संजय मांजरेकर (Sanjay Manjrekar) ने खुलासा किया है कि वो सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) के कारण 1990-91 रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) फाइनल के निर्णायक पल नहीं देख सके थे। 1990-91 रणजी ट्रॉफी की खिताबी भिड़ंत मुंबई और हरियाणा के बीच वानखेड़े स्टेडियम पर हुई थी।
कपिल देव के नेतृत्व वाली हरियाणा ने मुंबई को रोमांचक मैच में दो रन से मात देकर अपना पहला और अब तक का एकमात्र खिताब जीता। स्पोर्ट्सकीड़ा के शो एसके टेल्स के ताजा ऐपिसोड में मैच को याद करते हुए संजय मांजरेकर ने खुलासा किया कि सचिन तेंदुलकर इसके जिम्मेदारी हैं कि वो सांस थाम देने वाला मुकाबला नहीं देख सके।
संजय मांजरेकर ने कहा, 'एक यादगार मैच। लोग जिसकी बात करते हैं, एक सांस थाम देने वाला और उत्साहजनक मैच। मगर मुंबई के कप्तानी यानी मैं, मैंने आखिरी के एक डेढ़ घंटे का मैच नहीं देखा। इसका कारण सचिन तेंदुलकर थे, जो उस समय काफी अंधविश्वासी थे।'
पूर्व बल्लेबाज ने बताया कि दिलीप वेंगसरकर के नाबाद शतक के बावजूद भी मुंबई को कम अंतर से शिकस्त मिली थी। मांजरेकर ने कहा, 'मुंबई बनाम हरियाणा के बीच 1991 में रणजी ट्रॉफी फाइनल था। कपिल देव हरियाणा के कप्तान थे और मुंबई की कप्तानी कर रहा था। मुंबई की टीम लक्ष्य का पीछा कर रही थी। बड़ा लक्ष्य था और मुंबई दो रन से मैच हार गया था। दिलीप वेंगसरकर 139 रन बनाकर नॉटआउट थे और उनके साथ अबे कुरुविला थे, जो अंत में रनर के जरिये रनआउट हुए।'
मुंबई की टीम 355 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 352 रन बना सकी थी। सचिन तेंदुलकर ने दो पारियों में 47 और 96 रन की पारियां खेली थी।
सचिन तेंदुलकर के अंधविश्वास के कारण एक्शन मिस हुआ: संजय मांजरेकर
संजय मांजरेकर ने प्रकाश डाला कि वो बल्लेबाजों के साथ अपने विचार भी साझा नहीं कर सके जबकि कप्तान थे। उन्होंने कहा, 'ज्यादा लोगों को यह कहानी नहीं पता होगी कि जब इस तरह का कोई करीबी मुकाबला हो तो कप्तान के रूप में मुझे मैच देखना चाहिए था ताकि सलाह दे सकूं। मैं आखिरी के एक से डेढ़ घंटे कुछ नहीं किया। मैंने मैच देखा ही नहीं।'
मांजरेकर ने खुलासा किया, 'सचिन तेंदुलकर के अंधविश्वास का शुक्रिया। उन्होंने कहा कि हम इस मैच को जीत रहे हैं। अबे कुरुविला और दिलीप वेंगसरकर के बीच अच्छी साझेदारी हो रही है। कोई अपनी जगह से नहीं हिलेगा। जो जहां बैठा है, वहीं बैठा रहे, ताकि भाग्य नहीं बदले।'
मांजरेकर ने बताया कि उन्होंने दर्शकों के रिएक्शंस से पता किया कि बीच मैदान में क्या हो रहा है। उन्होंने कहा, 'हमने असल में ऐसा किया। सचिन तेंदुलकर तब बच्चे थे। तो मैं वानखेड़े स्टेडियम के ड्रेसिंग रूम में था और सचिन तेंदुलकर ने मुझे बाहर जाने नहीं दिया कि मैच देख सकूं। मैं जो सुन रहा था, उस हिसाब से दृश्य बना रहा था कि क्या हो रहा है। जब तालियां बज रही थीं तो समझ आ रहा था कि मुंबई अच्छा कर रही है और जब सन्नाटा हो तो लगे कि कुछ खराब खबर है।'
कई खिलाड़ियों ने सचिन तेंदुलकर के अंधविश्वास को लेकर कहानियां साझा की है। वीरेंदर सहवाग ने भी बताया था कि तेंदुलकर ने उन्हें एमएस धोनी द्वारा 2011 विश्व कप में जमाया विजयी छक्का देखने नहीं दिया था।