वॉर्न और सचिन के बीच प्रतिद्वंदिता जगजाहिर थी। लेकिन अपनी बल्लेबाजी से सचिन ने शेन वॉर्न को भी अपना दीवाना बना लिया। अक्सर दोनों के बीच मैच में काफी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती थी। दोनों ही खिलाड़ी अपने-अपने विभाग में माहिर थे। कोई किसी से कम नहीं था। लेकिन 1998 में एक टेस्ट मैच में सचिन वॉर्न पर भारी पड़ गए। हालांकि पहली सफलता वॉन को हासिल हुई जब पहली पारी में उन्होंने सचिन को सस्ते में पवेलियन भेज दिया। दूसरी पारी में जब भारत बल्लेबाज के लिए उतरा तो ऑस्ट्रेलिया के पहली पारी के आधार पर 71 रनों से पीछे था। लेकिन यहीं से मास्टर ब्लास्टर ने पूरे मैच का पासा पलट दिया। खतरनाक कंगारु गेंदबाजों का सचिन ने डटकर मुकाबला किया। सचिन ने मैच में कट, पुल और ड्राइव हर तरह के शॉट लगाए। स्पिन के साथ भी और स्पिन के खिलाफ भी सचिन ने खूबसूरत शॉट लगाए। शानदार बल्लेबाजी करते हुए सचिन ने 81 की स्ट्राइक रेट के साथ 155 रनों की शतकीय पारी खेली। हमें यहां एक बात नहीं भूलनी चाहिए कि वो 90 का दौर था जब वनडे में भी किसी बल्लेबाजी की स्ट्राइक रेट इतनी अच्छी नहीं होती थी। लेकिन सचिन ने टेस्ट में 81 की स्ट्राइक के साथ बल्लेबाजी की। सचिन की इस लाजवाब पारी के आगे कंगारु टीम पस्त हो गई और भारतीय टीम ने 179 रनों से मैच जीत लिया। इस पारी की वजह से भारतीय टीम सीरीज भी जीतने में कामयाब रही। ऑस्ट्रेलिया अब उस तरह की अजेय टीम नहीं रही और टेस्ट क्रिकेट में भी अब वो संघर्ष नहीं देखने को मिलता है। आज के दौर में कई सारी टीमें अच्छा क्रिकेट खेल रही हैं और कई सारे खिलाड़ी भी काफी अच्छा खेल रहे हैं। लेकिन एक बात तो तय है कि दुनिया को अब दूसरा सचिन नहीं मिलने वाला है।
लेखक- फैनोक अनुवादक-सावन गुप्ता