंदों का सामना किया और शानदार 33 बाउंड्रीज़ लगाए। इस मैच से पहले सीरीज़ में तेंदुलकर ने अबतक अपनी पांच पारियों में केवल 82 रन ही बनाए थे।
इस पारी में सचिन किसी संत की तरह दृढ़ दिखे क्योंकि अपनी इस पूरी पारी में सचिन ने एक भी कवर ड्राइव नहीं मारा। ऑफ़ स्टंप के बाहर निकलती हर बॉल को विकेट कीपर के हाथ में जाने दिया। उन्होंने सीधे बल्ले से खेला और कलाईयों की मदद से ऑन साइड में कई बेहतरीन शॉट्स लगाए। सचिन 10 घंटे तक लगातार इसी अनुशासन के साथ खेलते रहे।
इस दौरान सचिन ने वीवीएस लक्ष्मण के साथ बेहतरीन 353 रनों साझेदारी भी की। इस अहम साझेदारी की बदौलत टीम इंडिया ने 7 विकेट पर 705 रन के स्कोर पर पारी घोषित की। हालांकि ये मैच तो ड्रॉ रहा लेकिन सचिन के शानदार बल्लेबाज़ी ने इस मैच को यादगार बना दिया।
# 5 203 Vs श्रीलंका, 29 जुलाई 2010
श्रीलंका के ख़िलाफ़ कोलंबों में 343 गेंद में 23 चौकों और एक छक्के की मदद से तेंदुलकर ने बेहतरीन 203 रन बनाए। यह मैच सबसे बड़े स्कोर पर ड्रॉ के लिए भी जाना जाता है। इस मैच में संगकारा ने भी दोहरा शतक जमाया। संगकारा (219) और जयवर्धने (174) के शानदार खेल की बदौलत श्रीलंका ने पहली पारी चार विकेट पर 642 रन के स्कोर पर घोषित कर दी। जबाव में उतरी टीम इंडिया 707 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। सहवाग ने अपना नेचुरल गेम खेलते हुए 101 गेंदों में 99 रन बनाए। उनके साथ सुरेश रैना ने भी अपने पहले ही टेस्ट मैच में 120 रन की शतकीय पारी खेली।
टीम इंडिया की इस 707 रन की विशाल पारी में सचिन के 203 रन का अहम योगदान रहा। इस मैच में सचिन का 203 रन इसलिए भी उल्लेखनीय रहा क्योंकि इस मैच सचिन ने महान ब्रैडमैन के 18वें 150 रन के आकड़े को पीछे छोड़ दिया।
# 6 214 Vs ऑस्ट्रेलिया, 11 अक्टूबर 2010
बेंगलुरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम में सचिन ने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ अपना दूसरा दोहरा शतक बनाया। अपनी शानदार पारी में 363 गेंदों का सामना करते हुए 22 चौके और 2 बेहतरीन छक्के मारे। उनके इस बेहतरीन खेल की मदद से टीम इंडिया ने 478 रन का स्कोर खड़ा किया। इसके अलावा तेंदुलकर ने चौथी पारी में 77 गेंद पर नाबाद 53 रन भी बनाए जिसकी मदद से टीम इंडिया ने मैच के आख़िरी दिन मैच अपने नाम कर लिया।
साल 2010 में दो दोहरे शतक के साथ-साथ 5 शतक की मदद से सचिन ने 2010 में 1562 रन बनाए। इन बेहतरीन पारियों की बदौलत सचिन टेस्ट क्रिकेट के फिर से बादशाह बन गए। आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में श्रींलका के संगकारा को पीछे छोड़ते हुए सचिन पहले नंबर पर आ गए। टेस्ट क्रिकेट में तेंदुलकर का यह छठा और आख़िरी दोहरा शतक था।
# 7 नाबाद 200 Vs दक्षिण अफ्रीका, 24 फरवरी 2010
एक दिवसीय मैच में पहला दोहरा शतक अपने नामकर सचिन तेंदुलकर ने एक नया इतिहास रचा था। ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ खेले गए इस मैच में उन्होंने 147 गेंद खेलकर नाबाद 200 रन बनाए जिसकी मदद से टीम इंडिया ने 3 विकेट पर 401 रन का पहाड़ खड़ा कर दिया। अपनी इस आक्रामक पारी में मास्टर ब्लास्टर ने 25 चौके और दो शानदार छक्के भी जड़े। सचिन ने दक्षिण अफ्रीका के किसी गेंदबाज़ को नहीं बख्शा। चाहे वो डेल स्टेन हो, वेन पार्नेल हो, कैलिस हो या चार्ल्स लैंगवेल्ट, सभी की खूब पीटाई की।
एक ओर सचिन की आकर्षक पारी जारी थी तो वहीं दूसरे छोर पर एम एस धोनी ने भी आक्रमक रूख पकड़ लिया था। धोनी ने 35 गेंद में 68 रन बनाए जिसकी बदौलत भारत ने 400 रन का आंकड़ा पार किया। हालांकि जवाब में एबी डीविलियर्स ने 101 गेंद पर 114 रन की नाबाद पारी खेली लेकिन दक्षिण अफ्रीका के किसी और खिलाड़ी ने उनका साथ नहीं दिया। भारत के इस पहाड़ से स्कोर के सामने दक्षिण अफ्रीका की पूरी टीम 43वें ओवर में 248 रन पर ही ढ़ेर हो गई और भारत ने ये मैच 153 रनों से अपने नाम कर लिया।