टेस्ट मैचों में रन बनाना किसी भी बल्लेबाज के लिए काफी सुखदायक अनुभव होता है और टेस्ट मैचों में शतक बनाना हर एक बल्लेबाज का सपना होता है। इसके साथ ही बिना खाता खोले आउट होना भी किसी भी बल्लेबाज के लिए काफी दुखदाई होता है।
यह टेस्ट क्रिकेट की ही खासियत है कि एक ही मैच में टीम के कप्तान ने ये दोनों स्कोर बनाए हैं, एक पारी में शून्य पर आउट हुए तो दूसरी पारी में शतक बना दिया।
आईये टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में हुए ऐसे 18 मौके देखते हैं जब टीम के कप्तान ने एक ही मैच में शून्य और शतक दोनों कारनामे किए हैं।
विराट कोहली (0 और 104 नाबाद)
भारतीय कप्तान विराट कोहली अपने जीवन के शानदार फॉर्म में चल रहे हैं और वह काफी समय से इसी तरह के फॉर्म में हैं। 29 वर्षीय यह बल्लेबाज मैच दर मैच कोई न कोई रिकॉर्ड बनाता जा रहा है।
श्रीलंका के खिलाफ ईडन गार्डन्स में हुए पहले टेस्ट मैच में कोहली ने अजीब तरह का रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज करा लिया। वह एक ही मैच में शून्य और शतक बनाने वाले पहले भारतीय कप्तान बन गए।
कोहली मैच की पहली पारी में बिना कोई रन बनाए बिना सुरंगा लकमल की गेंद पर आउट हो गए लेकिन दूसरी पारी में उनके 104 रनों की नाबाद पारी की वजह से भारत का स्कोर 352/8 पहुंच गया। जिसके बाद श्रीलंका के विकेट झटक भारतीय टीम जीत की दहलीज पर खड़ी ही थी तभी खराब रोशनी की वजह से मैच ड्रा पर खत्म करना पड़ा।
कोलकाता में कोहली ने 18वां टेस्ट शतक जमाया और यह उनका 50वां अंतरराष्ट्रीय शतक भी था। अब कोहली सबसे तेज 50 अंतरराष्ट्रीय शतक बनाने के मामले में हाशिम आमला के साथ पहले स्थान पर हैं।
मिस्बाह-उल-हक (114 और 0)
2016 में इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में हुए टेस्ट मैच में मिस्बाह-उल-हक़ अपने पुश-अप सेलेब्रेशन की वजह से काफी सुर्खियों में आये थे।
पाकिस्तान के कप्तान जब बल्लेबाजी करने आये तो पाक टीम का स्कोर 77/3 था और टीम मुश्किल में नज़र आ रही थी। जिसके बाद मिस्बाह ने 114 रनों की पारी खेल टीम को 339 तक पहुंचा दिया।
जबकि दूसरी पारी में मिस्बाह बिना खाता खोले मोईन अली की गेंद पर आउट हो गए लेकिन पाकिस्तान ने यह टेस्ट 75 रनों से जीत लिया और सीरीज में 1-0 से बढ़त बना ली।
माइकल क्लार्क (161 नाबाद और 0)
माइकल क्लार्क द्वारा 2014 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन में खेली गई 161 रनों की पारी हालिया समय की सबसे जुझारू पारियों में शामिल है।
शॉर्ट पिच गेंदों के कमजोर खिलाड़ी माने जाने वाले क्लार्क ने शॉर्ट पिच गेंदबाजी के सामने 161 रनों की नाबाद पारी खेली और ऑस्ट्रेलिया ने अपनी पारी 494/7 के स्कोर पर घोषित कर दी।
दूसरी पारी में क्लार्क बिना खाता खोले शून्य के स्कोर पर आउट हो गए लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने सीरीज का यह निर्णायक टेस्ट मैच जीतकर सीरीज 2-1 से अपने नाम कर लिया।
ग्रीम स्मिथ (122 और 0)
2012 में ग्रीम स्मिथ ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड ओवल में 122 रनों की कप्तानी पारी खेली थी।
सीरीज के इस दूसरे मैच की पहली पारी में स्मिथ ही एक ऐसे बल्लेबाज थे जो ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों का डट कर सामना कर रहे थे जबकि उनके साथी बल्लेबाज एक-एक कर पवेलियन लौट रहे थे।
अपने कप्तान की पारी की वजह से दक्षिण अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी के 550 रनों के जवाब ने 388 रन बनाए।
दूसरी पारी में मेहमान टीम को जीत के लिए 430 रनों की दरकार थी लेकिन बेन हिलफेनहास ने कप्तान स्मिथ को बिना खाता खोले पवेलियन भेज दिया। इसके बावजूद प्रोटियाज़ टीम मैच ड्रा कराने में सफल रही।
एंड्रू स्ट्रॉस (0 और 110)
2010 एशेज सीरीज का पहला मैच ब्रिस्बेन के गाबा मैदान पर खेला गया।
इंग्लैंड के कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी का फैसला किया, लेकिन बेन हिल्फेनहॉस ने उन्हें शून्य पर पवेलियन भेज दिया और पूरी इंग्लैंड टीम 260 रन पर आउट हो गई।
माइकल हसी (195) और ब्रैड हैडिन (136) ने ऑस्ट्रेलिया को 481 रन पर पहुंचा दिया।
स्ट्रॉस (110) और उनके सलामी जोड़ीदार एलिस्टर कुक (235 नाबाद) ने मेजबान ऑस्ट्रेलिया को परेशान कर दिया और इंग्लैंड ने 517 रनों पर अपनी पारी घोषित कर दी।
ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 297 का लक्ष्य मिला, लेकिन उनका स्कोर 107/1 था तभी मैच ड्रा पर खत्म हो गया।
महेला जयवर्धने (104 और 0)
2007 में दो मैचों की श्रृंखला के पहले टेस्ट हारने के बाद, ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गयी श्रीलंका टीम को सीरीज बचाने के लिए किसी भी कीमत पर दूसरा टेस्ट मैच जीतना ही था।
रिकी पॉन्टिंग ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और मेजबान ने अपनी पारी 542/5 पर घोषित कर दी।
महेला जयवर्धने के 104 रन बनाने के बावजूद श्रीलंका की पूरी टीम 246 रन पर आउट हो गई। उसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने फॉलोऑन नहीं देने का फैसला किया और उन्होंने दूसरी पारी में 210 रन बनाये।
दूसरी पारी में श्रीलंका के कप्तान जयवर्धने कुछ खास करने में असफल रहे और पहली ही गेंद पर ब्रेट ली का शिकार हो गए।
श्रीलंका को जीत के लिए 507 रनों की जरूरत थी, संगकारा के 192 रनों की पारी के बावजूद मेहमान टीम 410 तक ही पहुंच पाई और ऑस्ट्रेलिया ने सीरीज 2-0 से अपने नाम कर लिया।
मोहम्मद अशरफुल (0 और 129*)
बांग्लादेश के कप्तान मोहम्मद अशरफुल (129) और मुशफिकर रहीम (80) ने 191 की भागीदारी की, जो उस समय बांग्लादेश के टेस्ट इतिहास में सबसे बड़ी साझेदारी थी। इसके बावजूद 2007 में श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में खेले टेस्ट मैच में बंगलादेश की टीम एक पारी और 90 रन से हार गयी।
महेला जयवर्धने ने टॉस जीतकर मेहमान टीम को पहले बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया। लसिथ मलिंगा और मुथैया मुरलीधरन की घातक गेंदबाजी के सामने बंग्लादेश की टीम पूरी टीम 25.2 ओवरों में केवल 62 रन ही बना पाई। उनके तीन बल्लेबाज खाता नहीं खोल पाये और उनके कप्तान अशरफुल भी उनमें से एक थे।
कुमार संगकारा के 200 रनों की नाबाद पारी की बदौलत श्रीलंका ने अपनी पहली पारी 451/6 पर घोषित कर दी।
बांग्लादेश का शीर्ष क्रम एक बार फिर असफल रहा, लेकिन अशरफुल नाबाद शतकीय पारी खेली फिर भी उनकी टीम 299 पर सिमट गई।
स्टीफन फ्लेमिंग (192 और 0)
2003 के दो मैचों की सीरीज के पहले टेस्ट में न्यूजीलैंड ने हैमिल्टन में पाकिस्तान के खिलाफ 563 रनों का विशाल स्कोर बनाया। उनके कप्तान स्टीफन फ्लेमिंग (192) और डैनियल विटोरी (137) का इसमें काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा।
जवाब में पाकिस्तान ने पहली पारी में 463 रन बनाए और उनके लिए मैच काफी मुश्किल हो गया था।
लेकिन, मेजबान टीम की दूसरी पारी में मामला बिल्कुल उलट हो गया और कीवी टीम का स्कोर 96/8 हो गया था, तभी मैच ड्रा हो गया। फ्लेमिंग (0) मोहम्मद समी के 5 शिकारों में एक शिकार थे।
माइकल आथर्टन (144 और 0)
साल 1994 में इंग्लैंड के वेस्टइंडीज दौरे के दूसरे टेस्ट में रिची रिचर्डसन ने टॉस जीता और जॉर्जटाउन में गेंदबाजी करने का फैसला किया। माइकल आथर्टन ने 144 रनों की पारी खेली जिसकी मदद से इंग्लैंड ने पहली पारी में 322 रन बनाये।
वेस्टइंडीज ने जवाब में 556 रन बनाए लेकिन इंग्लैंड ने दूसरी पारी में काफी खराब बल्लेबाजी की। कप्तान आथर्टन खाता खोलने में नाकाम रहे और उन्हें कर्टली एम्ब्रोस के पहले ओवर में आउट कर दिया। इंग्लैंड ने 190 बनाये और वेस्टइंडीज ने मैच में एक पारी और 44 रन से जीत हासिल की।
मार्टिन क्रो (0 और 107)
न्यूजीलैंड की टीम 1992 में दो मैचों की टेस्ट सीरीज़ खेलने के लिए श्रीलंका के दौरे पर गयी। सीरीज का पहला मैच ड्रा रहा और अर्जुन राणातुंगा ने दूसरे मैच में पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया।
मेजबान टीम ने पहली पारी में 394 रन बनाये लेकिन जवाब में न्यूजीलैंड सिर्फ 102 रन बना पाई। मुरलीधरन ने कप्तान मार्टिन क्रो को शून्य पर आउट कर दिया।
श्रीलंका ने फॉलोऑन देने का फैसला किया और दूसरी पारी में न्यूज़ीलैंड ने पहले पारी से अच्छी बल्लेबाजी की।क्रो एक बार फिर मुरली का शिकार बने लेकिन उससे पहले 107 रन बना चुके थे। लेकिन इसके बावजूद न्यूज़ीलैंड की टीम मैच को नहीं बचा पाई। श्रीलंका ने 9 विकेट से मैच जीतकर सीरीज को 1-0 से अपने नाम कर लिया।
अर्जुन राणातुंगा (127 और 0)
1992 में न्यूजीलैंड का दौरा करने से पहले, श्रीलंका ने ऑस्ट्रेलिया की तीन मैचों की टेस्ट सीरीज़ में मेजबानी की थी।
मेजबान टीम ने पहली बार फील्डिंग का फैसला किया और ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में 256 रन पर सिमट गई। श्रीलंका की तरफ से कप्तान अर्जुन राणातुंगा सहित 3 बल्लेबाजों ने शतक बनाया और श्रीलंका ने अपनी पहली पारी 547/8 रन पर घोषित कर दी।
उसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने मेजबान टीम को 181 रन का लक्ष्य दिया, लेकिन बल्लेबाजी के खराब प्रदर्शन के कारण श्रीलंका 16 रन से मैच हार गई। पहली पारी में शतक बनाने वाले कप्तान राणातुंगा दूसरी पारी में खाता खोलने में भी नाकाम रहे।
माइक गैटिंग (100 और 0)
माइक गेटिंग की अगुआई में इंग्लैंड ने 1986/87 में ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया और एशेज सीरीज को 2-1 जीतकर अपने साथ बरकरार रखा।
सीरीज का तीसरा टेस्ट मैच एडिलेड में खेला गया, एलेन बॉर्डर ने टॉस जीता और बल्लेबाजी का फैसला किया। मेजबान ने 514/4 पर अपनी पारी घोषित कर दी।
जवाब में, कप्तान गैटिंग के 100 और क्रिस ब्रॉड के 116 रनों की मदद से इंग्लैंड ने पहली पारी में 455 रन बनाए।
अंत में, इंग्लैंड को टेस्ट जीतने के लिए 261 की जरूरत थी लेकिन मैच ड्रा पर खत्म हो गया। गैटिंग दूसरी पारी में शून्य पर आउट हो गए।
गैरी सोबर्स (132 और 0; 0 और 113*)
वेस्टइंडीज के कप्तान गैरी सोबर्स ने 1968 में इंग्लैंड के खिलाफ किंग्सटन टेस्ट मैच में पहली बार शतक और शून्य पर आउट होने का कारनामा किया। पहली पारी में वह गोल्डन डक हो गए लेकिन दूसरी पारी में शानदार वापसी करते हुए सोबर्स ने 113 रनों की नाबाद पारी खेली। वह इंग्लैंड के माइकल कॉलिन कॉड्रे के बाद विश्व के दूसरे कप्तान है, जिन्होंने इस उपलब्धि को दो बार हासिल किया।
दूसरी बार ये तब हुआ जब सोबर्स ने पोर्ट ऑफ स्पेन में भारत के खिलाफ 1971 में खेले टेस्ट की पहली पारी में 132 रन बनाए। लेकिन, दूसरी पारी में सोबर्स को पहली गेंद पर आबिद अली ने आउट कर दिया।
माइकल कॉलिन काउड्रे (101 & 0; 119 और 0)
कॉलिन काउड्रे ने भी किंग्सटन में वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के बीच 1968 में हुए टेस्ट में, एक ही मैच में एक शतक भी बनाया और शून्य पर भी आउट हो गए।
माइकल कॉलिन काउड्रे पहले कप्तान थे जिन्होंने इस कारनामे को दो बार किया था। उन्होंने पहली पारी में 101 रन बनाए और दूसरी पारी में शून्य।
उससे पहले 1960 में, जब इंग्लैंड ने वेस्टइंडीज का दौरा किया, तब भी कॉलिन काउड्रे ने टेस्ट की पहली पारी में 119 रनों की पारी खेली जबकि दूसरी पारी में खाता भी नहीं खोल पाए थे।
पीटर मे (0 और 112)
1995 में अफ्रीका ने इंग्लैंड का दौरा किया और मेजबान टीम के कप्तान पीटर मे ने पांच मैचों की सीरीज के दूसरे टेस्ट में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया।
मे पहली पारी में खाता भी नहीं खोल पाये और पूरी इंग्लैंड की टीम 133 रनों पर पवेलियन लौट गई।
दूसरी पारी में, मे ने 112 रन बनाकर टीम को 353 रनों तक पहुंचा दिया। दक्षिण अफ्रीका की टीम दूसरी पारी में 111 रन ही बना पाई और इंग्लैंड ने 71 रनों की जीत दर्ज की।
डॉन ब्रैडमैन (138 और 0)
सर डोनाल्ड ब्रैडमैन क्रिकेट इतिहास के सबसे बड़े बल्लेबाज माने जाते हैं और उनके नाम क्रिकेट का लगभग हर रिकॉर्ड हैं, उनमें यह भी एक है।
1948 एशेज सीरीज के पहले टेस्ट में इंग्लैंड के 165 के जवाब में कप्तान ब्रैडमैन के 138 रन की मदद से ऑस्ट्रेलिया की टीम ने 509 रन बनाए।
मेजबान टीम ने अपनी दूसरी पारी में अच्छा खेल दिखाया, फिर भी ऑस्ट्रेलिया को अपनी दूसरी पारी में जीत के लिए सिर्फ 98 रन ही चाहिए थे। हालांकि, ब्रैडमैन शून्य पर आउट हो गए लेकिन मेहमान टीम ने मैच को काफी आसानी से अपने नाम कर लिया।
हैरी ट्रॉट (0 और 143)
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1896 सीरीज में, दो प्रतिद्वंद्वियों ने 34 प्रथम श्रेणी मैच खेले, जिसके अलावा 3 टेस्ट मैच भी खेले थे।
लंदन में उन तीनों टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले मैच में, कप्तान हैरी ट्रॉट और चार अन्य ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज शून्य पर आउट हो गए और इसी वजह से ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में केवल 53 रन बनाये।
दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया की टीम अच्छा खेली और कप्तान ट्रॉट ने 143 रन बनाए लेकिन फिर भी इंग्लैंड ने 6 विकेट से मैच अपने नाम कर लिया।
विलियम लॉयड "बिली" मर्डोक (0 और 153 *)
1880 में ऑस्ट्रेलिया की टीम ने इंग्लैंड का दौरा किया जिसमें एक टेस्ट सहित 9 प्रथम श्रेणी के मैच खेले गए। इंग्लैंड की सरजमीं पर पहली बार कोई टेस्ट मैच खेला गया था।
यह मैच कई मायनों में खास था और ऑस्ट्रेलिया के बिली मर्डोक ने मैच में शतक और शून्य का स्कोर करने वाले पहले कप्तान बने थे।
मर्डोक पहली पारी में 19 गेंद खेलने के बाद शून्य पर आउट हो गए लेकिन दूसरी पारी में उन्होंने नाबाद 153 रन बनाए।
इसके बावजूद इंग्लैंड ने घर पर पहला टेस्ट मैच 5 विकेट से जीत लिया।
लेखक: तान्या रूद्र अनुवादक: ऋषिकेश