वेस्टइंडीज में हुए 2007 विश्व कप में भारतीय टीम ख़िताब की प्रबल दावेदार थी, लेकिन वह बांग्लादेश और श्रीलंका से हैरान करने वाली शिकस्त झेलकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई। इस हार से खिलाड़ियों को गहरा झटका लगा था और महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने संन्यास लेने का विचार कर लिया था। मिड-डे को दिए इंटरव्यू में तेंदुलकर ने खुलासा किया कि हार से वह इतने दुखी थे कि वेस्टइंडीज में उन्होंने दो दिनों तक होटल का कमरा नहीं छोड़ा व संन्यास लेने के बारे में सोचने लगे। तेंदुलकर के हवाले से मिड-डे ने बताया, 'हार के बाद हम दो दिन तक वेस्टइंडीज में थे, लेकिन हारने के बाद दो दिनों तक मैंने होटल का कमरा नहीं छोड़ा। मैं कुछ भी नहीं करना चाहता था। यह बहुत निराशाजनक था कि दो दिन तक मुझे कुछ करने के लिए नहीं सूझा। इस हार को दिल से बाहर निकाल पाना बहुत मुश्किल था।' कमजोर बांग्लादेश के खिलाफ हार के साथ अभियान की शुरुआत करने वाली भारतीय टीम ने जबर्दस्त वापसी करते हुए दूसरे मैच में बरमूडा को बड़े अंतर से हराया। मगर 23 मार्च 2007 को विश्व कप के अपने अंतिम ग्रुप चरण मैच में उसे श्रीलंका से करारी शिकस्त झेलना पड़ी थी। तेंदुलकर ने कहा, '23 मार्च 2007 को मैं अपने क्रिकेट के सबसे ख़राब दिन में से एक मानता हूं। जब आप सोचे कि जीतेंगे और हार जाएं तो काफी ख़राब महसूस करते हैं। यह बिलकुल उसी के समान है जैसा जोहानसबर्ग टेस्ट (1997) में हम जीत के करीब थे, लेकिन बारिश के कारण ड्रॉ के नतीजे पर विवश होना पड़ा। या फिर बारबाडोस टेस्ट (1997), और श्रीलंका के खिलाफ 1996 विश्व कप के सेमीफाइनल में हार।' उन्होंने आगे कहा, 'यह ऐसे वाकये हैं जब आप बहुत निराश महसूस करते हैं। 2007 विश्व कप हमारे लिए अच्छा नहीं था। पहले बांग्लादेश से और फिर श्रीलंका से शिकस्त झेलना पड़ी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि बांग्लादेश से हारेंगे। हम अतिविश्वासी नहीं थे, लेकिन आप विश्वास करते हैं कि भारत आसानी से बांग्लादेश को हरा देगा। यह खेल के बड़े उलटफेरों में से एक था।' फिर क्या हुआ कि सचिन ने संन्यास लेने का मन बदल दिया? दरअसल, सचिन के पसंदीदा बल्लेबाज विव रिचर्ड्स ने उन्हें कॉल करके कहा कि ऐसे पल अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के खेल का हिस्सा है और अभी उनमें काफी क्रिकेट बची है। क्रिकेट के भगवान जाने वाले तेंदुलकर ने कहा, 'मैं दूर था जब सर विव रिचर्ड्स का कॉल आया। उन्होंने मुझसे करीब 45 मिनट तक क्रिकेट में उतार-चढ़ाव के बारे में बातें की। उन्होंने जोर देकर कहा कि मुझमें अभी काफी क्रिकेट बची है और कहा 'तुम अभी संन्यास नहीं लोगे।' रिचर्ड्स ने हमारे एक दोस्त से सुना था कि मैं उस समय काफी निराश था और क्रिकेट से संन्यास लेने के बारे में सोच रहा था। उन्होंने कहा कि यह सब समय की बात है और मुझे संन्यास का फैसला नहीं लेना चाहिए। सचिन ने याद किया, 'यह बड़ा फर्क पैदा करता है जब आपके बल्लेबाजी के हीरो आपको कॉल करें। मैं विव और सुनील गावस्कर को देखकर बड़ा हूं। सर विव का सही समय पर कॉल आया और मैं समझ गया। फिर मैंने फैसला किया कि इस प्रकार के ख्याल मन से हटाकर अभ्यास में जुटता हूं।' महान बल्लेबाज ने आगे बताया, 'मेरे भाई अजित ने कहा कि 2011 विश्व कप की ट्रॉफी मेरे हाथ में हो सकती है। यह काफी प्रोत्साहित शब्द थे और मैंने अपने विश्व कप जीतने के सपने का पीछा करना शुरू कर दिया। मैं सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर अभ्यास करता था और दोपहर में भी अभ्यास करता था।' भारत ने फिर चार वर्ष बाद श्रीलंका के खिलाफ घरेलू फैंस के सामने वानखेड़े स्टेडियम पर इतिहास रचते हुए 2011 विश्व कप का ख़िताब जीता। भारत ने दूसरी बार इस प्रतिष्ठित ट्रॉफी पर कब्ज़ा किया था।