भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का राज्यसभा सांसद के तौर पर पहला भाषण आज हंगामे की भेंट चढ़ गया। आज ससंद के ऊपरी सदन में तेंदुलकर बोलने के लिए खड़े हुए लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण वो बोल नहीं पाए और राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। विपक्ष द्वारा पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की टिप्पणी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माफी की मांग पर अड़े रहने के चलते सदन में काफी हंगामा हुआ। काफी समय से चर्चा चल रही थी कि सचिन तेंदुलकर राज्यसभा सांसद के तौर पर सदन में बहुत कम उपस्थिति रहते हैं। आज उनका संबोधन निर्धारित किया गया था लेकिन हंगामे की वजह से वो कुछ बोल नहीं पाए। सचिन तेंदुलकर अपनी पत्नी के साथ सदन की कार्यवाही में भाग लेने के लिए राज्यसभा पहुंचे थे। लेकिन सुबह से ही कांग्रेस के सदस्य हंगामा कर रहे थे। सभापति वैंकया नायडू ने सभी से शांत होने की अपील की। उन्होंने कहा कि 'सदन में अभी 'भारत में खेल का अधिकार और खेल-कूद के भविष्य' पर अल्पकालिक चर्चा होनी है। भारत रत्न से सम्मानित और युवाओं के आईकन सचिन तेंदुलकर इस विषय पर बोलेंगे'। उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा कि "उन्हें मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए और सचिन की बात सुननी चाहिए। नायडू ने कहा कि आप लोगों में खेल की भावना ही नहीं है। मैं इस हंगामे को रिकार्ड में नहीं जाने दूंगा। उन्होंने कहा कुछ तो शर्म कीजिए। मगर इसके बाद भी हंगामा चलता रहा, सचिन अपनी जगह पर चुपचाप 10 मिनट तक खड़े रहे।
वहीं सांसद जया बच्चन भी इस बात से बेहद गुस्सा नजर आईं। उन्होंने कहा कि सचिन ने भारत के देश-दुनिया में काफी नाम कमाया है और ये शर्मनाक है कि उनको बोलने नहीं दिया गया। क्या सिर्फ राजनेताओं को बोलने की इजाजत है? गौरतलब है 2012 में सचिन राज्यसभा सांसद बने थे और आज पहली बार बोलने जा रहे थे। लेकिन हंगामे की वजह से बोल नहीं पाए और राज्यसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई।