देर आए दुरुस्त आए। वेस्टइंडीज दौरे पर चुनी गई भारतीय टीम में श्रेयस अय्यर के चयन पर कह कहावत एकदम सही बैठती है। कई मंचों पर बेहतरीन प्रदर्शन के बाद उन्हें एक बार फिर भारतीय टीम का हिस्सा बनाया गया है। तीन वन-डे मैचों की सीरीज के लिए अय्यर को भी मेहनत का फल मिला है।
पिछले चार वर्षों में भारतीय टीम के लिए चौथे नम्बर का खिलाड़ी एक बड़ी समस्या रही है। इस नम्बर पर कई खिलाड़ियों को आजमाया गया। वर्ल्ड कप में भी इस दिक्कत के चलते भारतीय टीम को सेमीफाइनल में पराजित होकर बाहर होना पड़ा। श्रेयस अय्यर को इस स्थान के लिए चुनते तो शायद भारतीय टीम फाइनल का सफर तय करती।
आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स की कप्तानी करने वाले अय्यर नम्बर चार पर इसलिए सही खिलाड़ी हैं क्योंकि उनके पास तकनीक और बड़े शॉट का मिश्रण है। अगर दो विकेट जल्दी गिरते हैं तो अय्यर के पास रूककर खेलने की क्षमता है। वे अपनी तकनीक और कला से पारी संवारने का दमखम रखते हैं।
श्रीलंका के खिलाफ डेब्यू मैच में उन्होंने नम्बर तीन पर बल्लेबाजी की थी। उस समय विराट कोहली को आराम देने की वजह से उन्हें इस स्थान पर खिलाया गया था। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अजिंक्य रहाणे को नम्बर चार पर बल्लेबाजी कराते हुए अय्यर को पांचवें स्थान पर धकेल दिया गया। प्रदर्शन बेहतर होने के बाद भी उन्हें वर्ल्ड कप में नहीं चुना गया है दुर्भाग्य ही कहा जाएगा।
वन-डे करियर में अब तक श्रेयस अय्यर ने 6 मैच खेलकर 42 के औसत से 210 रन बनाए हैं जो शुरूआती दौर में कहीं से भी खराब नहीं कहा जा सकता है। भविष्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें वेस्टइंडीज दौरे के तीनों मैचों में चौथे स्थान पर ही बल्लेबाजी के लिए भेजना चाहिए। टीम इंडिया ने पहले भी इस स्थान पर कई खिलाड़ियों को आजमाया है इसलिए श्रेयस अय्यर को भी मौका देने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। तकनीक और क्लास के मामले में इस खिलाड़ी ने अपनी उपयोगिता हर जगह साबित की है। जरूरत उनमें भरोसा जताते हुए मौके देने की है। उम्मीद करते हैं कि भारतीय टीम प्रबंधन अय्यर को ही चौथे स्थान के बल्लेबाज के तौर पर टीम में शामिल करेंगे। केएल राहुल भी एक विकल्प हैं लेकिन उनकी निरन्तरता में हमेशा कमी देखी गई है।
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