इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) निःसंदेह भारत के सबसे बड़े खेल कार्यक्रमों में से एक है। क्रिकेट के इस आयोजन को अपार सीमा में दर्शकों का समर्थन प्राप्त है, जो भरपूर आनंद उठाते हैं और साथ ही इस टूर्नामेंट के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय खिलाड़ियों को अच्छा भुगतान मिलता है। आईपीएल नीलामी एक ऐसा कार्यक्रम है, जिसमें खिलाड़ियों की निगाहें बड़े उत्साह के साथ टिकी होती हैं कि विभिन्न फ्रेंचाइजी उनकी नीलामी राशि का क्या फैसला करेगी। इन वेतन को अच्छी तरह दस्तावेज में समाहित किया जाता है और दो महीने चलने वाले इस टूर्नामेंट में खेलने से भारतीय खिलाड़ियों को बड़ा लाभ हाथ लगता है। मगर बीच मैदान पर मुस्तैद रहने वाले भारतीय अंपायरों का क्या जो मैच में दौरान अपना प्रभाव बनाते हैं। उनका एक फैसला पूरे मैच का नक्शा भी बदल कर रख देता है। कई बार देखने में आया है कि दुर्भाग्यवश अंपायर एक गलत फैसला सुना दे, तो वह क्रिकेटरों से लेकर प्रशंसकों तक के गुस्से का शिकार हो जाता है। मगर दुर्भाग्य इस बात का है कि अंपायरों का वेतन मैच दर मैच आधारित तय होता है, उन्हें तय वेतन मिलता है और 2016 आईपीएल में भारतीय मैच ऑफिशियल्स के वेतन का खुलासा आखिरकार हो ही गया है। न्यूज18.कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अंपायरों अनिल चौधरी, सीके नंदन और चेट्टीठोड़ी शमसुद्दीन को 40 लाख भारतीय रुपए दिए गए। वहीं कई मैचों में तीसरे अंपायर की भूमिका निभाने वाले केएन अनंथापद्मानाभन को कम वेतन मिला है। आईपीएल में तीन भारतीय अंपायरों में सबसे अनुभवी दिल्ली के चौधरी ने 39 मैचों में अंपायरिंग की और उन्हें अब तक 39.63 लाख रूपए मिले हैं। आईसीसी अमीरात अंपायर पैनल में भारत का प्रतिनिधितिव करने वाले शमसुद्दीन और नंदन ने 22 आईपीएल मैचों में ऑफिशिएट किया और दोनों को अच्छा भुगतान किया गया। दोनों को 40.83 लाख रूपए का भुगतान किया गया जबकि केएन अनंथापद्मानाभन को दायित्व निभाने के लिए 26.65 रूपए दिए गए। मैदानी और तीसरे अंपायर के अलावा, मैच ऑफिशियल्स में भारत के अन्य प्रतिनिधित्वकर्ता पूर्व तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ थे, जो अप्रैल 2006 से आईसीसी के मैच रेफरी हैं और उन्होंने अपने काम में काफी इज्जत भी बनाई है। रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीनाथ को आईपीएल के दौरान अपनी सेवाएं देने के लिए 26 लाख रूपए का भुगतान किया गया।