2010-11 में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारत का दौरा किया। इस समय तक सचिन तेंदुलकर की उम्र 37 साल हो चुकी थी। लेकिन सीरीज में अपनी बल्लेबाजी से सचिन ने साबित कर दिया की उनकी बल्लेबाजी के उम्र कोई मायने नहीं रखती। बैंगलोर टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने अपनी पहली पारी में 478 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। तब शायद ऑस्ट्रेलिया को ये अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि वो ये मैच हार जाएंगे। 478 रनों के जवाब में भारतीय पारी 38 रनों पर 2 विकेट गंवा चुकी थी। ऐसे में सचिन तेंदुलकर बल्लेबाजी के लिए क्रीज पर आए। सबसे पहले मुरली विजय के साथ मिलकर उन्होंने पारी को संभाला फिर एक-एक कर के गेंदबाजों पर अटैक करना शुरु किया। तीसरे विकेट के लिए दोनों बल्लेबाजों के बीच 300 रनों से ज्यादा की साझेदारी हुई। सचिन ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए 214 रनों की पारी खेली जिसमें उन्होंने 22 चौके और 2 छक्के लगाए। अंत में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारत के सामने जीत के लिए 207 रनों का लक्ष्य रखा जिसे भारत ने आसानी से हासिल कर लिया। दूसरी पारी में भी सचिन ने 53 रन बनाए। वो मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज रहे।