महेंद्र सिंह धोनी की बल्लेबाजी पूरे विश्वकप के दौरान आलोचकों के निशाने पर रही। न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में धोनी टीम इंडिया को आखिरी पलों में रन आउट होकर जीत नहीं दिला सके। इसके बाद से उनकी फिटनेस और संन्यास को लेकर खबरें उड़ने लगीं। अब अगले महीने वेस्टइंडीज के साथ भारत को तीन एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मुकाबले, तीन टी-20 और दो टेस्ट मैच खेलने हैं। धोनी के भविष्य को लेकर लगाए जा रहे कयासों के बीच राष्ट्रीय चयनसमिति की बैठक रविवार तक टाल दी गई है। वहीं, भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी किरण मोरे ने कहा कि धोनी से बात करने के लिए चयनकर्ताओं में साहस होना चाहिए और उनको लेकर जरूरी फैसला करना चाहिए।
किरण मोरे ने कहा कि अगले विश्वकप की तैयारी अभी से शुरू कर दी जानी चाहिए। सबको पता है कि टीम का प्रदर्शन कैसा रहा है। इसके आधार पर आगे की योजना बनानी जरूरी है। यह तय करना जरूरी है कि किस तरह के खिलाड़ी तैयार किए जाएं। चयनकर्ता बैकअप खिलाड़ियों को तैयार करें और उन्हें खुद को साबित करने के लिए पर्याप्त मौके दें। वहीं, अगर चयनकर्ताओं को लगता है कि कोई खिलाड़ी है, जो खुद को साबित कर सकता है तो उसे भी मौका देना चाहिए। उन्हें इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि खिलाड़ी खुद को असुरक्षित महसूस ना करें। धोनी के पास जाकर उनसे पूछना चाहिए। साथ ही खुद के विचारों से भी उन्हें अवगत कराना चाहिए।
वहीँ दिलीप वेंगसरकर ने कहा कि यह पता लगाने की जरूरत है कि कौन से खिलाड़ी वनडे, टी20 और टेस्ट फॉर्मेट के लिए फिट हैं। खिलाड़ियों की मजबूती को जानना और फिर विकल्पों पर विचार करना चाहिए। मालूम हो कि प्रसाद और उनकी टीम तय करेगी कि केदार जाधव और दिनेश कार्तिक का करियर किस दिशा में जाएगा और चोटिल हरफनमौला खिलाड़ी विजय शंकर को टीम में जगह मिलेगी या नहीं। सिलेक्टर्स के सामने संकट एमएस धोनी का है। इस बात पर काफी चर्चा हो रही है कि अब धोनी के लिए क्या फैसला लिया जाएगा। टीम में भी इस मामले में कई तरह की राय हैं।
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