भारत रत्न और 'क्रिकेट के भगवान' माने जाने वाले भारतीय क्रिकेट के महान बल्लेबाज मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने आज ही के दिन वन-डे क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की थी। यह घोषणा प्रेस रिलीज़ द्वारा की गई थी। यह संन्यास इतने साधारण अंदाज में लिया जाएगा, इसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी। यह वहीं सचिन तेंदुलकर हैं, जिन्होंने 90 के दशक में भारतीय क्रिकेट का अंदाज बदलकर रख दिया था। सचिन के कई फैंस का यह सोचना था कि 2011 विश्व कप जीतने के बाद जब भारतीय टीम के सदस्यों ने उन्हें अपने कंधे पर बैठाकर मैदान का चक्कर लगाया था, तभी महान बल्लेबाज को संन्यास की घोषणा कर देना था। मगर तेंदुलकर की सोच कुछ अलग थी। वह कुछ और समय तक अपनी बल्लेबाजी से फैंस को खुश रखना चाहते थे। उन्हें हालांकि पता था कि वह पहले जैसे रूप में बल्लेबाजी नहीं कर पाएंगे। और जब घोषणा हुई तो लगभग सभी को अंदाजा था कि उनका समय पूरा हो चुका है। सचिन ने जब वन-डे से संन्यास लिया तब उनकी टीम में कुछ युवा खिलाड़ी ऐसे थे, जो तेंदुलकर की बल्लेबाजी को देखकर ही बड़े हुए। इन युवा खिलाड़ियों के बीच में ड्रेसिंग रूम में सचिन एक डायनासोर की तरह थे, क्योंकि खेल बदलकर नई पीढ़ी की तरफ बढ़ चुका था। शांत घोषणा 23 दिसंबर 2012, यह वहीं तारीख है जब तेंदुलकर ने एक प्रेस विज्ञप्ति द्वारा 50 ओवर के प्रारूप से शांति से संन्यास की घोषणा की थी। उन्होंने अपने बयान में कहा, 'मैंने खेल के वन-डे प्रारूप से संन्यास लेने के फैसला कर लिया है। मुझे ख़ुशी है कि विश्व कप विजेता भारतीय टीम के सदस्य बनने के सपने को पूरा कर पाया। अब 2015 विश्व कप में भारतीय टीम को अपने ख़िताब की रक्षा करना है, जिसकी तैयारी उन्हें अभी से करना होगी। मैं भारतीय टीम को भविष्य में शानदार प्रदर्शन करने की शुभकामनाएं देता हूं। मैं अपने सभी शुभचिंतकों को अत्यंत समर्थन और इतने वर्षों तक प्यार देने के लिए धन्यवाद देता हूं।' तेंदुलकर ने जब वन-डे क्रिकेट से संन्यास लिया तो उनके आंकड़े लाजवाब थे। दाएं हाथ के बल्लेबाज ने 463 मैचों में 49 शतकों की मदद से 18,426 रन बनाए। वह वन-डे क्रिकेट इतिहास के पहले बल्लेबाज थे, जिन्होंने दोहरा शतक जड़ा था। तेंदुलकर ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 24 फरवरी 2010 को ग्वालियर में वन-डे क्रिकेट इतिहास का पहला दोहरा शतक बनाया था। इसके बाद सचिन ने एक वर्ष और टेस्ट क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित किया और फिर 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने घरेलू मैदान पर क्रिकेट के लंबे प्रारूप से भी संन्यास ले लिया।