पूर्व पाकिस्तानी खिलाड़ी ने भारत और पाकिस्तान के गेंदबाजों के बीच एक बड़ा अंतर बताया

Nitesh
शाहीन शाह अफरीदी
शाहीन शाह अफरीदी

पाकिस्तान के पूर्व कप्तान सलमान बट्ट ने पाकिस्तान के गेंदबाजों को अहम सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान के बॉलर्स को डोमेस्टिक क्रिकेट में खेलकर अपनी स्किल में निखार लाना चाहिए और फिर इसके बाद उन्हें अपनी तुलना भारतीय गेंदबाजों से करनी चाहिए।

सलमान बट्ट के मुताबिक पाकिस्तान के गेंदबाज केवल तेज गति से बॉल डालना चाहते हैं जो टॉप लेवल पर सफल होने के लिए काफी नहीं है। सलमान बट्ट ने बताया कि भारतीय गेंदबाजों से अभी पाकिस्तानी बॉलर्स की तुलना नहीं की जा सकती है क्योंकि इन्हें अभी काफी कुछ सीखना बाकी है।

उन्होंने कहा "स्किल लेवल में अंतर है। आपके अंदर तभी स्किल आएगी जब फर्स्ट क्लास क्रिकेट में काफी गेंदबाजी करेंगे। आपको टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजों पर काम करना होगा क्योंकि उन्हें रन बनाने की कोई जल्दी नहीं होती है। ये एक मेंटल गेम होता है। पाकिस्तान के गेंदबाज अभी काफी युवा हैं। मोहम्मद हसनैन, शाहीन शाह अफरीदी, नसीम शाह जैसे गेंदबाज टीम में हैं। शहनवाज दहानी ने अभी तक खेला नहीं है। इसके अलावा और भी कुछ नाम हैं। अगर इन सभी के एक्सपीरियंस को मिला दिया जाए तो 25-30 फर्स्ट क्लास मैचों से भी कम है।"

पाकिस्तानी गेंदबाज केवल तेज गति से बॉलिंग करना चाहते हैं - सलमान बट्ट

सलमान बट्ट ने आगे कहा "भारत में मोहम्मद सिराज ने अकेले 40 फर्स्ट क्लास मैच खेले हैं। इशांत शर्मा भी 100 से ज्यादा रणजी मैच खेल चुके होंगे। जसप्रीत बुमराह ने भी अपनी बेहतरीन गेंदबाजी का श्रेण रणजी ट्रॉफी को दिया है। उन्हें इंडियन टीम में इसलिए सेलेक्ट नहीं किया गया है कि उन्होंने 145 किलोमीटर की रफ्तार से गेंदबाजी की थी। पाकिस्तान की दिक्कत ये है कि सभी गेंदबाज लगातार 140 किलोमीटर की रफ्तार से गेंदबाजी करना चाहते हैं।"

सलमान बट्ट के मुताबिक इंटरनेशनल लेवल पर बल्लेबाजों को पेस से डर नहीं लगता है। अगर पाकिस्तानी गेंदबाज डोमेस्टिक क्रिकेट लगातार खेलें तो उनके अंदर काफी सुधाार आएगा।

उन्होंने आगे कहा "कोई भी बल्लेबाज उस गेंदबाज से नहीं डरता है जो 140 किलोमीटर की रफ्तार से गेंदबाजी करे। ऑस्ट्रेलिया की तरफ से पैट कमिंस, जोश हेजलवुड और मिचेल स्टार्क काफी तेज गति से गेंदबाजी करते हैं लेकिन इसके बावजूद उन्हें बांग्लादेश में हार का सामना करना पड़ा।"

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